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आसमान के नीचे पढ़ने को मजबूर हैं बच्चे, प्रिंसिपल बोले- शिकायतों पर नहीं होती सुनवाई

सिवान के मोहम्मदपुर गांव में स्थित नया प्राथमिक विद्यालय की स्थिति बद से बदतर है. यहां बच्चे खुले आसमान में पढ़ाई करते हैं. इस विद्यालय के पास न तो अपना भवन है न ही कोई अन्य सुविधा.

खुले आसमान में पढ़ाई करते बच्चे
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Published : Apr 18, 2019, 12:06 AM IST

सिवान: सरकार शिक्षा में सुधार के लाख दावे कर ले पर जमीनी हकीकत कुछ और ही है. सिवान के मोहम्मदपुर गांव का ये नया प्राथमिक विद्यालय उन सभी दावों की पोल खोल रहा है. यहां बच्चों की कक्षाएं पेड़ के नीचे चलती है और प्रशासन को इसकी कोई खोज खबर नहीं है.

विद्यालय में नहीं है कोई सुविधा
खुले आसमान के नीचे चलने वाले इस विद्यालय के पास न तो अपना भवन है, न शौचालय और न ही कोई रसोई, जिससे बच्चों को पौषटिक भोजन मिल सके. यहां के बच्चे सुविधाओं के अभाव में ठंडी हो या गर्मी सभी मौसम में अपनी पढ़ाई करते हैं.

संवाददाता, आलोक भारती

गावं का इकलौता विद्यालय
इस विद्यालय की स्थापना 2006 में हुई थी. ग्रामीणों की माने तो गावं का ये इकलौता प्राथमिक विद्यालय है जिसमें बच्चे पढ़ने जाते हैं. इस कारण ग्रामीण अपने बच्चों को इस विद्यालय में न भेजकर दूर के विद्यालय में भेजने को विवश हैं.

अनहोनी होने का डर
ग्रामीणों का कहना है कि उनके बच्चे जब पढ़ने जाते हैं तब से लेकर उनके घर आने तक उनके मन में डर सताता रहता है कि कहीं कुछ अनहोनी न हो जाये. उनके अनुसार एमडीएम का खाना भी खुले में बनता है, जिससे खाने में कुछ गिर जाने का भी डर बना रहता है.

नहीं हो रही कोई सुनवाई
विद्यालय के प्रधानाचार्य ने बताया कि वरीय अधिकारियों से कई बार इसकी शिकायत की गई, मगर कोई सुनवाई नहीं हुई. वहीं, महिला शिक्षिका बताती हैं कि विद्यालय में शौचालय नहीं होने के कारण उन्हें भी बच्चों के साथ शौच के लिए जाना पड़ता है. इससे कफी परेशानी होती है.

शिक्षा पदाधिकारी ने दिया आश्वासन
वहीं, इस मामले में जब क्षा पदाधिकारी से बात की गई हो उन्होंने अनभिज्ञता जाहिर करते हुए कहा कि हमें इसकी जानकारी नहीं है.हम प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी को इसकी सूचना देते हैं. उसके बाद उचित कार्रवाई की जाएगी.

सिवान: सरकार शिक्षा में सुधार के लाख दावे कर ले पर जमीनी हकीकत कुछ और ही है. सिवान के मोहम्मदपुर गांव का ये नया प्राथमिक विद्यालय उन सभी दावों की पोल खोल रहा है. यहां बच्चों की कक्षाएं पेड़ के नीचे चलती है और प्रशासन को इसकी कोई खोज खबर नहीं है.

विद्यालय में नहीं है कोई सुविधा
खुले आसमान के नीचे चलने वाले इस विद्यालय के पास न तो अपना भवन है, न शौचालय और न ही कोई रसोई, जिससे बच्चों को पौषटिक भोजन मिल सके. यहां के बच्चे सुविधाओं के अभाव में ठंडी हो या गर्मी सभी मौसम में अपनी पढ़ाई करते हैं.

संवाददाता, आलोक भारती

गावं का इकलौता विद्यालय
इस विद्यालय की स्थापना 2006 में हुई थी. ग्रामीणों की माने तो गावं का ये इकलौता प्राथमिक विद्यालय है जिसमें बच्चे पढ़ने जाते हैं. इस कारण ग्रामीण अपने बच्चों को इस विद्यालय में न भेजकर दूर के विद्यालय में भेजने को विवश हैं.

अनहोनी होने का डर
ग्रामीणों का कहना है कि उनके बच्चे जब पढ़ने जाते हैं तब से लेकर उनके घर आने तक उनके मन में डर सताता रहता है कि कहीं कुछ अनहोनी न हो जाये. उनके अनुसार एमडीएम का खाना भी खुले में बनता है, जिससे खाने में कुछ गिर जाने का भी डर बना रहता है.

नहीं हो रही कोई सुनवाई
विद्यालय के प्रधानाचार्य ने बताया कि वरीय अधिकारियों से कई बार इसकी शिकायत की गई, मगर कोई सुनवाई नहीं हुई. वहीं, महिला शिक्षिका बताती हैं कि विद्यालय में शौचालय नहीं होने के कारण उन्हें भी बच्चों के साथ शौच के लिए जाना पड़ता है. इससे कफी परेशानी होती है.

शिक्षा पदाधिकारी ने दिया आश्वासन
वहीं, इस मामले में जब क्षा पदाधिकारी से बात की गई हो उन्होंने अनभिज्ञता जाहिर करते हुए कहा कि हमें इसकी जानकारी नहीं है.हम प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी को इसकी सूचना देते हैं. उसके बाद उचित कार्रवाई की जाएगी.

Intro:खुले आसमान के नीचे पढ़ाई करते देश के भविष्य

सिवान

सरकार शिक्षा पर करोड़ों रुपये खर्च कर रही है पर शिक्षा में सुधार के भले की लाख दावे कर लें पर जमीनी हकीकत कुछ और ही है कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला सिवान के मोहम्मदपुर गांव के एक नया प्राथमिक विद्यालय में जहां पेड़ के नीचे खुले आसमान में छोटे निहाल बच्चे अपना भविष्य सुधारने में लगे हुए हैं.देखने से ऐसा प्रतीत होता है कि ये विद्यालय हैं ही नहीं कुछ बच्चे ऐसे ही खुले में ट्यूशन ले रहे हो पर ये स्कूल ही हैं जहां ये बच्चे रोजना पढ़ने आते हैं. इस विद्यालय का ना अपना भवन है, ना शौचालय, ना रसोई भवन के आभाव में ये बच्चे बिना ब्लैकबोर्ड के वर्षों से ऐसे ही पढाई करते आ रहें हैं.
ये बच्चे ठंड में, धूप में ऐसे ही पढ़ाई करते हैं वही बारिश के दिनों में सामुदायिक भवन में पढ़ाई होती है.





Body:खुले आसमान के नीचे चल रहे इस विद्यालय का स्थापना वर्ष 2006 में हुआ था.ग्रामीणों की माने तो गाँव का ये इकलौता प्राथमिक विद्यालय है जिसमे बच्चे पढ़ने जाते हैं. वही अब ग्रामीण अपने बच्चों को इस विद्यालय में न भेजकर दूर के विद्यालय में भेजने को विवश हैं.ग्रामीणों का कहना है कि हमारे बच्चे इस विद्यालय जब पढ़ने जाते हैं तब से लेकर उनके घर आने तक हमें डर सताता रहता है कि कही कुछ अनहोनी न हो जाये, ग्रामीण बताते हैं एमडीएम का खाना भी खुले में बनता है इससे भी डर लगता है कि खाने में कुछ गिर ना जाये. वही विद्यालय के प्रधानाचार्य ने बताया कि हमने कई बार इसकी शिकायत अपने वरीय अधिकारियों से की पर हमें भवन नहीं मिला हम अपना काम जिम्मेदारी पूर्वक करते हैं मैं और मेरी सहयोगी शिक्षिका रोजना इस स्कूल को खुले आसमान के नीचे चलाते हैं.वही महिला शिक्षिका बताती है विद्यालय में शौचालय नहीं होने के कारण बच्चो के साथ साथ हमें भी खुले में शौच के लिए जाना पड़ता है जिससे हमें काफी परेशानी होती है सरकार जल्द से जल्द यहां एक भवन का निर्माण कराए.वही ग्रामीणों ने बताया कि मुख्यमंत्री से लेकर जिला पदाधिकारी, शिक्षा पदाधिकारी समेत कई अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों से इसकी शिकायत की और भवन बनवाने की मांग की पर हमें 13 वर्षों से सिर्फ आस्वासन ही मिलता रहा है.





Conclusion:वही जब इस सम्बंध के जिला शिक्षा पदाधिकारी से बात की गई हो उन्होंने अनभिज्ञता जाहिर करते हुए कहा कि हमें इसकी जानकारी नहीं है हम प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी को इसकी सूचना देते हैं. बहरहाल जो भी हो पर शिक्षा व्यवस्था की पोल सिवान में खुल गई है.


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