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13 दिनों से कम्यूनिटी किचन का खाना खा रहे हैं बाढ़ पीड़ित, बोले- अपना घर अपना ही होता है

महिलाओं ने बताया कि इस बाढ़ में उनका सबकुछ तबाह हो गया है. अपना घर अपना ही होता है इसलिए वो अपने घर लौटना चाहती हैं.

बाढ़ पीड़ित
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Published : Jul 26, 2019, 11:14 PM IST

सीतामढ़ी: जिले में बाढ़ ने सब कुछ तबाह कर दिया है. इस जल प्रलय के बाद बेघर हुए लोग विगत 13 दिनों से कम्यूनिटी किचन में खाना खाने को मजबूर हैं. अपना दर्द बयां करते हुए बाढ़ पीड़ितों का कहना है कि वो अब अपने घर जाना चाहते हैं. ये दर्द अब असहनीय हो रहा है.

13 जुलाई को जिले में भीषण बाढ़ आई थी. इस बाढ़ से जिले के 16 प्रखंड और 200 पंचायत पूरी तरह से प्रभावित हो गयी. करीब चार लाख से अधिक की आबादी को ऊंचे स्थानों पर शरण लेना पड़ा और करीब 1 लाख लोग बेघर हो गए. जिले में तकरीबन 200 सामुदायिक किचन बनाए गए हैं. बाढ़ पीड़ित इन्हीं किचन में पक रहा खाना खा गुजर-बसर कर रहे हैं. वहीं, इन्हें घर वापसी की भी चिंता सता रही है. ये जल्द से जल्द अपने घर जाना चाहते हैं.

दास्तां बताती बाढ़ पीड़ित महिला

'अपना घर अपना ही होता है'
राहत शिविर में शरण लिए महिलाओं ने रोते-बिलखते बताया कि इस बाढ़ में उनका सबकुछ तबाह हो गया है. अपना घर अपना ही होता है इसलिए वो अपने घर लौटना चाहती हैं. वहीं, कई गांवों में अभी भी बाढ़ का पानी भरा हुआ है. इसके चलते ये लोग अपने घर वापस नहीं जा सकते हैं. जिले में कुछ लोग जहां बाढ़ का पानी कम हो गया है, घर वापसी कर चुके हैं.

प्रशासन कर रहा है पूरी मदद
जिले में बने सामुदायिक किचन के लिए कई अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति की गई है. इसके अलावे जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सेक्रेटरी रवीन्द्र कुमार राय भी सभी सामुदायिक किचन पर जाकर व्यवस्था का निरीक्षण भी कर रहे हैं. राहत शिविर में स्वास्थ्य टीम भी मौजूद है.

महिलाओं ने रोते-बिलखते बताया कि इस बाढ़ में उनका सबकुछ तबाह हो गया है. अपना घर अपना ही होता है इसलिए वो अपने घर लौटना चाहती हैं. वहीं, कई गांवों में अभी भी बाढ़ का पानी भरा हुआ है. इसके चलते ये लोग अपने घर वापस नहीं जा सकते हैं.
खाना खाते बच्चे

डीएम रंजीत कुमार सिंह ने बताया कि अब कुछ प्रखंडों में सामुदायिक किचन की संख्या कम कर दी गई है क्योंकि अब कुछ परिवार पानी कम होने के बाद अपने घर को लौट चुके हैं. अभी फिलहाल 197 सामुदायिक किचन संचालित हैं. जहां करीब 60 हजार बाढ़ पीड़ित सुबह-शाम भोजन कर रहे हैं. जरूरत के अनुसार सामुदायिक किचन की संख्या बढ़ाई और कम की जा रही हैं.

सीतामढ़ी: जिले में बाढ़ ने सब कुछ तबाह कर दिया है. इस जल प्रलय के बाद बेघर हुए लोग विगत 13 दिनों से कम्यूनिटी किचन में खाना खाने को मजबूर हैं. अपना दर्द बयां करते हुए बाढ़ पीड़ितों का कहना है कि वो अब अपने घर जाना चाहते हैं. ये दर्द अब असहनीय हो रहा है.

13 जुलाई को जिले में भीषण बाढ़ आई थी. इस बाढ़ से जिले के 16 प्रखंड और 200 पंचायत पूरी तरह से प्रभावित हो गयी. करीब चार लाख से अधिक की आबादी को ऊंचे स्थानों पर शरण लेना पड़ा और करीब 1 लाख लोग बेघर हो गए. जिले में तकरीबन 200 सामुदायिक किचन बनाए गए हैं. बाढ़ पीड़ित इन्हीं किचन में पक रहा खाना खा गुजर-बसर कर रहे हैं. वहीं, इन्हें घर वापसी की भी चिंता सता रही है. ये जल्द से जल्द अपने घर जाना चाहते हैं.

दास्तां बताती बाढ़ पीड़ित महिला

'अपना घर अपना ही होता है'
राहत शिविर में शरण लिए महिलाओं ने रोते-बिलखते बताया कि इस बाढ़ में उनका सबकुछ तबाह हो गया है. अपना घर अपना ही होता है इसलिए वो अपने घर लौटना चाहती हैं. वहीं, कई गांवों में अभी भी बाढ़ का पानी भरा हुआ है. इसके चलते ये लोग अपने घर वापस नहीं जा सकते हैं. जिले में कुछ लोग जहां बाढ़ का पानी कम हो गया है, घर वापसी कर चुके हैं.

प्रशासन कर रहा है पूरी मदद
जिले में बने सामुदायिक किचन के लिए कई अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति की गई है. इसके अलावे जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सेक्रेटरी रवीन्द्र कुमार राय भी सभी सामुदायिक किचन पर जाकर व्यवस्था का निरीक्षण भी कर रहे हैं. राहत शिविर में स्वास्थ्य टीम भी मौजूद है.

महिलाओं ने रोते-बिलखते बताया कि इस बाढ़ में उनका सबकुछ तबाह हो गया है. अपना घर अपना ही होता है इसलिए वो अपने घर लौटना चाहती हैं. वहीं, कई गांवों में अभी भी बाढ़ का पानी भरा हुआ है. इसके चलते ये लोग अपने घर वापस नहीं जा सकते हैं.
खाना खाते बच्चे

डीएम रंजीत कुमार सिंह ने बताया कि अब कुछ प्रखंडों में सामुदायिक किचन की संख्या कम कर दी गई है क्योंकि अब कुछ परिवार पानी कम होने के बाद अपने घर को लौट चुके हैं. अभी फिलहाल 197 सामुदायिक किचन संचालित हैं. जहां करीब 60 हजार बाढ़ पीड़ित सुबह-शाम भोजन कर रहे हैं. जरूरत के अनुसार सामुदायिक किचन की संख्या बढ़ाई और कम की जा रही हैं.

Intro:बिगत 13 दिनों से अपने आशियाना से बेघर हुए बाढ़ पीड़ित खा रहे है सामुदायिक किचेन का खाना। अपने घर जाने के लिए वेताब है पीड़ित। Body:विगत 13 दिनों से जिले के बाढ़ पीड़ित सरकार द्वारा बनाए गए सामुदायिक किचेन का खाना खाने को विवश। 13 जुलाई को जिले में भीषण बाढ़ आई थी और इस बाढ़ के कारण जिले का 16 प्रखंड और 200 पंचायत पूरी तरह से प्रभावित हो गया था। करीब चार लाख से अधिक की आबादी को ऊंचे स्थानों पर शरण लेना पड़ा। और करीब 1 लाख परिवार के घरों में पानी घुस जाने और घरों के ध्वस्त हो जाने के कारण जिला प्रशासन द्वारा बनाए गए करीब 200 सामुदायिक कीचेन और शरणस्थली में शरण लिए हुए हैं। लेकिन अपने घर से बेघर हुए बाढ़ पीड़ितों का दर्द अब असहनीय हो चुका है। सामुदायिक किचन में खाना खा कर गुजर-बसर कर रहे बाढ़ पीड़ित को अपने घर वापसी की काफी चिंता सता रही है। वह जल्द से जल्द अपने घर में जाना चाहते हैं। लेकिन प्राकृतिक आपदा के कारण वह अभी घर लौट नहीं सकते। लिहाजा उन्हें अभी कुछ और दिनों तक समुदायिक किचन का ही खाना खा कर गुजर-बसर करना होगा। जिला प्रशासन की ओर से जिले के 16 प्रखंडों में करीब 200 सामुदायिक किचन बनाए गए हैं।जहां प्रतिदिन 1 लाख बाढ़ पीड़ित भोजन कर रहे हैं। और उनके लिए उस शिविर में स्वास्थ्य सेवा के लिए जीवन रक्षक दवा की भी व्यवस्था की गई है। और रसोइयों की तैनाती की गई है जो दिन रात खाना बनाकर बाढ़ पीड़ितों को खिला रहे हैं। नगर पालिका स्कूल में चल रहे समुदायिक किचन में जब ईटीवी भारत ने जायजा लिया तो वहां रह रहे बाढ़ पीड़ित महिलाओं ने रोते बिलखते बताया कि इस बाढ़ में उसका सब कुछ बर्बाद हो चुका है। इसके बावजूद अपना घर अपना होता है।इसलिए जल्द से जल्द घर लौटना चाहती है। हालांकि जिले में बने सामुदायिक किचन के लिए कई अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति की गई है। इसके अलावे जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सेक्रेटरी रविंद्र कुमार राय भी सभी सामुदायिक किचन पर जाकर जिला प्रशासन के द्वारा की गई व्यवस्था का निरीक्षण भी कर रहे हैं। वहीं डीएम रंजीत कुमार सिंह ने बताया कि अब कुछ प्रखंडों में समुदायिक किचन की संख्या कम कर दी गई है। क्योंकि अब कुछ परिवार पानी कम होने के बाद अपने घर को लौट चुके हैं अभी फिलहाल 197 सामुदायिक किचन संचालित है। जहां करीब 60 हजार बाढ़ पीड़ित सुबह-शाम भोजन कर रहे हैं। जरूरत के अनुसार समुदायिक किचन की संख्या बढ़ाई और कम की जा रही है। बाइट 1. बाढ़ पीड़ित महिला। पीला साड़ी में। बाइट 2. बाढ़ पीड़ित महिला। उजला साड़ी में। बाइट 3. रवींद्र कुमार राय। सेक्रेटरी। जिला विधिक सेवा प्राधिकार सीतामढ़ी। उजला शर्ट में। बाइट 4. रंजीत कुमार सिंह। डीएम सीतामढ़ी। ब्लू शर्ट में। पी टू सी 5. विजुअल 6. 7.8.9Conclusion:पी टू सी राहुल देव सोलंकी। सीतामढ़ी।
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