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नक्शा केंद्र में नक्शा नहीं मिलने से बढ़ रहा है जिले में जमीन विवाद - नक्शा केंद्र में नक्शा नहीं मिलने से बढ़ रहा है जिले में जमीनी विवाद

जिले की आबादी 30 लाख से अधिक है. जिले के अंदर 17 प्रखंड और तीन अनुमंडल आते हैं. एकमात्र नक्शा केंद्र ठप होने के कारण 30 लाख से अधिक की आबादी नक्शा से वंचित है.

नक्शा केंद्र
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Published : Jun 8, 2019, 4:55 PM IST

सीतामढ़ी: जिला मुख्यालय के नक्शा केंद्र में आम लोगों को नक्शा नहीं मिल रहा है. इसके कारण जिले में जमीन विवाद बढ़ रहा है. विभागीय उदासीनता के कारण कई माह से प्रिंटिंग मशीन खराब पड़ा है. नक्शा केंद्र की स्थापना वर्ष 2018 में की गई थी. ताकि जिला के किसानों को जमीन नापी के लिए सहज रूप से नक्शा उपलब्ध कराया जाए.

समाहरणालय स्थित जिला नक्शा केंद्र में किसानों को जमीन नापी के लिए कई माह से नक्शा उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है. इसका नतीजा है कि कई जगहों पर नक्शा के अभाव में जमीनी विवाद बढ़ गया है. कभी भी इस कमी के कारण आपसी विवाद हिंसक रूप ले सकता है. लेकिन नक्शा केंद्र का प्रिंटिंग मशीन विभागीय उदासीनता के कारण खराब होकर शोभा की वस्तु बनी हुई है. इसका खामियाजा जिला के उन किसानों को भुगतना पड़ता है जो लंबे समय से जमीनी विवाद में उलझे हुए हैं.

सीतामढ़ी से खास रिपोर्ट


महीनों से खराब है प्रिंटिंग मशीन
ईटीवी भारत ने जब नक्शा केंद्र का जायजा लिया तो पाया कि नक्शा केंद्र एक कर्मी के सहारे चल रहा है. डाटा ऑपरेटर कई दिनों से कार्यालय नहीं आ रहा है, क्योंकि नक्शा केंद्र का प्रिंटिंग मशीन खराब है. नक्शा केंद्र के कर्मी का कहना है कि मशीन जब खराब हुआ तो इसकी सूचना वरीय अधिकारी को दे दी गई थी. इसके बावजूद इस समस्या को प्राथमिकता नहीं दी गई. लिहाजा आज 1 माह से अधिक समय से प्रिंटिंग मशीन धूल फांक रहा है. किसान नक्शा के लिए नक्शा केंद्र का चक्कर काट रहे हैं.नक्शा केंद्र के कर्मी ने बताया कि इस नक्शा केन्द्र से प्रतिदिन जिले के करीब 40 से 50 किसान नक्शा लेने आते हैं. लेकिन आज कई सप्ताह से नक्शा उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है. इसलिए सरकार को भी राजस्व की हानि हो रही है.

सरकार की उदासीनता से जनता परेशान
जिले की आबादी 30 लाख से अधिक है. जिले के अंदर 17 प्रखंड और तीन अनुमंडल आते हैं. एकमात्र नक्शा केंद्र ठप होने के कारण 30 लाख से अधिक की आबादी नक्शा से वंचित है. हजारों किसानों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है. रूनी सैदपुर से आए एक किसान ने बताया कि नक्शा केंद्र का चक्कर काटते-काटते हम थक चुके हैं. इसके बावजूद भी हमें नक्शा नहीं उपलब्ध कराया जा रहा है. इसका नतीजा है कि नापी बाधित है. जमीनी विवाद इतना गहरा गया है कि कभी भी हिंसक वारदात हो सकती है. किसान ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि विभाग और सरकार की उदासीनता के कारण आम जनता परेशान है.

सीतामढ़ी: जिला मुख्यालय के नक्शा केंद्र में आम लोगों को नक्शा नहीं मिल रहा है. इसके कारण जिले में जमीन विवाद बढ़ रहा है. विभागीय उदासीनता के कारण कई माह से प्रिंटिंग मशीन खराब पड़ा है. नक्शा केंद्र की स्थापना वर्ष 2018 में की गई थी. ताकि जिला के किसानों को जमीन नापी के लिए सहज रूप से नक्शा उपलब्ध कराया जाए.

समाहरणालय स्थित जिला नक्शा केंद्र में किसानों को जमीन नापी के लिए कई माह से नक्शा उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है. इसका नतीजा है कि कई जगहों पर नक्शा के अभाव में जमीनी विवाद बढ़ गया है. कभी भी इस कमी के कारण आपसी विवाद हिंसक रूप ले सकता है. लेकिन नक्शा केंद्र का प्रिंटिंग मशीन विभागीय उदासीनता के कारण खराब होकर शोभा की वस्तु बनी हुई है. इसका खामियाजा जिला के उन किसानों को भुगतना पड़ता है जो लंबे समय से जमीनी विवाद में उलझे हुए हैं.

सीतामढ़ी से खास रिपोर्ट


महीनों से खराब है प्रिंटिंग मशीन
ईटीवी भारत ने जब नक्शा केंद्र का जायजा लिया तो पाया कि नक्शा केंद्र एक कर्मी के सहारे चल रहा है. डाटा ऑपरेटर कई दिनों से कार्यालय नहीं आ रहा है, क्योंकि नक्शा केंद्र का प्रिंटिंग मशीन खराब है. नक्शा केंद्र के कर्मी का कहना है कि मशीन जब खराब हुआ तो इसकी सूचना वरीय अधिकारी को दे दी गई थी. इसके बावजूद इस समस्या को प्राथमिकता नहीं दी गई. लिहाजा आज 1 माह से अधिक समय से प्रिंटिंग मशीन धूल फांक रहा है. किसान नक्शा के लिए नक्शा केंद्र का चक्कर काट रहे हैं.नक्शा केंद्र के कर्मी ने बताया कि इस नक्शा केन्द्र से प्रतिदिन जिले के करीब 40 से 50 किसान नक्शा लेने आते हैं. लेकिन आज कई सप्ताह से नक्शा उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है. इसलिए सरकार को भी राजस्व की हानि हो रही है.

सरकार की उदासीनता से जनता परेशान
जिले की आबादी 30 लाख से अधिक है. जिले के अंदर 17 प्रखंड और तीन अनुमंडल आते हैं. एकमात्र नक्शा केंद्र ठप होने के कारण 30 लाख से अधिक की आबादी नक्शा से वंचित है. हजारों किसानों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है. रूनी सैदपुर से आए एक किसान ने बताया कि नक्शा केंद्र का चक्कर काटते-काटते हम थक चुके हैं. इसके बावजूद भी हमें नक्शा नहीं उपलब्ध कराया जा रहा है. इसका नतीजा है कि नापी बाधित है. जमीनी विवाद इतना गहरा गया है कि कभी भी हिंसक वारदात हो सकती है. किसान ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि विभाग और सरकार की उदासीनता के कारण आम जनता परेशान है.

Intro:जिला मुख्यालय के नक्शा केंद्र में आम लोगों को नहीं मिल रहा नक्शा, बढ़ रहा भूमि विवाद। विभागीय उदासीनता के कारण कई माह से खराब पड़ा है प्रिंटिंग मशीन।


Body:समाहरणालय स्थित जिला नक्शा केंद्र में किसानों को जमीन नापी के लिए आज कई माह से नक्शा उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है। इसका नतीजा है कि जमीनी विवाद कई जगहों पर नक्शा के अभाव में बढ़ गया है। और कभी भी इस कमी के कारण आपसी विवाद हिंसक रूप ले सकता है। नक्शा केंद्र की स्थापना वर्ष 2018 में की गई थी। ताकि जिला के किसानों को जमीन नापी के लिए सहज रूप से नक्शा उपलब्ध कराया जाए। लेकिन नक्शा केंद्र का प्रिंटिंग मशीन विभागीय उदासीनता के कारण खराब होकर शोभा की वस्तु बनी हुई है। और इसका खामियाजा जिला के उन किसानों को भुगतना पड़ता है। जो लंबे समय से जमीनी विवाद में उलझे हुए हैं। वैशाख महीना होने के कारण अधिकांश किसान अपने जमीन की नापी इसी माह में कराते हैं। लेकिन नक्शा उपलब्ध नहीं होने के कारण समाज में भूमि विवाद तो बढ़ ही रहा है। इसके साथ ही नक्शा केंद्र का चक्कर काटने वाले किसानों को आर्थिक तंगी का भी सामना करना पड़ रहा है। लेकिन इस समस्या को देखने वाला कोई नहीं। ईटीवी भारत ने जब नक्शा केंद्र का जायजा लिया तो पाया की नक्शा केंद्र एक कर्मी के सहारे चल रहा है। उसका डाटा ऑपरेटर भी आज कई दिनों से कार्यालय आना मुनासिब नहीं समझ रहे हैं। क्योंकि नक्शा केंद्र का प्रिंटिंग मशीन खराब है। नक्शा केंद्र के कर्मी का बताना है कि मशीन जब खराब हुआ तो इसकी सूचना वरीय अधिकारी को दे दी गई थी। इसके बावजूद इस समस्या को प्राथमिकता नहीं दिया गया। लिहाजा आज 1 माह से अधिक समय से प्रिंटिंग मशीन धूल फांक रहा है। और किसान नक्शा के लिए नक्शा केंद्र का चक्कर काट रहे हैं। 30 लाख से अधिक की आबादी नक्शा से वंचित। जिले की आबादी 30 लाख से अधिक है। और इसके अंदर 17 प्रखंड और तीन अनुमंडल आता है। लेकिन इतनी आबादी वाले जिला का एकमात्र नक्शा केंद्र थप होने के कारण। हजारों किसानों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। रूनी सैदपुर से आए एक किसान ने बताया कि नक्शा केंद्र का चक्कर काटते काटते हम थक चुके हैं। इसके बावजूद भी हमें नक्शा नहीं उपलब्ध कराया जा रहा है। इसका नतीजा है कि नापी बाधित है। और जमीनी विवाद इतना गहरा गया है कि कभी भी हिंसक वारदात हो सकती है। किसान ने नाराजगी जाहिर करते हुए बताया कि विभाग और सरकार की उदासीनता के कारण आम जनता समस्या की चक्की में पीस रहा है। बाइट-1. कपल साहनी सोनपुरवा गांव। रूनी सैदपुर का किसान। बाइट-2. महेंद्र महतो। कर्मी जिला नक्शा केंद्र सीतामढ़ी। विजुअल---------


Conclusion:नक्शा केंद्र के कर्मी ने बताया कि इस नक्शा केन्द्र से प्रतिदिन जिले के करीब 40 से 50 किसान नक्शा लेने आते हैं। लेकिन आज कई सप्ताह से नक्शा उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है। इसलिए सरकार को भी राजस्व की हानि हो रही है।
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