सीवान: कोरोना संक्रमण से पूरा विश्व ग्रसित है. इस संक्रमण से जान-माल का बहुत नुकसान हुआ. लॉक डाउन के कारण पूरे देश की गतिविधियां बंद है. स्कूल-कॉलेज सब बंद है,इसीलिए छात्रों की स्थिति को देखते हुए सरकार ने ये निर्णय लिया और निजी विद्यालयों से निवेदन किया कि वे 2 महीने की फीस नहीं लें.भारत सरकार ने भी इस संबंध में राज्य सरकारों को निर्देश दिया है, लेकिन निजी स्कूल संचालकों ने सरकार के निर्देश को दरकिनार करते हुए अभिभावकों से फीस की मांग की है. मामले में निजी स्कूल अभिभावक मंच के सदस्यों ने डीएम को एक ज्ञापन दिया और उसकी कॉपी शिक्षा मंत्री, मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री को भी भेजी है
सरकार से इस समस्या के समाधान की अपील
आवेदन के जरिए सरकार से यह मांग की गई है कि पूरे देश में निजी स्कूलों की ओर से गैरकानूनी रूप से वसूली जाने वाली फीस और दसरे तरह की रकम पर रोक लगाई जाए. इससे इस कठिन दौर में अभिभावकों को कुछ राहत मिल सकेगी. अभिभावक मंच के संयोजक विजय कुमार पांडेय ने कहा की पहले चरण में हमने आवेदन दिया है. दूसरे चरण में प्रशासन के लोगों से मिलकर हम इस समस्या का शांति पूर्वक, शांति और सौहार्द के साथ समझौता चाहते हैं. वहीं अधिवक्ता और समाजसेवी बलवंत कुमार ने कहा कि सरकारी निर्देश को दरकिनार कर ऐसा करना अनैतिक हैं. उन्होंने निजी विद्यालय संचालकों से निवेदन किया कि इस संदर्भ में सहानुभूति पूर्वक विचार करें और इसका एक हल निकाले. मंच के अध्यक्ष राजीव रंजन राजू ने सरकार से आग्रह किया कि सरकार अपने स्तर से इस समस्या का तार्किक समाधान करे.
स्कूल फी में की गई है काफी बढ़ोतरी
हैरानी की बात ये है कि स्कूल फी में काफी बढ़ोतरी भी की गई है. निजी विद्यालयों को हर साल री-एडमिशन के नाम पर पैसे नहीं वसूलने है लेकिन इस साल कई स्कूल प्रबंधन ने अभिभावकों से उतनी ही राशि विभिन्न मदो में दिखाकर गैरकानूनी रूप से वसूलना शुरु कर दिया है. स्कूल संचालकों ने सरकार के आग्रह और कोरोना महामारी और लॉक डाउन की त्रासदी को दरकिनार करते हुए अभिभावकों पर फीस देने के लिए दबाव डालकर वसूली करना शुुरु कर दिया है.