सीतामढ़ी: जिले के फतेहपुर गिरमिशानी गांव में स्थित भगवान शिव का अति प्राचीन मंदिर देश और दुनिया में विख्यात है. हलेश्वर स्थान के नाम से जाना जाने वाले इस मंदिर में दक्षिण के रामेश्वर से भी प्राचीन और दुर्लभ शिवलिंग है. बता दें कि यहां स्थापित शिवलिंग की स्थापना मिथिला नरेश राजा जनक ने की थी.
क्या है कथा?
पुराणों के अनुसार मंदिर का इलाका मिथिला राज्य के अधीन था. बताया जाता है कि 12 वर्षों तक पूरे मिथिला में अकाल आ गया था. तब ऋषि मुनियों की सलाह पर राजा जनक ने अकाल से मुक्ति के लिए हलेष्ठी यज्ञ किया. यज्ञ शुरू करने से पहले राजा जनक जनकपुर से गिरमिशानी गांव पहुंचे और वहां एक शिवलिंग की स्थापना की. राजा जनक की पूजा से खुश होकर भगवान शिव ने उन्हें आशीर्वाद दिया. उसके बाद राजा जनक ने इसी स्थान से हल चलाना शुरु किया और 7 किलोमीटर की दूरी तय कर जिले के पुनौरा गांव पहुंचे. जहां हल के सिरे से मां जानकी धरती से प्रकट हुई थी.
मंदिर से जुड़ी है लोगों की आस्था
जानकार बताते हैं कि मंदिर का निर्माण 17वीं शताब्दी में कराया गया था, जो 1942 के भूकंप में क्षतिग्रस्त हो गया था. जिसके बाद तत्कालीन डीएम अरुण भूषण प्रसाद ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार कराया. वहीं, इस मंदिर से जुड़ी आस्था लोगों में सदियों से बरकरार है.