शेखपुराः बिहार में कोरोना के मामले (Corona In Bihar) लगातार बढ़ रहे हैं. सरकार की तरफ से स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार और बढ़ोतरी के दावे भी किए जा रहे हैं लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और है. बिहार के शेखपुरा जिले के कैथवा और पचना में स्कूली बच्चों के कोरोना संक्रमित होने के बाद आरटीपीसीआर टेस्ट (Negligence In RTPCR Test) की रिपोर्ट अब तक नहीं आई. बाद में पता चला कि शेखपुरा सदर अस्पताल से सैंपल देर से भेजे जाने के कारण पीएमसीएच से 800 सैंपल सदर अस्पताल में वापस भेज दिया.
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स्कूली बच्चों के कोरोना संक्रमित होने की खबर से जिले में हड़कंप मच गया था. लेकिन पिछले 26 दिसम्बर को सिविल सर्जन डॉ. पृथ्वीराज ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर स्कूली बच्चों के कोविड पॉजिटिव होने की बात सिरे से नकारते हुए बताया था कि एंटीजन टेस्ट में कोविड पॉजिटिव होने के कई प्रकार के कारण होते हैं. जब तक पटना लैब से आरटीपीसीआर की रिपोर्ट नहीं आ जाती तब तक उनको कोविड पॉजिटिव नहीं माना जा सकता. आरटीपीसीआर टेस्ट रिपोर्ट पॉजिटिव मिलने के बाद ही उनको पॉजिटिव पोर्टल पर डाला जाएगा.
ऐसे में जिले के लोगों को कैथवा और पचना के स्कूली बच्चों के आरटीपीसीआर रिपोर्ट के आने का इंतजार होने लगा. आरटीपीसीआर टेस्ट रिपोर्ट में हो रही देरी से लोग असमंजस की स्थिति में थे. आरटीपीसीआर टेस्ट रिपोर्ट 72 घंटों में मिल जाती है. लेकिन जब समय बीत जाने पर आरटीपीसीआर की रिपोर्ट नहीं आई, तो इस मामले की पड़ताल किये जाने पर चौकाने वाली बात सामने आई.
जांच के बाद पता चला कि शेखपुरा सदर अस्पताल से आरटीपीसीआर सैंपल देर से भेजे जाने पर पीएमसीएच से 800 सैंपल सदर अस्पताल में वापस भेज दिया गया है. जो स्वास्थ्य विभाग की घोर लापरवाही को दर्शाता है. ये लापरवाही शेखपुरा जिले में कोरोना विस्फोट का कारण बन सकता है.
अगर कैथवा गांव की बात करे तो वहां के लोग बेहिचक बाजार से लेकर अन्य आयोजन सहित अपनी दिनचर्या सामान्य दिनों की तरह बेरोकटोक कर रहे हैं. जिनका एंटीजन टेस्ट पॉजिटिव मिला, उनकी गतिविधियों को भी देखने वाला कोई नहीं है. वही हाल पचना गांव का है. ऐसे में लोगों का मानना है कि स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन के सुस्त रवैये और लापरवाही के कारण जिले में सैकड़ों लोग कोरोना की चपेट में आ गए होंगे. सही तरीके से जांच की जरुरत है, जो जिले में बिल्कुल सुस्त रफ्तार में चल रही है.
बता दें कि कैथवा व पचना में मिले संक्रमितों में किसी को कोई लक्षण नहीं था. हालांकि ये कोविड संक्रमितों के लिए सुखद समाचार है. लेकिन ऐसे संक्रमितों को ऐसे ही छोड़ देना, कहीं से भी उचित नहीं है. स्वास्थ्य विभाग के पास न मद की कमी है और न संसाधन की कमी. ऐसे में स्वास्थ्य विभाग सबको एक साथ कोविड केयर सेंटर में आइसोलेट कर अपनी निगरानी में रख सकता था. लेकिन सबको होम आइसोलेट किया गया.
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इस सिलसिले में डीपीएम श्याम कुमार निर्मल ने बताया कि जिले के विभिन्न प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के द्वारा आरटीपीसीआर के लिए जमा किए गए सैंपल को पटना देर से भेजा गया था. जिस कारण पटना लैब ने उसे वापस कर दिया. उन्होंने कहा कि 23 दिसम्बर को सैम्पल लिया गया था, जिसे 27 दिसंबर को आरटीपीसीआर जांच हेतु पटना लैब भेजा गया.
डीपीएम ने कहा कि नियमता तीन दिनों के अंदर सैम्पल लैब में पहुंच जाना चाहिए था. लेकिन इसी बीच सदर अस्पताल के लैब टेक्नीशियन सड़क दुर्घटना में घायल हो गए, जिस कारण सैंपल को भेजने में विलंब हुआ. उन्होंने कहा कि वापस आए सभी सैंपल को चिन्हित करते हुए पुनः सैंपल कलेक्ट किया जाएगा. उसके बाद फिर से जांच के लिए पटना भेजा जाएगा.
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