सीतामढ़ीः बागमती, झीम, लखनदेई और अधवारा समूह की नदियों के जलस्तर में कमी आई है. लेकिन बाढ़ पीड़ितों का दर्द अभी कम नहीं हुआ है. बाढ़ पीड़ित अब भी एनएच 77 पर शरण लेने को मजबूर हैं. इन्हें अब तक कहीं से कोई सहायता नहीं मिल रही है.
तकरीबन 100 से अधिक घर बाढ़ के पानी से घिरे हैं. जिसकी वजह से लोग एनएच 77 पर रह रहे हैं, इनके साथ कभी भी कोई बड़ी घटना घट सकती है. इसके बावजूद अब तक कोई अधिकारी इनकी सुध लेने नहीं आया है.
17 दिनों से एनएच पर पड़े हैं बाढ़ पीड़ित
बाढ़ पीड़ित मुजफ्फरपुर सीतामढ़ी एनएच 77 पर प्लास्टिक के शीट से घर बनाकर रहने को मजबूर हैं. आज तक स्थानीय जनप्रतिनिधियों और जिला प्रशासन ने इनकी कोई मदद नहीं की है.
बाढ़ पीड़ित लक्ष्मण मुखिया का कहना है कि जब रात को बारिश आती है तो वह अपने सभी परिवार के साथ इसी शेड में बैठकर रात गुजारते हैं. दिन में चिलचिलाती धूप में वो और उनका परिवार रहने को मजबूर है.
ये भी पढ़ेंः गंगा, बूढ़ी गंडक, कोसी, बागमती और कमला सहित उत्तर बिहार की कई नदियां खतरे के निशान से ऊपर
'कभी भी हो सकता है बड़ा हादसा'
मुजफ्फरपुर सीतामढ़ी एनएच 77 पर रह रहे बाढ़ पीड़ितों के साथ कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है. स्थानीय बाढ़ पीड़ित नागेंद्र मुखिया ने कहा कि 2 दिन पहले ऑटो की टक्कर से मवेशियों को खिलाने वाला नादी टूट गया.
उन्होंने बताया कि हजारों की संख्या में एनएच 77 पर वाहन चलता है, जिसके कारण उन्हें रात और दिन में सोने में काफी परेशानी होती है. डर भी लगा रहता है कि कहीं कोई गाड़ी उनके और उनके बच्चों को ठोकर मारकर ना चली जाए.
हमेशा बना रहता है जान का खतरा
जिले की नदियों के जलस्तर में कमी हो रही है. लेकिन बाढ़ पीड़ितों का दर्द अभी भी कम होने का नाम नहीं ले रहा है. बाढ़ पीड़ित ऊंचे स्थानों पर रहने को मजबूर हैं. सैकड़ों की संख्या में बाढ़ पीड़ित थुम्मा से रुनीसैदपुर पार्क एनएच 77 के किनारे रह रहे हैं. जिनकी जान का खतरा हमेशा बना रहता है.