सीतामढ़ी: जिले में बाढ़ ने सब कुछ तबाह कर दिया है. इस जल प्रलय के बाद बेघर हुए लोग विगत 13 दिनों से कम्यूनिटी किचन में खाना खाने को मजबूर हैं. अपना दर्द बयां करते हुए बाढ़ पीड़ितों का कहना है कि वो अब अपने घर जाना चाहते हैं. ये दर्द अब असहनीय हो रहा है.
13 जुलाई को जिले में भीषण बाढ़ आई थी. इस बाढ़ से जिले के 16 प्रखंड और 200 पंचायत पूरी तरह से प्रभावित हो गयी. करीब चार लाख से अधिक की आबादी को ऊंचे स्थानों पर शरण लेना पड़ा और करीब 1 लाख लोग बेघर हो गए. जिले में तकरीबन 200 सामुदायिक किचन बनाए गए हैं. बाढ़ पीड़ित इन्हीं किचन में पक रहा खाना खा गुजर-बसर कर रहे हैं. वहीं, इन्हें घर वापसी की भी चिंता सता रही है. ये जल्द से जल्द अपने घर जाना चाहते हैं.
'अपना घर अपना ही होता है'
राहत शिविर में शरण लिए महिलाओं ने रोते-बिलखते बताया कि इस बाढ़ में उनका सबकुछ तबाह हो गया है. अपना घर अपना ही होता है इसलिए वो अपने घर लौटना चाहती हैं. वहीं, कई गांवों में अभी भी बाढ़ का पानी भरा हुआ है. इसके चलते ये लोग अपने घर वापस नहीं जा सकते हैं. जिले में कुछ लोग जहां बाढ़ का पानी कम हो गया है, घर वापसी कर चुके हैं.
प्रशासन कर रहा है पूरी मदद
जिले में बने सामुदायिक किचन के लिए कई अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति की गई है. इसके अलावे जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सेक्रेटरी रवीन्द्र कुमार राय भी सभी सामुदायिक किचन पर जाकर व्यवस्था का निरीक्षण भी कर रहे हैं. राहत शिविर में स्वास्थ्य टीम भी मौजूद है.
डीएम रंजीत कुमार सिंह ने बताया कि अब कुछ प्रखंडों में सामुदायिक किचन की संख्या कम कर दी गई है क्योंकि अब कुछ परिवार पानी कम होने के बाद अपने घर को लौट चुके हैं. अभी फिलहाल 197 सामुदायिक किचन संचालित हैं. जहां करीब 60 हजार बाढ़ पीड़ित सुबह-शाम भोजन कर रहे हैं. जरूरत के अनुसार सामुदायिक किचन की संख्या बढ़ाई और कम की जा रही हैं.