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बारिश और आंधी से हजारों हेक्टेयर में लगी गेहूं की फसल बर्बाद, किसानों के सामने आर्थिक संकट - सरकार से मदद की आस

किसानों ने बताया कि 13 जुलाई को आई भीषण बाढ़ से धान की फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई थी. जिसके बाद रबी की फसल से आमदनी की उम्मीद थी. लेकिन इस प्राकृतिक आपदा से किसानों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

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Published : Apr 15, 2020, 11:10 AM IST

सीतामढ़ीः जिले में मंगलवार की रात अचानक आई आंधी और बारिश ने हजारों किसानों की फसल को पूरी तरह बर्बाद कर दिया. जिससे किसानों को काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है. उनके सामने परिवार के भरण-पोषण के लिए अब कोई विकल्प नहीं बचा है.

समय पर नहीं हो पाई गेहूं की कटनी
किसानों ने बताया कि फरवरी और मार्च में हुई ओलावृष्टि और बारिश के कारण पहले ही रबी फसल प्रभावित हो गई थी. इसके बाद मार्च में कोरोना के कारण लागू लॉक डाउन की वजह से किसान गेहूं की कटनी समय पर नहीं कर पाए थे. सरकारी आदेश के बाद गेहूं की कटनी शुरू हुई थी कि अचानक आई आंधी तूफान ने फसल बर्बाद कर दिया.

परिवार के भरण पोषण की समस्या
किसानों ने बताया कि 13 जुलाई को आई भीषण बाढ़ से धान की फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई थी. जिसके बाद रबी की फसल से आमदनी की उम्मीद थी. जिससे परिवार का भरण पोषण हो पाएगा. लेकिन इस प्राकृतिक आपदा से किसानों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

सरकार से मदद की आस
पीड़ित किसान प्रमोद सिंह ने बताया कि अगर एक सप्ताह तक मौसम अनुकूल होता तो 80 प्रतिशत किसानों की गेहूं की फसल घरों तक पहुंच जाती. लेकिन इस आपदा ने किसानों के जीवन को तबाह कर दिया है. ऐसी हालात में अगर सरकार की ओर से किसानों की दशा पर विचार नहीं किया जाएगा, तो किसानों के सामने भूखमरी के अलावा और कोई चारा नहीं रहेगा. ऐसे में किसानों को अब सरकार से मदद की आस है.

सीतामढ़ीः जिले में मंगलवार की रात अचानक आई आंधी और बारिश ने हजारों किसानों की फसल को पूरी तरह बर्बाद कर दिया. जिससे किसानों को काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है. उनके सामने परिवार के भरण-पोषण के लिए अब कोई विकल्प नहीं बचा है.

समय पर नहीं हो पाई गेहूं की कटनी
किसानों ने बताया कि फरवरी और मार्च में हुई ओलावृष्टि और बारिश के कारण पहले ही रबी फसल प्रभावित हो गई थी. इसके बाद मार्च में कोरोना के कारण लागू लॉक डाउन की वजह से किसान गेहूं की कटनी समय पर नहीं कर पाए थे. सरकारी आदेश के बाद गेहूं की कटनी शुरू हुई थी कि अचानक आई आंधी तूफान ने फसल बर्बाद कर दिया.

परिवार के भरण पोषण की समस्या
किसानों ने बताया कि 13 जुलाई को आई भीषण बाढ़ से धान की फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई थी. जिसके बाद रबी की फसल से आमदनी की उम्मीद थी. जिससे परिवार का भरण पोषण हो पाएगा. लेकिन इस प्राकृतिक आपदा से किसानों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

सरकार से मदद की आस
पीड़ित किसान प्रमोद सिंह ने बताया कि अगर एक सप्ताह तक मौसम अनुकूल होता तो 80 प्रतिशत किसानों की गेहूं की फसल घरों तक पहुंच जाती. लेकिन इस आपदा ने किसानों के जीवन को तबाह कर दिया है. ऐसी हालात में अगर सरकार की ओर से किसानों की दशा पर विचार नहीं किया जाएगा, तो किसानों के सामने भूखमरी के अलावा और कोई चारा नहीं रहेगा. ऐसे में किसानों को अब सरकार से मदद की आस है.

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