ETV Bharat / state

आंखों की रोशनी नहीं होने के बावजूद दूसरों के लिए मिसाल, सिलाई की ट्रेनिंग देकर महिलाओं को बना रहा आत्मनिर्भर

सीतामढ़ी का ब्लाइंड फेकन साह (Blind Fekan Sah of Sitamarhi) महिलाओं को सिलाई कढ़ाई का प्रशिक्षण देकर आत्मनिर्भर बना रहा है. फेकन सिलाई-कढ़ाई का टेलरिंग शॉप चलाता है. वह अपना और अपने परिवार का सिलाई कढ़ाई के माध्यम से पालन पोषण करता है. आगे पढ़ें पूरी खबर...

सीतामढ़ी का ब्लाइंड फेकन साह
सीतामढ़ी का ब्लाइंड फेकन साह
author img

By

Published : Dec 17, 2022, 10:00 AM IST

सीतामढ़ी का ब्लाइंड टेलर फेकन साह

सीतामढ़ी: एक पुरानी कहावत की हुनर किसी का मोहताज नहीं होता है. ऐसा ही एक हुनरमंद जो पूरी तरीके से अपनी आंखों की रोशनी चले जाने के बाद भी अपना और अपने परिवार का भरण पोषण अपने हुनर की बदौलत कर रहा है. हम बात कर रहे हैं बिहार के सीतामढ़ी के फेकन साह (Tailor Fekan Sah of Sitamarhi) की, जो जिला मुख्यालय से 4 किलोमीटर की दूरी पर रिखौली गांव में टेलरिंग का शॉप चलाता है. वह अपने इस खास हुनर की बदौलत काफी सुर्खियां बटोर रहा है.

पढ़ें-मसौढ़ी में महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सीएलएफ का हुआ गठन



सरकारी सहायता नहीं मिलने से फेकन नाराज: फेकन सरकारी सहायता नहीं मिलने से काफी नाराज है. लगातार कई बार जिला प्रशासन के आला अधिकारियों से मुलाकात कर सरकारी सहायता की गुहार लगाई बावजूद इसके अब तक उसे कोई सरकारी सहायता नहीं मिली. सिलाई कढ़ाई के माध्यम से वह 200 से 300 रूपये रोज कमाता है, उसी से उसके परिवार का गुजर-बसर होता है. दोनों आंखों की रोशनी नहीं होने के बावजूद वह किसी भी कपड़े को काटने और उसे सीलने में महारत हासिल कर चुका है. उसकी सिलाई के कायल चार-पांच किलोमीटर दूर रहने वाले लोग भी हैं. शादी सीजन को लेकर करीब 2 से 3 किलोमीटर दूरी तक के लोग उससे कपड़ा सिलवाने आ रहे हैं, जिसको लेकर वह काफी उत्साहित भी है.


सैकड़ों महिलाओं को बना चुका है आत्मनिर्भर: फेकन साह महिलाओं के लिए एक प्रशिक्षण केंद्र भी चलाता है. इस केंद्र से वह अब तक सैकड़ों महिलाओं को सिलाई कढ़ाई का प्रशिक्षण देकर आत्मनिर्भर बना चुका है. फेकन को इस बात का मलाल है कि राज्य सरकार और केंद्र सरकार सिलाई कढ़ाई के प्रशिक्षण के नाम पर एनजीओ को करोड़ों रुपये सहायता के रूप में देती है. हालांकि वह कई दफे कार्यालयों का चक्कर लगा चुका फिर भी उसे अब तक कोई सरकारी सहायता नहीं दी गई है. वहीं फेकन का कहना है कि मॉल खुल जाने के बाद लोगों को अब रेडीमेड कपड़े सस्ते दर पर उपलब्ध हो रहे हैं. जिसके कारण कपड़े सिलवाने वाले कम लोग ही उसकी दुकान पर आते हैं जिससे उसकी आमदनी भी कम हो गई है.

"लगातार कई बार जिला प्रशासन के आला अधिकारियों से मुलाकात कर सरकारी सहायता की गुहार लगाई है बावजूद इसके अब तक कोई सरकारी सहायता नहीं मिली. सिलाई कढ़ाई के माध्यम से मैं 200 से 300 रूपये रोज कमाता हूं, उसी से मेरे परिवार का गुजर-बसर होता है. मॉल खुल जाने के बाद लोगों को अब रेडीमेड कपड़े सस्ते दर पर उपलब्ध हो रहे हैं. जिसके कारण कपड़े सिलवाने वाले कम लोग ही दुकान पर आते हैं " - फेकन साह, टेलर


पढ़ें-पीएम मोदी के मन की बात सुन छोड़ दी बैंक की नौकरी, अब महिलाओं को बना रहे आत्मनिर्भर

सीतामढ़ी का ब्लाइंड टेलर फेकन साह

सीतामढ़ी: एक पुरानी कहावत की हुनर किसी का मोहताज नहीं होता है. ऐसा ही एक हुनरमंद जो पूरी तरीके से अपनी आंखों की रोशनी चले जाने के बाद भी अपना और अपने परिवार का भरण पोषण अपने हुनर की बदौलत कर रहा है. हम बात कर रहे हैं बिहार के सीतामढ़ी के फेकन साह (Tailor Fekan Sah of Sitamarhi) की, जो जिला मुख्यालय से 4 किलोमीटर की दूरी पर रिखौली गांव में टेलरिंग का शॉप चलाता है. वह अपने इस खास हुनर की बदौलत काफी सुर्खियां बटोर रहा है.

पढ़ें-मसौढ़ी में महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सीएलएफ का हुआ गठन



सरकारी सहायता नहीं मिलने से फेकन नाराज: फेकन सरकारी सहायता नहीं मिलने से काफी नाराज है. लगातार कई बार जिला प्रशासन के आला अधिकारियों से मुलाकात कर सरकारी सहायता की गुहार लगाई बावजूद इसके अब तक उसे कोई सरकारी सहायता नहीं मिली. सिलाई कढ़ाई के माध्यम से वह 200 से 300 रूपये रोज कमाता है, उसी से उसके परिवार का गुजर-बसर होता है. दोनों आंखों की रोशनी नहीं होने के बावजूद वह किसी भी कपड़े को काटने और उसे सीलने में महारत हासिल कर चुका है. उसकी सिलाई के कायल चार-पांच किलोमीटर दूर रहने वाले लोग भी हैं. शादी सीजन को लेकर करीब 2 से 3 किलोमीटर दूरी तक के लोग उससे कपड़ा सिलवाने आ रहे हैं, जिसको लेकर वह काफी उत्साहित भी है.


सैकड़ों महिलाओं को बना चुका है आत्मनिर्भर: फेकन साह महिलाओं के लिए एक प्रशिक्षण केंद्र भी चलाता है. इस केंद्र से वह अब तक सैकड़ों महिलाओं को सिलाई कढ़ाई का प्रशिक्षण देकर आत्मनिर्भर बना चुका है. फेकन को इस बात का मलाल है कि राज्य सरकार और केंद्र सरकार सिलाई कढ़ाई के प्रशिक्षण के नाम पर एनजीओ को करोड़ों रुपये सहायता के रूप में देती है. हालांकि वह कई दफे कार्यालयों का चक्कर लगा चुका फिर भी उसे अब तक कोई सरकारी सहायता नहीं दी गई है. वहीं फेकन का कहना है कि मॉल खुल जाने के बाद लोगों को अब रेडीमेड कपड़े सस्ते दर पर उपलब्ध हो रहे हैं. जिसके कारण कपड़े सिलवाने वाले कम लोग ही उसकी दुकान पर आते हैं जिससे उसकी आमदनी भी कम हो गई है.

"लगातार कई बार जिला प्रशासन के आला अधिकारियों से मुलाकात कर सरकारी सहायता की गुहार लगाई है बावजूद इसके अब तक कोई सरकारी सहायता नहीं मिली. सिलाई कढ़ाई के माध्यम से मैं 200 से 300 रूपये रोज कमाता हूं, उसी से मेरे परिवार का गुजर-बसर होता है. मॉल खुल जाने के बाद लोगों को अब रेडीमेड कपड़े सस्ते दर पर उपलब्ध हो रहे हैं. जिसके कारण कपड़े सिलवाने वाले कम लोग ही दुकान पर आते हैं " - फेकन साह, टेलर


पढ़ें-पीएम मोदी के मन की बात सुन छोड़ दी बैंक की नौकरी, अब महिलाओं को बना रहे आत्मनिर्भर

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.