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अब ऑनलाइन माध्यम से मिलेगा किसानों को बीज, जानें क्या है प्रक्रिया? - online medium

सीतामढ़ी में किसान ऑनलाइन आवेदन कर रबी बीज प्राप्त कर रहे हैं और अपने खेतों में लगा रहे हैं. किसानों का कहना है कि अब उन्हें बिचौलिए से काफी राहत मिली है.

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बीज
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Published : Dec 1, 2019, 8:18 PM IST

सीतामढ़ी: डिजिटल इंडिया का असर हर क्षेत्र में देखने को मिल रहा है. जिले में ऑनलाइन माध्यम से कृषि विभाग के सभी काम किए जा रहे हैं. डीजल अनुदान से लेकर बीज प्राप्त करने की हर योजना का लाभ किसान ऑनलाइन माध्यम से ले रहे हैं. इससे किसानों को बिचौलिए से राहत मिल रही है.

कैसै मिलता है ऑनलाइन बीज?
सबसे पहले किसान बीज के लिए ऑनलाइन अप्लाई करते हैं. इसके बाद कृषि विभाग के समन्वयक उसका वेरिफिकेशन करते हैं और जिला कृषि पदाधिकारी के पास आवेदन भेजते हैं. वहां से किसानों के मोबाइल पर ओटीपी जेनरेट होती है. इसी ओटीपी के माध्यम से बीज डीलर किसानों को बिल जेनरेट कर बीज मुहैया करा रहे हैं.

sitamarhi
बीज लेने पहुंचे किसान

ऑनलाइन बीज मिलने की दूसरी प्रक्रिया
दूसरी प्रक्रिया में विभाग किसानों का चयन करता है. मुख्यमंत्री तीव्र विस्तार योजना, बीज ग्राम योजना आदि के अनुरूप किसानों का चयन कर कृषि विभाग के समन्वयक प्रखंड कृषि पदाधिकारी को सूची भेजते हैं. वहां से जिला कृषि पदाधिकारी को आवेदन भेजा जाता है. इसके बाद पहली प्रक्रिया की तरह किसानों के मोबाइल पर ओटीपी आती है और किसान बीज और किट प्राप्त करते हैं.

किसान प्राप्त कर रहे रबी बीज
बता दें कि किसानों को मिली बीज के अनुदान की राशि किसानों के खाते में डीबीटी के माध्यम से भुगतान की जाती है. अभी जिले में रबी बीज के लिए किसान ऑनलाइन आवेदन कर गेहूं, मसूर, मटर, चना, कुर्थी, मक्का और खेसारी का बीज प्राप्त कर अपने खेतों में लगा रहे हैं.

पेश है रिपोर्ट

किसानों को मिली राहत
कृषि विभाग के पदाधिकारी और किसानों का कहना है कि ऑनलाइन सिस्टम हो जाने से काफी राहत मिली है. इससे किसानों को योजनाओं का सीधा लाभ मिलता है और विभाग की ओर से किसानों को लाभ देने में पारदर्शिता बनी रहती है. पहले किसानों को कई दिनों तक कार्यालय के चक्कर काटने पड़ते थे. कई बार किसानों को बिचौलियों के चंगुल में फंसकर उनके शोषण का शिकार होना पड़ता था. अब किसानों को इन सब से काफी राहत मिली है.

यह भी पढ़ें- दरभंगा: मिथिला लोक उत्सव में बॉलीवुड गायकों ने बांधा शमा, लोकगीत ने बढ़ाई रौनक

सीतामढ़ी: डिजिटल इंडिया का असर हर क्षेत्र में देखने को मिल रहा है. जिले में ऑनलाइन माध्यम से कृषि विभाग के सभी काम किए जा रहे हैं. डीजल अनुदान से लेकर बीज प्राप्त करने की हर योजना का लाभ किसान ऑनलाइन माध्यम से ले रहे हैं. इससे किसानों को बिचौलिए से राहत मिल रही है.

कैसै मिलता है ऑनलाइन बीज?
सबसे पहले किसान बीज के लिए ऑनलाइन अप्लाई करते हैं. इसके बाद कृषि विभाग के समन्वयक उसका वेरिफिकेशन करते हैं और जिला कृषि पदाधिकारी के पास आवेदन भेजते हैं. वहां से किसानों के मोबाइल पर ओटीपी जेनरेट होती है. इसी ओटीपी के माध्यम से बीज डीलर किसानों को बिल जेनरेट कर बीज मुहैया करा रहे हैं.

sitamarhi
बीज लेने पहुंचे किसान

ऑनलाइन बीज मिलने की दूसरी प्रक्रिया
दूसरी प्रक्रिया में विभाग किसानों का चयन करता है. मुख्यमंत्री तीव्र विस्तार योजना, बीज ग्राम योजना आदि के अनुरूप किसानों का चयन कर कृषि विभाग के समन्वयक प्रखंड कृषि पदाधिकारी को सूची भेजते हैं. वहां से जिला कृषि पदाधिकारी को आवेदन भेजा जाता है. इसके बाद पहली प्रक्रिया की तरह किसानों के मोबाइल पर ओटीपी आती है और किसान बीज और किट प्राप्त करते हैं.

किसान प्राप्त कर रहे रबी बीज
बता दें कि किसानों को मिली बीज के अनुदान की राशि किसानों के खाते में डीबीटी के माध्यम से भुगतान की जाती है. अभी जिले में रबी बीज के लिए किसान ऑनलाइन आवेदन कर गेहूं, मसूर, मटर, चना, कुर्थी, मक्का और खेसारी का बीज प्राप्त कर अपने खेतों में लगा रहे हैं.

पेश है रिपोर्ट

किसानों को मिली राहत
कृषि विभाग के पदाधिकारी और किसानों का कहना है कि ऑनलाइन सिस्टम हो जाने से काफी राहत मिली है. इससे किसानों को योजनाओं का सीधा लाभ मिलता है और विभाग की ओर से किसानों को लाभ देने में पारदर्शिता बनी रहती है. पहले किसानों को कई दिनों तक कार्यालय के चक्कर काटने पड़ते थे. कई बार किसानों को बिचौलियों के चंगुल में फंसकर उनके शोषण का शिकार होना पड़ता था. अब किसानों को इन सब से काफी राहत मिली है.

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Intro:जिले में ऑनलाइन के माध्यम से कृषि विभाग के सभी काम काज का किया जा रहा है निपटारा बिचौलिए से किसानों को मिल रही राहत।Body:डिजिटल इंडिया का असर अब हर क्षेत्रों में देखने को मिल रहा है। और इसका लाभ भी आम लोगों को मिलना शुरू हो गया है। कृषि विभाग का सभी कामकाज अब ऑनलाइन के माध्यम से निपटाया जा रहा है और जिले के किसान सभी विभागीय लाभ ऑनलाइन के जरिए ही ले रहे हैं चाहे वह डीजल अनुदान हो या बीज प्राप्त करना हर योजनाओं का लाभ लेने के लिए किसान अब ऑनलाइन का माध्यम ही अपना रहे हैं। इससे किसानों को बिचौलिए से छुटकारा भी मिला है जहां पहले किसानों को अपना हक और अधिकार लेने के लिए कई कई दिनों तक कार्यालय का चक्कर काटना पड़ता था और बिचौलियों की चुंगल में फंस कर उन्हें शोषण का शिकार होना पड़ता था। इन सब से किसानों को काफी राहत मिली है और कामकाज भी बेहद आसान हो गया है। जिससे अधिकारी और किसान दोनों खुश हैं।
अभी रवि फसल लगाने का मौसम है इसके लिए किसान अपनी आवश्यकता के अनुसार बीज के लिए ऑनलाइन अप्लाई करते हैं। यह अप्लाई निबंधित किसान द्वारा किया जाता है। इसके बाद कृषि विभाग के समन्वयक द्वारा उसका वेरिफिकेशन किया जाता है। उसके बाद जिला कृषि पदाधिकारी के यहां उस ऑनलाइन आवेदन को भेजा जाता है। वहां से ओटीपी जनरेट होकर किसानों के मोबाइल पर भेजा जाता है। तब किसान ओटीपी लेकर बीज विक्रेता के पास जाते हैं। ओटीपी के आलोक में डीलर बिल जेनरेट करते हैं और किसानों को अनुदानित दर पर बीज मुहैया कराते हैं।
इसकी दूसरी प्रक्रिया भी है जिसमें विभाग द्वारा किसानों का चयन किया जाता है। जैसे मुख्यमंत्री तीव्र विस्तार योजना, बीज ग्राम योजना एवं प्रत्यक्षन लक्ष्य के अनुरूप किसानों का चयन कर कृषि समन्वयक द्वारा प्रखंड कृषि पदाधिकारी को अग्रेषित किया जाता है। उनके जांच उपरांत जिला कृषि पदाधिकारी को आवेदन भेज दी जाती है फिर वहां से ओटीपी जनरेट होता है तब डीलर के द्वारा पूर्ण भुगतान करने पर बीज और किट प्राप्त होता है। इसके अनुदान की राशि किसानों के खाते में डीबीटी के माध्यम से भुगतान की जाती है। अभी जिले में रबी बीज के लिए किसान ऑनलाइन आवेदन कर गेहूं, मसूर, मटर, चना, कुर्थी, मक्का और खेसारी का बीज प्राप्त कर अपने खेतों में लगा रहे हैं।
बाइट 1. अकिन्दर सिंह। किसान हरा कुर्ता में।
बाइट 2. लालबाबू कुमार। बीज डीलर ब्लू स्वेटर में।
बाइट 3. रत्नेश कुमार सिंह। प्रखंड कृषि पदाधिकारी।
विजुअल 4,5,6,7,8,9,10Conclusion:कृषि विभाग के पदाधिकारी और किसानों का बताना है कि ऑनलाइन सिस्टम हो जाने के कारण काफी राहत मिली है। और किसानों को योजनाओं का लाभ देने में पारदर्शिता बनी रहती है। पहले ऑनलाइन नहीं रहने के कारण सभी किसानों को सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता था तथा बिचौलियों की चांदी कटती थी।
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