सीतामढ़ी: 1950 से संचालित जिले का एकमात्र उद्योग रीगा चीनी मिल बदहाली का शिकार है. सरकार और प्रबंधन के बीच जारी खींचतान की वजह से मिल का संचालन मुश्किल दिख रहा है.
मिल नहीं चलाने की घोषणा
इस चीनी मिल के बंद हो जाने के कारण 3 जिलों के करीब 45000 गन्ना किसान और करीब 1500 श्रमिक भुखमरी के शिकार हो जाएंगे. वहीं मिल प्रबंधन ने आर्थिक विसंगतियों का हवाला देते हुए मिल नहीं चलाने की घोषणा कर चुका है.
श्रमिक और गन्ना किसानों के बीच संशय
इसके बाद से श्रमिक और गन्ना किसानों के बीच मिल के संचालन को लेकर संशय बना हुआ है. क्योंकि हर साल दिसंबर से गन्ना पेराई का नया सत्र शुरु होता है. इसलिए गन्ना किसान और श्रमिक इस संशय में बैठे हैं कि पेराई सत्र 20-21 में मिल का संचालन होगा या नहीं.
चीनी मिल प्रबंधन का राज्य सरकार पर आरोप
वहीं दूसरी तरफ चीनी मिल प्रबंधन का आरोप है कि राज्य सरकार चीनी मिल को आर्थिक मदद नहीं दे रही है. सरकार के ऊपर चीनी मिल का करोड़ों बकाया है. इसका भुगतान नहीं किया जा रहा. ऐसे हालातों में चीनी मिल का संचालन करना बेहद मुश्किल है.
'मिल को बंद होते नहीं देखना चाहता'
मिल के सीएमडी ओमप्रकाश धानुका ने बताया कि इस चीनी मिल को उन्होंने एक बच्चे की तरह पाल पोस कर बड़ा किया है वो इसे बंद होता नहीं देखना चाहते. इसलिए मैं चाहता हूं कि कोई व्यक्ति अगर इसका संचालन करने के लिए आगे आए तो मैं उसे केवल 1 रुपये में चीनी मिल सौंप दूंगा. धानुका ने कहा कि मैं चाहता हूं कि हर हाल में इस चीनी मिल का संचालन हो. लेकिन राज्य सरकार ऐसा नहीं चाह रही है. यहीं कारण है कि राज्य सरकार के प्रति मेरे दिल में नाराजगी है.
'साजिश के तहत धोखाधड़ी का मामला दर्ज'
सीएमडी ओम प्रकाश धानुका ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाए. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के निर्देश पर साजिश के तहत मेरे खिलाफ गन्ना उद्योग विभाग के केन ऑफिसर जे पी एन सिंह ने धोखाधड़ी का मामला दर्ज कराया है. मैंने किसी तरह की धोखाधड़ी नहीं की है. ये सब कुछ साजिश के तहत किया गया है. इसकी उचित जांच होनी चाहिए.
बीते 10 सालों में 121 करोड़ का घाटा
रीगा चीनी मिल के सीएमडी ओम प्रकाश धानुका और महाप्रबंधक शशि गुप्ता ने बताया कि बीते 10 सालों में चीनी मिल को 121 करोड़ का घाटा हुआ है. इसके बावजूद 52 करोड़ की नई मशीनरी लगाई गई. रखरखाव पर 32 करोड़ रुपये अतिरिक्त खर्च किए गए. इन सबके अलावा सरकार के ऋण के 65 करोड़ रूपये भी लौटाए गए हैं.
'सॉफ्ट लोन नहीं दे रही सरकार'
मिल के अधिकारियों ने बताया कि पिछले साल मिल की रिपेयरिंग में 12 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं. आर्थिक हालात बेहद बिगड़ते जा रहे हैं. इसलिए सरकार से 60 करोड़ रुपए के सॉफ्ट लोन की मांग कर रहे हैं. लेकिन मेरी 300 करोड़ की संपत्ति के एवज में सरकार हमें सॉफ्ट लोन नहीं दे रही है. इस कारण मिल का संचालन, गन्ना किसानों और श्रमिकों के बकाए पैसे का भुगतान नहीं किया जा रहा है.