सिवान : बिहार की पावन भूमि पर जन्मे देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद की आज 135 वीं जयंती है. उनके जन्मस्थान सीवान के जीरादेई के अलावा पूरे देश में उनकी जयंती मनाई जा रही है. पूरे देश में अत्यन्त लोकप्रिय होने के कारण उन्हें राजेन्द्र बाबू या देशरत्न कहकर पुकारा जाता था.
विकास की रोशनी से कोसों दूर है गांव
हालांकि राजेंद्र बाबू की जन्मस्थली को देखकर आज भी ऐसा लगता है कि उनका गांव आज भी विकास की रोशनी से कोसों दूर है. जिला मुख्यालय से 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित उनके गांव को देश के पहले राष्ट्रपति देने का गौरव भले प्राप्त है लेकिन विकास से गौरवान्वित होने का सौभाग्य उस गांव को नहीं मिला है.
देश को अनमोल रत्न थे राजेंद्र प्रसाद
डॉ. राजेंद्र प्रसाद का जन्म वर्ष 1884 में सीवान के जीरादेई की धरती पर हुआ था. इस गांव की मिट्टी ने देश को अनमोल रत्न से नवाजा. इस मिट्टी ने हमें ही नहीं बल्कि देश को एक ऐसा रत्न दिया, जिसने देश की जनता के लिए एक ऐसा संविधान बनाया कर दिया जो दुनिया का सबसे अच्छे संविधानों में से एक है. आज उस महान पुरुष के जन्म दिवस के अवसर पर पूरा देश जयंती मानकार माल्यार्पण तो करता है लेकिन कोई उनकी यादों के साथ जुड़ना नहीं चाहता है.
देशरत्न के गांव को सांसद ने लिया गोद
सिवान जहां आठ विधानसभा में से 6 विधानसभा बिहार के वर्तमान सरकार के विधायकों का कब्जा है. जब देश में बीजेपी की सरकार बनी तब देश के प्रधानमंत्री ने सभी सांसदों को ये निर्देश दिया की वो अपने क्षेत्र के एक ग्राम पंचायत को गोद ले और उसे निर्मल ग्राम पंचायत बनाएं. सीवान के पूर्व बीजेपी सांसद ओमप्रकाश यादव ने भी देशरत्न के गांव को गोद लिया और विकास का जिम्मा उठाया. लेकिन दो साल बीत जाने के बाद भी गांव की तस्वीर नहीं बदली. भले ही जीरादेई को लोग भूल गए लेकिन दूरदर्शन बिहार के निदेशक राजेन्द्र बाबू की धरती पर आकर अपने आप को गौरवान्वित समझते है.
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घर के सामने मंदिर, देशरत्न की बहन ने बनवाया था
राजेन्द्र प्रसाद के घर के सामने एक मंदिर है जिसमें राधा-कृष्ण और राम-जानकी की मूर्ति स्थापित है. राजेन्द्र बाबू के एक सेवक बच्चा बाबू, बताते है की ये मंदिर देशरत्न की बहन ने राजेन्द्र प्रसाद के राष्ट्रपति बनने पर बनवाया था. जहां राजेन्द्र बाबु पूजा किया करते थे. आज भी बच्चा बाबू राजेन्द्र प्रसाद की बातें और सेवा भाव बता कर भावुक हो उठते है.
जीरादेई को पर्यटन स्थल घोषित करने की मांग
फिलहाल, राजेन्द्र बाबू के गांव में आने वाले छात्र हो या युवा, बच्चे हो या बूढ़े, सभी चाहते है की इस जीरादेई को पर्यटन स्थल घोषित किया जाएं. ताकि लोग राजेन्द्र बाबू को नजदीक से जान सके और देश के प्रथम राष्ट्रपति को नमन कर सके.