सीतामढ़ी: जिले के कई प्रखंडों के किसान अब परंपरागत खेती को छोड़कर आधुनिक तरीके से तरबूज और खरबूज की खेती कर अपनी तकदीर की इबादत लिख रहे हैं. साढ़े 3 से 4 महीने में इस खेती के माध्यम से किसान अब 2 से ₹30,0000 प्रति एकड़ की कमाई कर रहे हैं. तरबूज और खरबूज की आधुनिक खेती से किसानों की माली हालत में काफी सुधार हुआ है.
किसानों का बताना है कि परंपरागत खेती से पेट भरना और परिवार का भरण पोषण करना बेहद मुश्किल हो रहा था. लिहाजा किसानों ने इस खेती को अपनाया और इसके माध्यम से अब उनकी माली हालत में काफी सुधार हो गया है. इसलिए किसान अब इस खेती का और ज्यादा विस्तार करना चाहते हैं ताकि ज्यादा से ज्यादा कमाई कर सके.
इन प्रखंडों में की जा रही खेती
जिले के करीब 10 प्रखंडों के किसानों ने आधुनिक तरीके से तरबूज और खरबूज की खेती को शुरू किया है. जिसमें सोनबरसा प्रखंड के किसान अरुण सिंह, इंद्रजीत सिंह, डुमरा प्रखंड के किसान राममूर्ति सिंह, रीगा प्रखंड के किसान राम विनय सिंह, सुरसंड प्रखंड के किसान जिज्ञासु सिंह, कटैया गांव के किसान अरविंद सिंह, सुप्पी प्रखंड के किसान सुधीर कुमार झा, ससौला गांव के किसान मुकेश कुमार महतो, मनिहारी गांव के किसान मनोज प्रसाद, बथनाहा प्रखंड के किसान मुकेश यादव सहित कुछ अन्य किसान शामिल हैं. सभी करीब 100 हेक्टेयर में आधुनिक तरीके से ड्रिप इरीगेशन विधि से तरबूज और खरबूज की खेती कर ज्यादा कमाई कर रहे हैं.
प्रति एकड़ कमाई
तरबूज और खरबूज की खेती करने वाले किसानों ने बताया कि परंपरागत खेती से उन्हें अच्छी आमदनी नहीं होती थी. लिहाजा उन्होंने इस आधुनिक खेती को अपनाया. एक एकड़ में तरबूज लगाने का खर्च करीब ₹40,000 और खरबूज लगाने का खर्च करीब ₹50,000 आता है. और साढ़े 3 माह से 4 माह के भीतर इस फसल से 2 से ₹30,0000 प्रति एकड़ की दर से मुनाफा मिल रहा है. इस फसल के कट जाने के बाद शिमला मिर्च और खीरा की फसल लगाकर उसी खेत से दोहरी कमाई भी हो जाती है. इसलिए अब किसान धान, गेहूं, मक्का, गन्ना, दलहन की खेती छोड़कर तरबूज और खरबूज की खेती करने में जुटे हुए हैं.
विदेशी बीज का प्रयोग
तरबूज और खरबूज की खेती के लिए किसान ताइवान उत्पादित बीज और ड्रिप इरीगेशन विधि का प्रयोग कर ज्यादा से ज्यादा पैदावार कर रहे हैं. इसके लिए किसान अपने खेतों की जुताई कर उसके अंदर बेड का निर्माण कर मल्चिंग पेपर डालते हैं. उसके बाद पौधे लगाए जाते है. किसानों का बताना है कि ड्रिप इरीगेशन विधि से जहां उत्पादन दो से 3 गुना अधिक हो जाता है. वहीं, लेबर खर्च काफी कम हो जाता है. इस प्रकार से किसान आधुनिक खेती कर आर्थिक रूप से सबल हो रहे हैं जो जिले के लिए शुभ संकेत है.
तरबूज और खरबूज की वैरायटी
तरबूज और खरबूज की खेती करने वाले किसानों का बताना है कि तरबूज और खरबूज की कई किस्में हैं, जिसमें जन्नत, आरोही, किरण टू, सुप्रीट टू सबसे बेहतर किस्म है. इसकी मांग बाजारों में अधिक है. इसलिए इसी किस्म की खेती ज्यादातर किसान कर रहे हैं.
बाजार मूल्य और गुणवत्ता
आधुनिक खेती कर रहे किसानों ने बताया कि इस तरबूज और खरबूज का बाजार मूल्य सामान्य तरबूज और खरबूज की अपेक्षा अधिक है. ताइवान बीज से उत्पादित तरबूज और खरबूज अन्य तरबूज और खरबूज से अत्यधिक मीठा होता है. इसलिए इसकी बिक्री सबसे पहले हो जाती है और इसकी मांग बाजारों में अधिक है. सामान्य तरबूज और खरबूज से ₹10 प्रति केजी अधिक मूल्य पर इसकी बिक्री हो रही है.