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मिथिला में धूमधाम से मनाया गया मां जानकी जन्मोत्सव, दूर-दूर से जुटी श्रद्धालुओं की भीड़ - जनमोत्स्व

जन्मोत्सव के मौके पर शोभा यात्रा भी निकाली गई. इस दौरान श्रद्धालु भी जमकर झूमें.

जानकी जन्मोत्सव
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Published : May 13, 2019, 6:44 PM IST

सीतामढ़ीः मिथिलांचल में मां जगत जननी मां सीता का जन्मोत्सव बड़े धूम-धाम से मनाया गया. इस जनमोत्स्व सप्ताह के समापन समारोह के मौके पर शहर के पुनौरा धाम और जानकी स्थान मंदिर में भव्य महोत्सव का आयोजन किया गया.

इस अवसर पर शोभा यात्रा भी निकाली गई और भजन कीर्तन का आयोजन किया गया. इस दौरान श्रद्धालु जमकर झूमे, यहां शिव लिंग मेले का भी आयोजन किया गया था. इस महोत्सव में कई प्रदेशों के साथ-साथ नेपाल से आये सैकड़ों श्रद्धालु शामिल हुए. एक सप्ताह से चल रहे इस जन्मोत्सव समारोह में साधु संतों की भागीदारी भी बढ़-चढ़ कर देखने को मिली.

मां जानकी जन्मोत्सव

शिवलिंग मेले का भी आयोजन
जानकारों का मानना है कि त्रेता युग में 12 वर्षों से अकाल पड़ा था. उस समय ऋषि मुनिओं की सलाह पर प्रजा के कल्याण के लिये राजा जनक ने धरेस्वर स्थान से हल चलाते हुए पुनौरा पहुंचे थे. जहां एक घड़े से मां जानकी निकलीं. और उसके बाद बारिश शुरु हो गई. तभी मां सीता को सुरक्षित रखने के लिए उन्हें जानकी स्थान ले जाया गया था.

दूर-दूर से आते हैं श्रद्धालु
यहां कई प्रदेशों के संत और श्रद्धालु हर साल शामिल होने आते हैं. जन्मोत्सव समापन के बाद पंगत का आयोजन किया जाता है. जिसमें हजारों भक्त प्रसाद ग्रहण करते हैं.

सीतामढ़ीः मिथिलांचल में मां जगत जननी मां सीता का जन्मोत्सव बड़े धूम-धाम से मनाया गया. इस जनमोत्स्व सप्ताह के समापन समारोह के मौके पर शहर के पुनौरा धाम और जानकी स्थान मंदिर में भव्य महोत्सव का आयोजन किया गया.

इस अवसर पर शोभा यात्रा भी निकाली गई और भजन कीर्तन का आयोजन किया गया. इस दौरान श्रद्धालु जमकर झूमे, यहां शिव लिंग मेले का भी आयोजन किया गया था. इस महोत्सव में कई प्रदेशों के साथ-साथ नेपाल से आये सैकड़ों श्रद्धालु शामिल हुए. एक सप्ताह से चल रहे इस जन्मोत्सव समारोह में साधु संतों की भागीदारी भी बढ़-चढ़ कर देखने को मिली.

मां जानकी जन्मोत्सव

शिवलिंग मेले का भी आयोजन
जानकारों का मानना है कि त्रेता युग में 12 वर्षों से अकाल पड़ा था. उस समय ऋषि मुनिओं की सलाह पर प्रजा के कल्याण के लिये राजा जनक ने धरेस्वर स्थान से हल चलाते हुए पुनौरा पहुंचे थे. जहां एक घड़े से मां जानकी निकलीं. और उसके बाद बारिश शुरु हो गई. तभी मां सीता को सुरक्षित रखने के लिए उन्हें जानकी स्थान ले जाया गया था.

दूर-दूर से आते हैं श्रद्धालु
यहां कई प्रदेशों के संत और श्रद्धालु हर साल शामिल होने आते हैं. जन्मोत्सव समापन के बाद पंगत का आयोजन किया जाता है. जिसमें हजारों भक्त प्रसाद ग्रहण करते हैं.

Intro:सम्पूर्ण मिथिला में धूम-धाम से मनाया गया माँ जानकी का जन्मोत्सव।


Body:सीतामढ़ी सहित पूरे मिथलांचल में माँ जगत जननी सीता का जन्मोत्सव बड़े धूम-धाम से मनाया गया। इस जनमोत्स्व सप्ताह के समापन समारोह के मौके पर शहर के पुनौरा धाम और जानकी स्थान मंदिर में भव्य महोत्सव का आयोजन किया गया था। इस अवसर पर शोभा यात्रा भी निकाली गई। और भजन कीर्तन का आयोजन किया गया। जिसमें श्रद्धालु जमकर झूमे। इस पावन अवसर पर शिव लिंग मेला का भी आयोजन किया गया था। इस महोत्सव में कई प्रदेशों और नेपाल से आये सैकड़ो श्रद्धलुओं शामिल हुए। जानकी जन्मोत्सव एक सप्ताह से चल रहा था। जिसमे साधु संतों की भागीदारी भी बढ़ चढ़ कर देखा गया। पुरानी मान्यतायें। अध्यात्म से जुड़े जानकारों का बताना है कि त्रेता युग मे 12 वर्षो से अकाल परा था। तो ऋषि मुनिओं की सलाह पर प्रजा के कल्याण के लिये राजा जनक ने धरेस्वर स्थान से हल चलाते पुनौरा पंहुचे थे। जंहा एक घरा से माँ जानकी निकली। उसके बाद वारिश होना प्रारम्भ हो गया। तब माँ सीता को सुरक्षित रखने के ख्याल से उन्हें जानकी स्थान ले जाया गया था। इसलिये यह दोनों स्थानों की अपनी अलग अलग महत्व है। कई प्रदेशों के संत और श्रद्धालु हुए शामिल। इस भव्य कार्यक्रम में कई प्रदेशों के साधु-संत और भक्त शामिल हुए। जिन्होंने भजन कीर्तन में शामिल होकर भाव विभोर होते रहे। समापन के बाद पंगत का आयोजन किया गया था। जिसमे हजारों भक्तो ने प्रसाद ग्रहण किया। बाइट-1. महंथ कौशल किशोर पुनौरा धाम। बाइट-2. महंत सियावर शरण अयोध्या। बाइट-3. महिला श्रद्धालु। विजुअल-1,2


Conclusion:v/o फाइनल p2c राहुल देव सोलंकी
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