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बाढ़ गुजरने के बाद भी टाल में मुश्किलें नहीं हुईं कम, दर्जनों गांवों का मार्ग बाधित

बिहार के लोगों को हर साल बाढ़ की आपदा से जूझना पड़ता है. बाढ़ से भारी क्षति होती है. अब बाढ़ का पानी उतर जाने के बाद भी शेखपुरा के लोगों की परेशानी कम नहीं हुई है. पढ़ें विस्तृत रिपोर्ट.

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Published : Sep 21, 2021, 6:51 AM IST

शेखपुरा: बिहार के शेखपुरा (Sheikhpura) जिले के घाटकुसुम्भा प्रखंड में हरोहर नदी में आई बाढ़ (Flood in Sheikhpura) से लोगों के जीवन पर व्यापक असर पड़ा है. बाढ़ की त्रासदी (Flood Disaster in Bihar) के दौरान लोगों को अपनी जान बचाने की जद्दोजहद करनी पड़ी. सैकड़ों परिवार विस्थापित होकर सड़क व स्कूलों में रहने पर मजबूर हो गए थे. मौजूदा समय मे बाढ़ का पानी सड़कों से निकल चुका है. लोग बाढ़ के दिये जख्मों को भूलकर अपने जीवन को फिर से पटरी पर लाने में जुट गये हैं.

ये भी पढ़ें: शेखपुरा सदर अस्पताल में नवजात को नहीं लिया भर्ती, कुछ देर बाद टूट गईं मासूम की सांसें, परिजनों ने अस्पताल में काटा बवाल

बाढ़ के गुजरने के बावजूद टाल क्षेत्र के लोगों को मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. प्रखंड के सुजवालपुर, गदबदीया, पानापुर, मोहम्मदपुर, आलापुर जैसे गांव अभी भी सड़क मार्ग से जुड़ नहीं पाये हैं. ऐसे गांवों में मिट्टी की कच्ची सड़क है जो थोड़ी सी बारिश में फिसलन भरी हो जाती है. इससे दोपहिया वाहन तो क्या, लोगों का पैदल चलना भी दूभर हो जाता है.

हालांकि इन जगहों पर सड़क निर्माण को लेकर मिट्टी कार्य किया गया था लेकिन बाढ़ की वजह से इन रास्तों पर बने गड्ढे कीचड़ में तब्दील हो गये हैं. टाल के सबसे ज्यादा पिछड़े क्षेत्र का दंश झेल रहे पानापुर पंचायत को सर्वाधिक समस्याओं से जूझना पड़ रहा है. पानापुर पंचायत से प्रखंड मुख्यालय की दूरी मात्र 10 किलोमीटर है लेकिन यहां के ग्रामीणों को प्रखंड मुख्यालय तक जाने में लखीसराय जिले से होते हुए लगभग 50 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है.

ये भी पढ़ें: बाढ़ प्रभावित गन्ना किसानों के लिए बड़ी राहत, सरकार देगी मुआवजा

यहां स्वास्थ्य सुविधा के नाम पर एक एएनएम की नियुक्ति है जो आंगनबाड़ी केंद्रों पर टीकाकरण का काम करती हैं. बाकी बीमार लोगों को ईलाज कराने हेतु नाव से या खटिया पर उठाकर बाउघाट तक लाना पड़ता है. इसके बाद सड़क मार्ग से सिरारी होते हुए जिला मुख्यालय शेखपुरा लाना पड़ता है. सड़क मार्ग की समस्या की वजह से गंभीर रूप से बीमार लोग इलाज के अभाव में रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं.

यहां की प्रसूति महिलाओं का प्रसव अधितकर गांव में ही दाई या अन्य महिलाओं की देख-रेख में कराई जाता है. सबसे बड़ी समस्या रात को तब होती है, जब कोई बीमार पड़ जाए. इस परिस्थिति में सुविधा के अभाव में लोग सुबह होने के इंतजार में घर में बैठे रहते हैं.

पानापुर पंचायत के ग्रामीण चंदन चौरसिया, गोपेश साव, पप्पू साव, शाहिदा पासवान आदि ने बताया कि बाढ़ गुजर गया है लेकिन अभी भी ग्रामीणों की समस्या बरकरार है. बाढ़ की वजह से बहुत से लोग घर छोड़कर दूसरे प्रदेशों में कमाने चले गए. कुछ लोग समस्याओं का सामना करते हुए अपने बिखरे घर-द्वार को बनाने में लगे हुए हैं.

ये भी पढ़ें: बाढ़ पीड़ित इलाकों में पशुओं के चारे के लिए भटक रहे हैं मवेशी पालक

सड़क मार्ग की समस्या की वजह से लोगों को अभी भी नाव का ही सहारा लेना पड़ रहा है. प्रशासन द्वारा बाढ़ के बाद छिड़काव की व्यवस्था अब तक नहीं हुई हैं. जिससे लोगों को घरों के अगल-बगल बाढ़ से आये कचरे को खुद साफ करना पड़ रहा है. घरों में पानी के सीलन की बदबू आती है. प्रशासन से कोई मदद नहीं मिलने से लोग अपनी किस्मत को कोस रहे हैं.

बाढ़ गुजरने के बाद डीहकुसुम्भा-कोयला पथ का निर्माण फिर से शुरू हो चुका है लेकिन भदौसी गांव में नाले के निर्माण को लेकर जेसीबी से बनाये गए गड्ढे की वजह से मार्ग अवरुद्ध है. वहीं, नाले के खुदाई की वजह से सड़क की चौड़ाई भी कम हो गयी है.

इसकी वजह से सड़क किनारे मिट्टी खिसकने से सड़क के अस्तित्व पर भी संकट खड़ा हो गया है. इस बाबत ग्रामीण डोमन राम, प्रमोद साव, सुनील साव, दालो साव ने बताया कि सड़क किनारे गड्ढे की वजह से दर्जनों गांवों में चलने वाली सवारी गाड़ियां या तो बन्द हो चुकी हैं या वाहन चालक जान जोखिम में डालकर गड्ढे के बगल से वाहन को ले जाते हैं. इस वजह से हमेशा हादसे की आशंका बनी रहती है.

ये भी पढ़ें: बिहार में बाढ़ से 5 हजार करोड़ के नुकसान का अनुमान, डबल इंजन सरकार को है मदद की दरकार

शेखपुरा: बिहार के शेखपुरा (Sheikhpura) जिले के घाटकुसुम्भा प्रखंड में हरोहर नदी में आई बाढ़ (Flood in Sheikhpura) से लोगों के जीवन पर व्यापक असर पड़ा है. बाढ़ की त्रासदी (Flood Disaster in Bihar) के दौरान लोगों को अपनी जान बचाने की जद्दोजहद करनी पड़ी. सैकड़ों परिवार विस्थापित होकर सड़क व स्कूलों में रहने पर मजबूर हो गए थे. मौजूदा समय मे बाढ़ का पानी सड़कों से निकल चुका है. लोग बाढ़ के दिये जख्मों को भूलकर अपने जीवन को फिर से पटरी पर लाने में जुट गये हैं.

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बाढ़ के गुजरने के बावजूद टाल क्षेत्र के लोगों को मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. प्रखंड के सुजवालपुर, गदबदीया, पानापुर, मोहम्मदपुर, आलापुर जैसे गांव अभी भी सड़क मार्ग से जुड़ नहीं पाये हैं. ऐसे गांवों में मिट्टी की कच्ची सड़क है जो थोड़ी सी बारिश में फिसलन भरी हो जाती है. इससे दोपहिया वाहन तो क्या, लोगों का पैदल चलना भी दूभर हो जाता है.

हालांकि इन जगहों पर सड़क निर्माण को लेकर मिट्टी कार्य किया गया था लेकिन बाढ़ की वजह से इन रास्तों पर बने गड्ढे कीचड़ में तब्दील हो गये हैं. टाल के सबसे ज्यादा पिछड़े क्षेत्र का दंश झेल रहे पानापुर पंचायत को सर्वाधिक समस्याओं से जूझना पड़ रहा है. पानापुर पंचायत से प्रखंड मुख्यालय की दूरी मात्र 10 किलोमीटर है लेकिन यहां के ग्रामीणों को प्रखंड मुख्यालय तक जाने में लखीसराय जिले से होते हुए लगभग 50 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है.

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यहां स्वास्थ्य सुविधा के नाम पर एक एएनएम की नियुक्ति है जो आंगनबाड़ी केंद्रों पर टीकाकरण का काम करती हैं. बाकी बीमार लोगों को ईलाज कराने हेतु नाव से या खटिया पर उठाकर बाउघाट तक लाना पड़ता है. इसके बाद सड़क मार्ग से सिरारी होते हुए जिला मुख्यालय शेखपुरा लाना पड़ता है. सड़क मार्ग की समस्या की वजह से गंभीर रूप से बीमार लोग इलाज के अभाव में रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं.

यहां की प्रसूति महिलाओं का प्रसव अधितकर गांव में ही दाई या अन्य महिलाओं की देख-रेख में कराई जाता है. सबसे बड़ी समस्या रात को तब होती है, जब कोई बीमार पड़ जाए. इस परिस्थिति में सुविधा के अभाव में लोग सुबह होने के इंतजार में घर में बैठे रहते हैं.

पानापुर पंचायत के ग्रामीण चंदन चौरसिया, गोपेश साव, पप्पू साव, शाहिदा पासवान आदि ने बताया कि बाढ़ गुजर गया है लेकिन अभी भी ग्रामीणों की समस्या बरकरार है. बाढ़ की वजह से बहुत से लोग घर छोड़कर दूसरे प्रदेशों में कमाने चले गए. कुछ लोग समस्याओं का सामना करते हुए अपने बिखरे घर-द्वार को बनाने में लगे हुए हैं.

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सड़क मार्ग की समस्या की वजह से लोगों को अभी भी नाव का ही सहारा लेना पड़ रहा है. प्रशासन द्वारा बाढ़ के बाद छिड़काव की व्यवस्था अब तक नहीं हुई हैं. जिससे लोगों को घरों के अगल-बगल बाढ़ से आये कचरे को खुद साफ करना पड़ रहा है. घरों में पानी के सीलन की बदबू आती है. प्रशासन से कोई मदद नहीं मिलने से लोग अपनी किस्मत को कोस रहे हैं.

बाढ़ गुजरने के बाद डीहकुसुम्भा-कोयला पथ का निर्माण फिर से शुरू हो चुका है लेकिन भदौसी गांव में नाले के निर्माण को लेकर जेसीबी से बनाये गए गड्ढे की वजह से मार्ग अवरुद्ध है. वहीं, नाले के खुदाई की वजह से सड़क की चौड़ाई भी कम हो गयी है.

इसकी वजह से सड़क किनारे मिट्टी खिसकने से सड़क के अस्तित्व पर भी संकट खड़ा हो गया है. इस बाबत ग्रामीण डोमन राम, प्रमोद साव, सुनील साव, दालो साव ने बताया कि सड़क किनारे गड्ढे की वजह से दर्जनों गांवों में चलने वाली सवारी गाड़ियां या तो बन्द हो चुकी हैं या वाहन चालक जान जोखिम में डालकर गड्ढे के बगल से वाहन को ले जाते हैं. इस वजह से हमेशा हादसे की आशंका बनी रहती है.

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