सीतामढ़ी: बिहार सरकार अक्सर विकास की बात कहती है. लेकिन सरकारी उदासीनता के कारण करोड़ों रुपए की लागत से बना पुल वर्षों से अधूरा पड़ा है. जिस कारण लोगों को हर रोज मौत के मुंह में जाना पड़ता है. दरअसल, सीतामढ़ी जिले को शिवहर और मुजफ्फरपुर से जोड़ने वाली बसौल पुल का निर्माण कार्य वर्ष 2015 में पूरा हो गया था. लेकिन 5 वर्षों बाद भी उसका संपर्क पथ नहीं बनाया गया.
इसलिए यह पुल आम लोगों के उपयोग में कारगर साबित नहीं हो पा रहा है. साथ ही हर वर्ष बाढ़ के दौरान पुल के नीचे बने डायवर्शन पर बाढ़ की तेज धारा को पार करने के दौरान लोगों की डूब कर मौत हो जाती है. इसके बावजूद जिला प्रशासन और सरकार कुंभकरणी निद्रा में सोई हुई है.
मुआवजे का नहीं किया गया भुगतान
वर्ष 2013 में स्थानीय जेडीयू विधायक सुनीता सिंह चौहान के प्रयास से 5 करोड़ की लागत से इस पुल का निर्माण शुरू किया गया और यह बनकर 2015 में पूरा हो गया था. पुल का संपर्क पथ बनाने के लिए 5 किसानों की भूमि अधिग्रहण करने के लिए विभागीय प्रक्रिया पूरी की गई. सभी किसानों ने अपनी भूमि के कागजात अंचल कार्यालय के माध्यम से जिला भू अर्जन कार्यालय को भेज दिया था. लेकिन वर्षो बीत जाने के बावजूद इन किसानों के मुआवजे का भुगतान आजतक नहीं किया जा सका है.
वहीं, किसान जग्गू साह ने बताया कि भू अर्जन कार्यालय और बिहार राज्य पुल निगम की ओर से कई बार कागजात लिए गए. लेकिन आज तक मुआवजे का भुगतान लंबित है. जिस कारण हजारों की आबादी के साथ भूमि दाता का परिवार भी प्रभावित हो रहा है. लेकिन इस दिशा में कोई प्रयास नहीं किए जा रहे है.
नगर पंचायत कराती है मरम्मत
मनुष्यमरा नदी के ऊपर बने इस पुल के नीचे आवागमन के लिए डायवर्सन बनाए गए हैं. लेकिन बाढ़ के दौरान नदी की उफनती धारा के कारण हर वर्ष डायवर्सन का कटाव हो जाता है और आवागमन ठप हो जाता है. इसके बाद लोग आने जाने के लिए निजी नाव का सहारा लेते हैं. तेज कटाव के कारण अब तक कई लोगों की डूबकर मौत के अलावा नाव दुर्घटना भी हो चुकी है. यह बसौल पुल नगर पंचायत क्षेत्र के अंदर आता है.
वहीं, नगर पंचायत के चेयरमैन रणधीर कुमार ने बताया कि प्रत्येक वर्ष बाढ़ के कटाव में डायवर्सन ध्वस्त हो जाता है. जिसकी मरम्मत नगर पंचायत की ओर से कराई जाती है. लेकिन बाढ़ के बाद दूसरे विभागों के जरिए डायवर्सन मरम्मत के नाम पर फर्जी तरीके से राशि का उठाव कर लिया जाता है.
भू अर्जन प्रक्रिया अधूरी
नगर पंचायत के कार्यपालक पदाधिकारी ने बताया कि इस समस्या के संबंध में हमें जानकारी नहीं थी, यह मामला मेरे संज्ञान में आया है, बहुत जल्द ही इसके समाधान की दिशा में पहल किए जाएंगे. वहीं, बिहार राज्य पुल निर्माण निगम के सहायक अभियंता राजेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि जिला भू अर्जन कार्यालय की ओर से भू अर्जन की प्रक्रिया पूरी नहीं कराई गई है. इसलिए यह परियोजना अधर में लटकी हुई है. इसके अलावा एस्टीमेट को रिवाइज के लिए संबंधित विभाग को भेजी गई थी. लेकिन अभी रिवाइज का काम नहीं हो पाया है. लिहाजा इन सभी कारणों से यह परियोजना लंबित पड़ी हुई है.
विधानसभा में उठाया गया था मुद्दा
पुल का निर्माण अधूरा रहने के कारण जेडीयू विधायक सुनीता सिंह चौहान ने विधानसभा में इस सवाल को उठाई थी. जिसके बाद उन्हें यह उम्मीद थी कि इस परियोजना को पूरी कर ली जाएगी. लेकिन विधायक का यह प्रयास भी रंग नहीं लाया. वहीं, जेडीयू के जिला अध्यक्ष सह विधायक प्रतिनिधि राणा रणधीर सिंह चौहान ने बताया कि इस पुल की समस्या को दूर करने के लिए मैंने कई बार विभाग के प्रधान सचिव से मुलाकात कर लिखित अनुरोध किया. इसके बावजूद समस्या का समाधान नहीं हो पाया है. जिस कारण हर वर्ष इस पुल के नीचे नदी पार करने के दौरान लोगों की जान चली जाती है.
कोरोना को बताया कारण
क्षेत्र की सांसद रामा देवी ने बताया कि इस परियोजना का काम पूरा कराने के लिए मेरे द्वारा प्रयास किया गया था. लेकिन लॉकडाउन के कारण इस दिशा में काम आगे नहीं बढ़ पाया. इसलिए पुल का काम पुनः शुरू नहीं किया जा सका. इसके नहीं बन पाने के कारण आम लोगों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. हम प्रयास करेंगे कि जल्द से जल्द इस अधूरे काम को पूरा किया जा सके.
हजारों की आबादी प्रभावित
स्थानीय लोगों ने बताया कि पुल का काम अधूरा रहने के कारण हजारों की आबादी प्रभावित हो रही है. करीब 50 गांव के लोगों के लिए यह पुल वरदान साबित होगा. यह पुल 2 जिले को जोड़ती है. सीतामढ़ी जिले के करीब 20 और शिवहर जिले के करीब 30 गांव का सीधा संपर्क इस पुल और मार्ग से जुड़ा है. इसके अलावा मुजफ्फरपुर जाने आने के लिए लोग इसी मार्ग का उपयोग करते हैं. लिहाजा यह पुल आम लोगों के लिए बेहद उपयोगी है. लेकिन सरकारी उदासीनता और विभागीय दांव पेच के कारण करोड़ों की लागत से बना यह पुल लोगों को मुंह चिढ़ा रहा है.
डूबने से हुई मौत
वर्षों से पुल का काम अधूरा रहने के कारण बाढ़ के दौरान लोग टूटे डायवर्सन से आना-जाना करते हैं. जिस कारण पानी के तेज बहाव में लोग हादसे के शिकार हो जाते हैं और उनकी असमय मृत्यु हो जाती है. सोमवार 13 जुलाई को इसी पुल के नीचे बने डायवर्सन को पार करने के दौरान बसौल गांव निवासी 50 वर्षीय शिवजी चौधरी की डूबकर मौत हो गई थी. पूरे दिन एसडीआरएफ और स्थानीय गोताखोरों की ओर से नदी की उफनती धारा में शिवजी की तलाश होती रही, तब जाकर देर शाम उसका शव नदी से बाहर निकाला जा सका. स्थानीय लोगों ने बताया कि इस घटना से पहले भी डूबने और नाव पलटने की कई घटनाएं घटित हो चुकी है. इसके बावजूद सरकार सोई हुई है और जिला प्रशासन मौन बना हुआ है. जो आम लोगों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है.