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डॉ. राजेंद्र प्रसाद की 135 वीं जयंती : यह है, उनकी जन्मस्थली का हाल

डॉ. राजेंद्र प्रसाद की आज जयंती है. पूरा देश आज उनकी जयंती के मौके पर उन्हें याद कर रहा है. राजेंद्र प्रसाद भारत के पहले राष्ट्रपति थे. वे भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के प्रमुख नेताओं में से एक थे.

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राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद
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Published : Dec 3, 2019, 12:56 PM IST

Updated : Dec 3, 2019, 4:07 PM IST

सिवान : बिहार की पावन भूमि पर जन्मे देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद की आज 135 वीं जयंती है. उनके जन्मस्थान सीवान के जीरादेई के अलावा पूरे देश में उनकी जयंती मनाई जा रही है. पूरे देश में अत्यन्त लोकप्रिय होने के कारण उन्हें राजेन्द्र बाबू या देशरत्न कहकर पुकारा जाता था.

विकास की रोशनी से कोसों दूर है गांव
हालांकि राजेंद्र बाबू की जन्मस्थली को देखकर आज भी ऐसा लगता है कि उनका गांव आज भी विकास की रोशनी से कोसों दूर है. जिला मुख्यालय से 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित उनके गांव को देश के पहले राष्ट्रपति देने का गौरव भले प्राप्त है लेकिन विकास से गौरवान्वित होने का सौभाग्य उस गांव को नहीं मिला है.

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डॉ. राजेंद्र प्रसाद का गांव का घर

देश को अनमोल रत्न थे राजेंद्र प्रसाद
डॉ. राजेंद्र प्रसाद का जन्म वर्ष 1884 में सीवान के जीरादेई की धरती पर हुआ था. इस गांव की मिट्टी ने देश को अनमोल रत्न से नवाजा. इस मिट्टी ने हमें ही नहीं बल्कि देश को एक ऐसा रत्न दिया, जिसने देश की जनता के लिए एक ऐसा संविधान बनाया कर दिया जो दुनिया का सबसे अच्छे संविधानों में से एक है. आज उस महान पुरुष के जन्म दिवस के अवसर पर पूरा देश जयंती मानकार माल्यार्पण तो करता है लेकिन कोई उनकी यादों के साथ जुड़ना नहीं चाहता है.

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डॉ. राजेंद्र प्रसाद का कमरा

देशरत्न के गांव को सांसद ने लिया गोद
सिवान जहां आठ विधानसभा में से 6 विधानसभा बिहार के वर्तमान सरकार के विधायकों का कब्जा है. जब देश में बीजेपी की सरकार बनी तब देश के प्रधानमंत्री ने सभी सांसदों को ये निर्देश दिया की वो अपने क्षेत्र के एक ग्राम पंचायत को गोद ले और उसे निर्मल ग्राम पंचायत बनाएं. सीवान के पूर्व बीजेपी सांसद ओमप्रकाश यादव ने भी देशरत्न के गांव को गोद लिया और विकास का जिम्मा उठाया. लेकिन दो साल बीत जाने के बाद भी गांव की तस्वीर नहीं बदली. भले ही जीरादेई को लोग भूल गए लेकिन दूरदर्शन बिहार के निदेशक राजेन्द्र बाबू की धरती पर आकर अपने आप को गौरवान्वित समझते है.

ये भी पढ़ेंः जयंती विशेष : डॉ. राजेन्द्र प्रसाद के लिए पौत्री ने मांगा ये सम्मान

घर के सामने मंदिर, देशरत्न की बहन ने बनवाया था
राजेन्द्र प्रसाद के घर के सामने एक मंदिर है जिसमें राधा-कृष्ण और राम-जानकी की मूर्ति स्थापित है. राजेन्द्र बाबू के एक सेवक बच्चा बाबू, बताते है की ये मंदिर देशरत्न की बहन ने राजेन्द्र प्रसाद के राष्ट्रपति बनने पर बनवाया था. जहां राजेन्द्र बाबु पूजा किया करते थे. आज भी बच्चा बाबू राजेन्द्र प्रसाद की बातें और सेवा भाव बता कर भावुक हो उठते है.

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डॉ. राजेंद्र प्रसाद का घर

जीरादेई को पर्यटन स्थल घोषित करने की मांग
फिलहाल, राजेन्द्र बाबू के गांव में आने वाले छात्र हो या युवा, बच्चे हो या बूढ़े, सभी चाहते है की इस जीरादेई को पर्यटन स्थल घोषित किया जाएं. ताकि लोग राजेन्द्र बाबू को नजदीक से जान सके और देश के प्रथम राष्ट्रपति को नमन कर सके.

सिवान : बिहार की पावन भूमि पर जन्मे देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद की आज 135 वीं जयंती है. उनके जन्मस्थान सीवान के जीरादेई के अलावा पूरे देश में उनकी जयंती मनाई जा रही है. पूरे देश में अत्यन्त लोकप्रिय होने के कारण उन्हें राजेन्द्र बाबू या देशरत्न कहकर पुकारा जाता था.

विकास की रोशनी से कोसों दूर है गांव
हालांकि राजेंद्र बाबू की जन्मस्थली को देखकर आज भी ऐसा लगता है कि उनका गांव आज भी विकास की रोशनी से कोसों दूर है. जिला मुख्यालय से 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित उनके गांव को देश के पहले राष्ट्रपति देने का गौरव भले प्राप्त है लेकिन विकास से गौरवान्वित होने का सौभाग्य उस गांव को नहीं मिला है.

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डॉ. राजेंद्र प्रसाद का गांव का घर

देश को अनमोल रत्न थे राजेंद्र प्रसाद
डॉ. राजेंद्र प्रसाद का जन्म वर्ष 1884 में सीवान के जीरादेई की धरती पर हुआ था. इस गांव की मिट्टी ने देश को अनमोल रत्न से नवाजा. इस मिट्टी ने हमें ही नहीं बल्कि देश को एक ऐसा रत्न दिया, जिसने देश की जनता के लिए एक ऐसा संविधान बनाया कर दिया जो दुनिया का सबसे अच्छे संविधानों में से एक है. आज उस महान पुरुष के जन्म दिवस के अवसर पर पूरा देश जयंती मानकार माल्यार्पण तो करता है लेकिन कोई उनकी यादों के साथ जुड़ना नहीं चाहता है.

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डॉ. राजेंद्र प्रसाद का कमरा

देशरत्न के गांव को सांसद ने लिया गोद
सिवान जहां आठ विधानसभा में से 6 विधानसभा बिहार के वर्तमान सरकार के विधायकों का कब्जा है. जब देश में बीजेपी की सरकार बनी तब देश के प्रधानमंत्री ने सभी सांसदों को ये निर्देश दिया की वो अपने क्षेत्र के एक ग्राम पंचायत को गोद ले और उसे निर्मल ग्राम पंचायत बनाएं. सीवान के पूर्व बीजेपी सांसद ओमप्रकाश यादव ने भी देशरत्न के गांव को गोद लिया और विकास का जिम्मा उठाया. लेकिन दो साल बीत जाने के बाद भी गांव की तस्वीर नहीं बदली. भले ही जीरादेई को लोग भूल गए लेकिन दूरदर्शन बिहार के निदेशक राजेन्द्र बाबू की धरती पर आकर अपने आप को गौरवान्वित समझते है.

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घर के सामने मंदिर, देशरत्न की बहन ने बनवाया था
राजेन्द्र प्रसाद के घर के सामने एक मंदिर है जिसमें राधा-कृष्ण और राम-जानकी की मूर्ति स्थापित है. राजेन्द्र बाबू के एक सेवक बच्चा बाबू, बताते है की ये मंदिर देशरत्न की बहन ने राजेन्द्र प्रसाद के राष्ट्रपति बनने पर बनवाया था. जहां राजेन्द्र बाबु पूजा किया करते थे. आज भी बच्चा बाबू राजेन्द्र प्रसाद की बातें और सेवा भाव बता कर भावुक हो उठते है.

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डॉ. राजेंद्र प्रसाद का घर

जीरादेई को पर्यटन स्थल घोषित करने की मांग
फिलहाल, राजेन्द्र बाबू के गांव में आने वाले छात्र हो या युवा, बच्चे हो या बूढ़े, सभी चाहते है की इस जीरादेई को पर्यटन स्थल घोषित किया जाएं. ताकि लोग राजेन्द्र बाबू को नजदीक से जान सके और देश के प्रथम राष्ट्रपति को नमन कर सके.

Intro:बिहार / डेस्क
आकाश कुमार / सिवान
SLUG देशरत्न की धरती उपेक्षित (स्पेसल पॅकेज राजेन्द्र बाबु की जयंती 3 दिसंबर के लिए )
एंकर - आजादी के 69 वर्ष बीत गए बावजूद आजाद भारत के देशरत्न डा राजेंद्र प्रसाद की जन्म भूमी अभी भी उपेक्षीत है। 3 दिसंबर 1972 को सीवान को जिला का दर्ज मिला। जिले का दर्जा के बाद सीवान का लगातार विकाश होता रहा। लेकिन सीवान जिला स्थापना दिवस के 44साल बाद और देश के आज़ादी के 68 साल बाद भी आज़ाद भारत के प्रथम राष्ट्रपति आज भी अपने ही गांव औए शहर में अपेक्षित है। या यू कहे की (हम भूल गए उनकी विरासत को दोस्तों ! बड़ा बेगाना हुआ ग़ालिब अपने ही शहर में !!} प्रत्येक वर्ष देश रत्न की जयंती पर छोटे से बड़े नेता और अधिकारी आते है ! और राजेंद्र बाबू के गांव और जिले के विकाश करने कराने के वादे करते है और वापस चले जाते है। इन वादों का शीलशिला दशको से चला आ रहा है। लेकिन विकाश के नाम पर आज तक कुछ नहीं हुआ। जिसका मलाल सीवान की जनता और राजेंद्र बाबू के गांव के ग्रामीणो में भी है।

पेश है सिवान से एक रिपोर्ट

V O-1 ये है जीरादेई ग्राम। इस गांव की मिट्टी ने देश को अनमोल रत्न से नवाज़ है। इस मिट्टी ने हमें ही नहीं बल्कि देश को एक ऐसा रत्न दिया जिसने हमारे देश के जनता के लिए एक ऐसा संविधान बनाया कर दिया जो दुनिया का सबसे अच्छे संविधानों में से एक है। आज उस महान पुरुष के जन्म दिवस के अवसर पर पूरा देश जयन्ती मानकार माल्यार्पण तो करता है लेकिन कोई उनके यादो के साथ जुड़ना नहीं चाहता है।आज देश रत्न के गांव में बने उनके पैतृक घर सिर्फ एक शोभा की वस्तु है। यहाँ लोग आते है तो ये जानने की कोशिश करते है कि देश रत्न की यादों से जुडी क्या वस्तुए है क्या यादे है लेकिन उन्हें यहाँ कुछ नहीं मिलता। मिलती है तो सिर्फ उनकी पैतृक घर और एक देश रत्न के की स्टैचू !



1 बाइट - राकेश कुमार tv artist नेशनल ड्रामा स्कूल पास आवुट

VO-2 सिवान जहाँ आठो विधानसभा में से 6 विधानसभा बिहार के वर्तमान सरकार के विधायको क़ा कब्जा है ! या हम ये कह सकते है कि सिवान में भी सुशासन कि सरकार क़ा पूरा प्रभाव है ! शायद इसी का नतीजा है की आज इस महान भूमि प़र देश रत्न राजेंदर बाबु को उपेक्षित किया जा रहा है ! जब देश में बीजेपी की सरकार बनी तब देश के प्रधानमंत्री ने सभी सांसदों को ये निर्देश दिया की वो अपने क्षेत्र के एक ग्राम पंचायत को गोद ले और उसको निर्मल ग्राम पंचायत बनाये और जितना हो सके उसका विकाश करे ! सिवान के बीजेपी पूर्व सांसद ओमप्रकाश यादव ने भी देशरत्न के गाव को गोद लिया और विकाश का जिम्मा उठाया है लेकिन सरकार बने दो साल होने जा रहे है आज तक इस गवां में कोई विकाश यहाँ के सांसद ने नहीं कराया और सांसद के इस उदासीनता से यहाँ के जनता काफी छुब्ध है !

3 कृष्ण कुमार



VO- 3 देश को एक दिशा देने वाले देश के प्रथम राष्टपति देशरत्न डॉ राजेंदर बाबु की सादगी और उनके उच्च विचार , को सिवान की जनता ही नहीं बल्कि अपने आप को देश का नेता कहने वाले जनप्रतिनिधि और जनता की सेवक जिला प्रशासन भी इन्हें भूल चुकी है! और इनकी ये भूल ही न कही देशवासियों के दिल में महापुरुषों के याद को धूमिल करने का कम कर रही है ! दुरदर्शन बिहार के निर्देशक श्री राजकुमार नाहर राजेन्द्र बाबु के धरती पर आकर अपने आप को भाग्यवान समझते है । लेकिन यहाँ के विकाश और उपेक्षा से काफी दुखी भी है

5 राज कुमार नाहर डायरेक्टर दूरदर्शन बिहार



VO - 4 देशरत्न की धरती पर उनके जन्मदिवस के अवसर पर प्रतेक वर्ष राजनीती को एक नया मुद्दा मिलता है की विकाश और उथान होना चाहिए मगर नतीजा सिफर निकलता है ! राजेंदर प्रसाद के गावँ में आने वाले छत्र हो या यूवा बच्चे हो या बूढ़े सभी ये चाहते है की इस ग्राम को पर्यटन स्थल घोषित किये जाना चाहिए और देशरत्न राजेंदर प्रसाद की स्मिर्तियो को यहाँ लाकर स्थापित किये जाना चाहिए ताकि यहाँ भी देश विदेश से लोग आजा सके और राजेंदर बाबु को नजदीक से जान सके और देश के प्रथमराष्टपति को नमन कर सके !

राजेन्द्र प्रसाद के घर के सामने एक मंदिर है जिसमे राधे कृष्ण और राम जानकी की मूर्ति स्थापित है राजेन्द्र बाबु के एक सेवक बच्चा बाबु जो आज भी जीवत है बताते है की ये मंदिर देशरत्न की बहन ने राजेंदर प्रसाद के राष्ट्रपति बनने पर बनवाया था ! जहा राजेन्द्र बाबु पूजा किया करते थे और इस मंदर में वो मूर्ति भी स्थापित है ! जो राजेंदर प्रसाद की राष्ट बयपार मेला में पुरस्कार स्वरुप मिला था ! देश रत्न के सेवक और परिवार के एक सदस्य बन के रहे गावँ के ही पडोसी बाच्चा बाबु राजेंदर बाबु की बाते और सेवा भाव बता कर भाउक हो उठते है ! और वर्तमान की इस गावँ की दशा देख कर कहते है की सिवान के पूर्व सांसद ने इस गवां को गोद तो लिया लेकिन विकाश के नाम पर कुछ नही किये



6 बाइट बच्चा बाबु राजेन्द्र बाबु के सेवकBody:NA Conclusion:NA
Last Updated : Dec 3, 2019, 4:07 PM IST
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