सीतामढ़ी: जिला मुख्यालय के नक्शा केंद्र में आम लोगों को नक्शा नहीं मिल रहा है. इसके कारण जिले में जमीन विवाद बढ़ रहा है. विभागीय उदासीनता के कारण कई माह से प्रिंटिंग मशीन खराब पड़ा है. नक्शा केंद्र की स्थापना वर्ष 2018 में की गई थी. ताकि जिला के किसानों को जमीन नापी के लिए सहज रूप से नक्शा उपलब्ध कराया जाए.
समाहरणालय स्थित जिला नक्शा केंद्र में किसानों को जमीन नापी के लिए कई माह से नक्शा उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है. इसका नतीजा है कि कई जगहों पर नक्शा के अभाव में जमीनी विवाद बढ़ गया है. कभी भी इस कमी के कारण आपसी विवाद हिंसक रूप ले सकता है. लेकिन नक्शा केंद्र का प्रिंटिंग मशीन विभागीय उदासीनता के कारण खराब होकर शोभा की वस्तु बनी हुई है. इसका खामियाजा जिला के उन किसानों को भुगतना पड़ता है जो लंबे समय से जमीनी विवाद में उलझे हुए हैं.
महीनों से खराब है प्रिंटिंग मशीन
ईटीवी भारत ने जब नक्शा केंद्र का जायजा लिया तो पाया कि नक्शा केंद्र एक कर्मी के सहारे चल रहा है. डाटा ऑपरेटर कई दिनों से कार्यालय नहीं आ रहा है, क्योंकि नक्शा केंद्र का प्रिंटिंग मशीन खराब है. नक्शा केंद्र के कर्मी का कहना है कि मशीन जब खराब हुआ तो इसकी सूचना वरीय अधिकारी को दे दी गई थी. इसके बावजूद इस समस्या को प्राथमिकता नहीं दी गई. लिहाजा आज 1 माह से अधिक समय से प्रिंटिंग मशीन धूल फांक रहा है. किसान नक्शा के लिए नक्शा केंद्र का चक्कर काट रहे हैं.नक्शा केंद्र के कर्मी ने बताया कि इस नक्शा केन्द्र से प्रतिदिन जिले के करीब 40 से 50 किसान नक्शा लेने आते हैं. लेकिन आज कई सप्ताह से नक्शा उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है. इसलिए सरकार को भी राजस्व की हानि हो रही है.
सरकार की उदासीनता से जनता परेशान
जिले की आबादी 30 लाख से अधिक है. जिले के अंदर 17 प्रखंड और तीन अनुमंडल आते हैं. एकमात्र नक्शा केंद्र ठप होने के कारण 30 लाख से अधिक की आबादी नक्शा से वंचित है. हजारों किसानों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है. रूनी सैदपुर से आए एक किसान ने बताया कि नक्शा केंद्र का चक्कर काटते-काटते हम थक चुके हैं. इसके बावजूद भी हमें नक्शा नहीं उपलब्ध कराया जा रहा है. इसका नतीजा है कि नापी बाधित है. जमीनी विवाद इतना गहरा गया है कि कभी भी हिंसक वारदात हो सकती है. किसान ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि विभाग और सरकार की उदासीनता के कारण आम जनता परेशान है.