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सेवा भावना और रखरखाव से प्रदेश में प्रथम स्थान रखता है 127 साल पुराना ये गौशाला

सीतामढ़ी गौशाला जिले के लिए रोल मॉडल है. यहां गाय, बछड़े की सेवा की जाती है. 127 वर्ष पुरानी इस गौशाला की ख्याति पूरे बिहार में है. साथ ही यह गौ संवर्धन का महत्वपूर्ण केन्द्र है.

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Published : Aug 28, 2019, 2:44 PM IST

सीतामढ़ी गौशाला

सीतामढ़ी: इस जिले का गौशाला पूरे बिहार में प्रसिद्ध है. सीतामढ़ी गौशाला अपनी सेवा भावना और रखरखाव के लिए प्रदेश में प्रथम स्थान रखता है. गौशाला में सैंकड़ो की संख्या में गाय, बछड़े से लेकर सांढ़ की देखभाल की जाती है. गौशाला का संचालन ट्रस्ट के जरिए किया जा रहा है. इस गौशाला को रोल मॉडल के रूप में देखा जाता है.

sitamarhi
सीतामढ़ी गौशाला

दान में मिली थी 27 एकड़ भूमि
गौशाला की स्थापना सन 1892 में स्वर्गीय सियाराम दास ने की थी. इसका उद्देश्य गौ सेवा था. वहीं, गौशाला निर्माण के लिए स्वर्गीय सियाराम दास ने 27 एकड़ भूमि दान में दिए थे. 5 एकड़ में गौशाला का भवन है. जबकि शेष 22 एकड़ की जमीन पर गाय और बछड़ों के लिए चारे लगाये जाते हैं. वहीं, इस गौशाला के चारों तरफ करीब 61 दुकानें भी संचालित हो रही हैं. गौशाला ट्रस्ट को हर दुकान से प्रतिमाह 400 से लेकर 1500 तक किराया प्राप्त होता है. प्राप्त राशि का उपयोग गाय और बछड़ों के लिए चोकर, दाना और उनके रखरखाव पर किया जाता है.

sitamarhi
सीतामढ़ी गौशाला में मौजूद गाय

गाय और बछड़े की संख्या
ट्रस्ट के प्रबंधक हरिनारायण राय
ने बताया कि वर्तमान में यहां 146 गायें और बछड़ें हैं. इसके अलावा 17 सांढ़ भी हैं. 33 गाय रोजाना 225 लीटर दूध दे रही है. दूध की बिक्री से प्राप्त राशि को गौ सेवा पर खर्च किया जाता है. गौशाला परिसर में सरकारी पशु चिकित्सा अस्पताल संचालित किया जा रहा है. जहां, बीमार गाय और बछड़े का इलाज किया जाता है. यह अस्पताल गौशाला ट्रस्ट के अंदर संचालित हो रहा है. इसके अध्यक्ष अनुमंडल पदाधिकारी होते हैं.

ranjeet kumar dm
डॉ रंजीत कुमार सिंह, डीएम

18 गौ सेवकों के कंधे पर पूरी जिम्मेदारी
सीतामढ़ी गौशाला में ट्रस्ट की तरफ से 18 गौ सेवकों को रखा गया है. जिन्हें प्रतिमाह 6 हजार मासिक मानदेय दिया जाता है. गौ सेवकों के कंधों पर सभी गाय, बछड़ों को चारा खिलाना, पानी पिलाना से लेकर साफ सफाई और दूध निकालने का काम होता है. साथ ही दूध को गौशाला से बाजार तक पहुंचाना भी गौ सेवकों के जिम्मे होती है.

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हरिनारायण राय, गौशाला प्रबंधक

गौ संवर्धन के लिए महत्वपूर्ण केन्द्र
वहीं, जिलाधिकारी डॉ, रंजीत कुमार ने बताया कि सीतामढ़ी गौशाला चौक पर स्थित यह गौशाला गौ संवर्धन के लिए महत्वपूर्ण केंन्द्र है. इसकी ख्याति पूरे बिहार में हैं. जिलाधिकारी के मुताबिक, यह रोल मॉडल है. इसे दूसरे जिले को भी अपनाना चाहिए.

सीतामढ़ी गौशाला पर ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

गौ सेवकों ने की मानदेय बढ़ाने की मांग
हालांकि गौ सेवकों ने ईटीवी भारत से अपनी समस्याओं को सामने रखा. गौ सेवक कहते हैं कि यहां निस्वार्थ सेवा करते हैं. ट्रस्ट की तरफ से मानदेय भी दिया जाता है. हालांकि उन पैसों से इस महंगाई में परिवार चलाना काफी मुश्किल है. गौ सेवकों ने अपील करते हुए कहा कि गौशाला से होने वाली आमदनी से उनकी मानदेय में वृद्धि की जाए.

सीतामढ़ी: इस जिले का गौशाला पूरे बिहार में प्रसिद्ध है. सीतामढ़ी गौशाला अपनी सेवा भावना और रखरखाव के लिए प्रदेश में प्रथम स्थान रखता है. गौशाला में सैंकड़ो की संख्या में गाय, बछड़े से लेकर सांढ़ की देखभाल की जाती है. गौशाला का संचालन ट्रस्ट के जरिए किया जा रहा है. इस गौशाला को रोल मॉडल के रूप में देखा जाता है.

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सीतामढ़ी गौशाला

दान में मिली थी 27 एकड़ भूमि
गौशाला की स्थापना सन 1892 में स्वर्गीय सियाराम दास ने की थी. इसका उद्देश्य गौ सेवा था. वहीं, गौशाला निर्माण के लिए स्वर्गीय सियाराम दास ने 27 एकड़ भूमि दान में दिए थे. 5 एकड़ में गौशाला का भवन है. जबकि शेष 22 एकड़ की जमीन पर गाय और बछड़ों के लिए चारे लगाये जाते हैं. वहीं, इस गौशाला के चारों तरफ करीब 61 दुकानें भी संचालित हो रही हैं. गौशाला ट्रस्ट को हर दुकान से प्रतिमाह 400 से लेकर 1500 तक किराया प्राप्त होता है. प्राप्त राशि का उपयोग गाय और बछड़ों के लिए चोकर, दाना और उनके रखरखाव पर किया जाता है.

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सीतामढ़ी गौशाला में मौजूद गाय

गाय और बछड़े की संख्या
ट्रस्ट के प्रबंधक हरिनारायण राय
ने बताया कि वर्तमान में यहां 146 गायें और बछड़ें हैं. इसके अलावा 17 सांढ़ भी हैं. 33 गाय रोजाना 225 लीटर दूध दे रही है. दूध की बिक्री से प्राप्त राशि को गौ सेवा पर खर्च किया जाता है. गौशाला परिसर में सरकारी पशु चिकित्सा अस्पताल संचालित किया जा रहा है. जहां, बीमार गाय और बछड़े का इलाज किया जाता है. यह अस्पताल गौशाला ट्रस्ट के अंदर संचालित हो रहा है. इसके अध्यक्ष अनुमंडल पदाधिकारी होते हैं.

ranjeet kumar dm
डॉ रंजीत कुमार सिंह, डीएम

18 गौ सेवकों के कंधे पर पूरी जिम्मेदारी
सीतामढ़ी गौशाला में ट्रस्ट की तरफ से 18 गौ सेवकों को रखा गया है. जिन्हें प्रतिमाह 6 हजार मासिक मानदेय दिया जाता है. गौ सेवकों के कंधों पर सभी गाय, बछड़ों को चारा खिलाना, पानी पिलाना से लेकर साफ सफाई और दूध निकालने का काम होता है. साथ ही दूध को गौशाला से बाजार तक पहुंचाना भी गौ सेवकों के जिम्मे होती है.

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हरिनारायण राय, गौशाला प्रबंधक

गौ संवर्धन के लिए महत्वपूर्ण केन्द्र
वहीं, जिलाधिकारी डॉ, रंजीत कुमार ने बताया कि सीतामढ़ी गौशाला चौक पर स्थित यह गौशाला गौ संवर्धन के लिए महत्वपूर्ण केंन्द्र है. इसकी ख्याति पूरे बिहार में हैं. जिलाधिकारी के मुताबिक, यह रोल मॉडल है. इसे दूसरे जिले को भी अपनाना चाहिए.

सीतामढ़ी गौशाला पर ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

गौ सेवकों ने की मानदेय बढ़ाने की मांग
हालांकि गौ सेवकों ने ईटीवी भारत से अपनी समस्याओं को सामने रखा. गौ सेवक कहते हैं कि यहां निस्वार्थ सेवा करते हैं. ट्रस्ट की तरफ से मानदेय भी दिया जाता है. हालांकि उन पैसों से इस महंगाई में परिवार चलाना काफी मुश्किल है. गौ सेवकों ने अपील करते हुए कहा कि गौशाला से होने वाली आमदनी से उनकी मानदेय में वृद्धि की जाए.

Intro:जिले के गौशाला में 127 वर्षों से लगातार जारी है गौ सेवा। Body:जिले का एकमात्र गौशाला अपनी सेवा भावना और रखरखाव को लेकर बिहार में प्रथम स्थान रखता है। इस गौशाला की स्थापना सन 1892 में गौ सेवा के उद्देश्य से महंत स्वर्गीय सियाराम दास जी के द्वारा कराई गई थी।ताकि इस जिले में भी गौ सेवा निरंतर जारी रहे। इसके लिए स्वर्गीय सियाराम दास जी ने 27 एकड़ भूमि दान में दिए थे। जिसमें अभी 5 एकड़ में गौशाला का भवन निर्मित है। और शेष 22 एकड़ में गायों और बछड़ों के चारा के लिए सिंचाई की जाती है। वही इस गौशाला के चारों ओर करीब 61 दुकानें भी संचालित हो रही है। जिससे प्रति दुकान से प्रतिमाह 400 से लेकर 1500 तक किराया गौशाला को प्राप्त होता है। और उस प्राप्त राशि से गायों और बछड़ों के लिए चोकर दाना तथा उनके रखरखाव के ऊपर खर्च किए जाते हैं।
गाय और बछड़े की संख्या:________
127 वर्ष पुराने इस गौशाला में अभी 146 गाय और बछड़ों के अलावे 17 सांड का पालन किया जा रहा है।और इन सभी गायों में से 33 गाय दोनों शाम में प्रतिदिन 225 लीटर दूध दे रही है। उस दूध की बिक्री कर जो राशि प्राप्त होती है। उसे गोसेवा पर ही खर्च किया जाता है। बीमार गाय और बछड़े की चिकित्सा के लिए गौशाला परिसर में ही सरकारी पशु चिकित्सा अस्पताल भी संचालित हो रहा है। जंहा बीमार पड़ने पर तत्काल गाय बछड़े और सांढ़ का इलाज किया जाता है। और यह गौशाला ट्रस्ट के अंदर संचालित हो रहा है। इसके अध्यक्ष अनुमंडल पदाधिकारी हैं।
गो सेवक की संख्या:______
इस सीतामढ़ी गौशाला में लगातार 127 वर्षों से गौ सेवा करने के लिए ट्रस्ट के माध्यम से 18 सेवकों को रखा गया है। जिन्हें प्रतिमाह ₹6000 मासिक मानदेय दिया जाता है। और सभी अट्ठारह सेवक दिन में तीन बार गायों और बछड़ों को चारा खिलाते हैं, पानी पिलाते हैं, और सफाई के साथ दोनों शाम दूध देने वाली गायों का दूध भी निकाल कर आवश्यक स्थानों तक पहुंचाते हैं।
बाइट 1. कपिल सिंह। गौ सेवक। गंजी में।
बाइट 2. हरिनारायण राय। मैनेजर सीतामढ़ी गौशाला।
बाइट 3. डॉ रंजीत कुमार सिंह। डीएम सीतामढ़ी।
विजुअल Conclusion:हालांकि गौ सेवा में तन मन धन से लगे सेवकों ने ईटीवी भारत संवाददाता से अपनी समस्या बताया कि गौ सेवा निस्वार्थ सेवा है। लेकिन इस ट्रस्ट की ओर से जो मानदेय दिया जाता है उस पैसे से आज की महंगाई में परिवार चलाना और पेट भरना काफी मुश्किल हो रहा है। इसलिए हम सभी चाहते हैं कि इस गौशाला से होने वाली आमदनी से हम लोगों के मानदेय में वृद्धि किया जाए।
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