शेखपुरा: ईटीवी भारत की टीम सरकारी दावों की सच्चाई जानने के लिए सामुदायिक किचन का जायजा लेने पहुंची. जिला प्रशासन द्वारा खाना खिलाने का निर्धारित समय 10 बजे से है. अभ्यास मध्य विद्यालय परिसर डायट में बनाए गए सामुदायिक किचन में भोजन खिलाने का निर्देश दिया गया है. लेकिन, खाना खाने आए लोग बिना खाए ही लौट रहे हैं.
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खाने के लिए घंटों इंतजार
शेखपुरा में सामुदायिक किचन का हाल देख समझना मुश्किल नहीं था कि ये लोगों के कितना काम आ रहा है. खाना देने का समय 10 बजे का था लेकिन 12 बजे लोगों को खाना परोसा गया और वह भी अधपका था. हमने जब जानने की कोशिश की कि आखिर तय समय पर खाना क्यों नहीं दिया जाता तो एक कर्मी ने बताया गया कि जबतक दस-बीस लोग नहीं आएंगे तबतक खाना कैसे खिलाएंगे. वहीं देर होने से कई लोग लौट जाते हैं.
'गुरुवार को अधपका चावल परोसा गया. जिसे बिना खाए ही फेंक दिए. इस तरह का अधपका भोजन खाने से हम लोग बीमार हो सकते हैं. जिसके कारण हमने गुरुवार की दोपहर खाना नहीं खाया.'- शेखर कुमार, स्थानीय
परोसा गया अधपका भोजन
दो घंटे के बाद लगभग 12 बजे स्थानीय मोहल्ला मकदूमपुर के कुछ लोग पहुंचे. जिसके बाद लोगों को खाने के लिए दाल-भात, भिंडी और आलू की सब्जी परोसा गया. लेकिन आनन-फानन में उक्त कर्मियों द्वारा अधपका भोजन ही लोगों के सामने परोस दिया गया. भोजन का पहला निवाला लेते ही अधपका भोजन का एहसास हुआ तो स्थानीय लोगों ने भला-बुरा सुनाना शुरू कर दिया. वहीं, कर्मियों द्वारा अनसुना करने पर उक्त सभी लोग लगभग 12:15 बजे बारी-बारी से अधपका भोजन समीप के डस्टबिन में फेंकते दिखाई दिये. और कोसते हुए सभी लोग वापस चले गए.
'बुधवार की देर रात्रि खाना खाने के लिए पहुंचे थे. लेकिन सामुदायिक किचन के लोगों के द्वारा बिना खाना दिए ही वापस भेज दिया गया. उनसे खाने की मांग की गई तो उन्होंने कहा यहां खाना खत्म हो गया है अब कल आना.'- नवीन कुमार, स्थानीय
मौजूद कर्मी का बयान
वहीं, पूछे जाने पर मौजूद कर्मी ने अधपका भोजन से इंकार करते हुए कहा कि काफी देर से भोजन बने रहने के कारण चावल कुछ कड़ा हो गया होगा. देर से भोजन खिलाने पर कर्मी ने कहा कि इक्का-दुक्का लोग ही आ रहे थे, जिसके कारण भोजन देने में विलंब हुआ. 10-20 लोग पहुंचने पर लोगों को जिला प्रशासन द्वारा जारी निर्देश के अनुसार भोजन दिया गया है.
सामुदायिक किचन का हाल देखकर यही प्रतीत हो रहा था कि अधिकारी आपदा को अवसर बना रहे हैं.
'पिछले 15 दिन से खाना खा रहे हैं. लेकिन यहां गुणवत्ताहीन खाना दिया जाता है. इसकी शिकायत करने पर उसका कोई जवाब नहीं मिलता है. खाने में कभी आलू सोयाबीन तो कभी सिर्फ आलू की सब्जी दी जाती है जिस में हल्दी और नमक की मात्रा भी कम रहती है.'- छोटू कुमार, मखदुमपुर मोहल्ला निवासी
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मुख्यमंत्री को दिखाने के लिए कराया गया था लजीज भोजन
दरअसल लॉकडाउन के कारण गरीब और असहाय लोगों को भूखा रहना नहीं पड़े. इसको लेकर बिहार सरकार के निर्देश पर जिला प्रशासन के द्वारा जिले के सभी प्रखंडों में सामुदायिक किचन का शुभारंभ किया गया. जहां प्रतिदिन जरूरतमंद लोगों को भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है. लेकिन भोजन उपलब्ध कराने को लेकर बनाए गए सामुदायिक किचन की स्थिति बदहाल दिखाई दे रही है. सामुदायिक किचन में खाना उपलब्ध करने के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है.
लोगों में नाराजगी
रियलिटी चेक में हमने पाया कि लोगों को अधपका भोजन परोसा जा रहा है. जिसके कारण भोजन करने आ रहे लोगों में काफी आक्रोश है. गौरतलब है कि 2 दिन पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के द्वारा सामुदायिक किचन का निरीक्षण किया गया था, उस दौरान अभ्यास मध्य विद्यालय के डायट एवं बरबीघा के प्लस टू उच्च विद्यालय में संचालित सामुदायिक किचन को पूरी तरह से सजाया गया था, जैसे किसी का विवाह का रिसेप्शन हो. उस दिन की मेन्यू में दाल, चावल, हरी-सब्जी, पापड़, अचार, सलाद सहित अन्य तरह के लजीज भोजन परोसा गया था. लेकिन उसके दूसरे दिन ही सामुदायिक किचन पुराने ढर्रा पर लौट आया. जिस वजह से गुरुवार को अधपका भोजन मिलने से नाराज लोगों ने इसका बहिष्कार कर दिया.
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