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कोरोना का कहर: पुनौराधाम में पर्यटकों की संख्या में आयी बेहद कमी - Tourists do not come to Punauradham

कोरोनो वायरस के खतरे का असर पर्यटन स्थलों पर देखने को मिल रहा है. सीतामढ़ी के पुनौराधाम सहित कई पर्यटक स्थल पर सन्नाटा पसरा है. आम दिनों मे भीड़-भाड़ वाले ऐसे स्थलों पर फिलहाल कोई खास चहलकदमी नहीं दिख रही है.

Corona virus
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Published : Mar 17, 2020, 1:11 PM IST

सीतामढ़ी: एक तरफ पूरे विश्व सहित भारत में कोरोना वायरस को लेकर भय का माहौल बना हुआ है. जिले में कोरोना वायरस का कहर धार्मिक स्थलों पर पड़ रहा है. करीब आधा दर्जन पौराणिक मंदिरों में सन्नाटा छाया हुआ है.

सीतामढ़ी के पुनौरा धाम जानकी स्थान, पंथपाकर कालेश्वर स्थान समेत त्रेता युग रामायण काल से जुड़े स्थलों पर कोरोना को लेकर सन्नाटा पसरा है. पुनौरा धाम में प्रत्येक दिन हजारों की संख्या में दूरदराज से पर्यटक आते थे, लेकिन इनकी संख्या में अब न के बराबर होकर रह गई है. जो आते भी है उन्हें जिला प्रशासन यहां से तुरंत नौ दो ग्यारह कर देती है. इस कारण सबके चेहरे पर कोरोना वायरस का खौफ है.

Corona virus
कोरोना वायरस के कहर से नहीं आते है पर्यटक

पर्यटक के नहीं आने व्यपारी परेशान
इस पुनौरा धाम में प्रत्येक दिन 10 से 12 हजार पर्यटक पहुंचते हैं, लेकिन फिलहाल स्थानीय लोगों के आने-जाने से ही मंदिरों की घंटियां में शोर सुनाई देती है. वहीं, पर्यटकों के नहीं आने से यहां के व्यपारी भी परेशान है.

बता दें कि सीतामढ़ी शहर से 5 किलोमीटर पश्चिम में पुनौरा गांव में भव्य जानकी मंदिर है. ऐसा माना जाता है कि माता सीता का जन्म इसी स्थान पर हुआ था. इससे जुड़ी कथा है कि मिथिला में एक बार भीषण अकाल पड़ा. पुरोहित ने राजा जनक को खेत में हल चलाने की सलाह दी. पुनौरा में राजा जनक ने खेत में हल जोता था. जब राजा जनक हल चला रहे थे तब जमीन से मिट्टी का एक पात्र निकला, जिसमें माता सीता शिशु अवस्था में थी.

देखें रिपोर्ट.

आस-पास है कईं महत्वपूर्ण तीर्थ
पुनौरा के आस पास सीता माता एवं राजा जनक से जुड़े कई तीर्थ स्थल है. जहां राजा ने हल जोतना प्रारंभ किया था. वहां पहले उन्होनें महादेव का पूजन किया था. उस शिवालय को हलेश्वर मंदिर के नाम से जाना जाता है. मान्यता है कि एक समय पर विदेह नाम के राजा ने इस शिव मंदिर का निमार्ण पुत्रेष्टि यज्ञ के लिए करवाया था.

सीतामढ़ी: एक तरफ पूरे विश्व सहित भारत में कोरोना वायरस को लेकर भय का माहौल बना हुआ है. जिले में कोरोना वायरस का कहर धार्मिक स्थलों पर पड़ रहा है. करीब आधा दर्जन पौराणिक मंदिरों में सन्नाटा छाया हुआ है.

सीतामढ़ी के पुनौरा धाम जानकी स्थान, पंथपाकर कालेश्वर स्थान समेत त्रेता युग रामायण काल से जुड़े स्थलों पर कोरोना को लेकर सन्नाटा पसरा है. पुनौरा धाम में प्रत्येक दिन हजारों की संख्या में दूरदराज से पर्यटक आते थे, लेकिन इनकी संख्या में अब न के बराबर होकर रह गई है. जो आते भी है उन्हें जिला प्रशासन यहां से तुरंत नौ दो ग्यारह कर देती है. इस कारण सबके चेहरे पर कोरोना वायरस का खौफ है.

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कोरोना वायरस के कहर से नहीं आते है पर्यटक

पर्यटक के नहीं आने व्यपारी परेशान
इस पुनौरा धाम में प्रत्येक दिन 10 से 12 हजार पर्यटक पहुंचते हैं, लेकिन फिलहाल स्थानीय लोगों के आने-जाने से ही मंदिरों की घंटियां में शोर सुनाई देती है. वहीं, पर्यटकों के नहीं आने से यहां के व्यपारी भी परेशान है.

बता दें कि सीतामढ़ी शहर से 5 किलोमीटर पश्चिम में पुनौरा गांव में भव्य जानकी मंदिर है. ऐसा माना जाता है कि माता सीता का जन्म इसी स्थान पर हुआ था. इससे जुड़ी कथा है कि मिथिला में एक बार भीषण अकाल पड़ा. पुरोहित ने राजा जनक को खेत में हल चलाने की सलाह दी. पुनौरा में राजा जनक ने खेत में हल जोता था. जब राजा जनक हल चला रहे थे तब जमीन से मिट्टी का एक पात्र निकला, जिसमें माता सीता शिशु अवस्था में थी.

देखें रिपोर्ट.

आस-पास है कईं महत्वपूर्ण तीर्थ
पुनौरा के आस पास सीता माता एवं राजा जनक से जुड़े कई तीर्थ स्थल है. जहां राजा ने हल जोतना प्रारंभ किया था. वहां पहले उन्होनें महादेव का पूजन किया था. उस शिवालय को हलेश्वर मंदिर के नाम से जाना जाता है. मान्यता है कि एक समय पर विदेह नाम के राजा ने इस शिव मंदिर का निमार्ण पुत्रेष्टि यज्ञ के लिए करवाया था.

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