शेखपुरा: जिले के सदर अस्पताल से दिल को झकझोर देने वाला एक मामला सामने आया है. एक बार फिर सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की लापरवाही उजागर हुई है. दरसअल, सड़क हादसे में घायल एक मासूम को सदर अस्पताल लाया गया था. यहां घंटों भटकने के बाद भी बच्ची को इलाज नहीं मिला. नतीजा, इलाज के अभाव में मासूम बच्ची ने तड़प-तड़प कर दम तोड़ दिया.
9 वर्षीय बच्ची की हुई मौत
दरअसल, सदर थाना अंतर्गत टोथिया पहाड़ के पास लखीसराय जिले के परसामा गांव से इलाज कराने बिहारशरीफ जा रहे ऑटो को ओवरलोडेड ट्रक ने टक्कर मार दी. जिसमें सवार चार लोग घायल हो गए. सूचना के बाद एम्बुलेंस के माध्यम से सभी घायलों को सदर अस्पताल लाया गया, लेकिन मौके पर डॉक्टर ना मिलने के कारण गंभीर रूप से घायल 9 वर्षीय बच्ची की मौत हो गई, जबकि तीन अन्य गंभीर रूप से घायलों का निजी क्लिनिक में इलाज चल रहा है. बच्ची का नाम कृति पांडेय है, जो लखीसराय जिले रामगढ़ ब्लॉक निवासी अमलेश पांडे की पुत्री है.
घायलों का चल रहा इलाज
अमलेश ने बताया कि उसका परिवार अपनी 9 वर्षीय बच्ची कृति आनंद का इलाज कराने बिहारशरीफ जा रहे थे. इसी दौरान टोथिया पहाड़ के पास ओवरलोडेड ट्रक ने टक्कर मार दी. जिस पर सवार उनकी पत्नी सुनीता देवी, पुत्र पुत्र विवेक आनंद, पुत्री कृति आनंद एवं मनीषा कुमारी गंभीर रूप से घायल हो गए. जिसे स्थानीय लोगों की मदद से आनन-फानन में सदर अस्पताल लाया गया, जहां एक भी डॉक्टर नहीं रहने के कारण उसकी 9 वर्षीय बच्ची की मौत हो गई, जबकि अन्य घायलों का निजी अस्पताल में इलाज चल रहा है. सूचना के बाद मौके पर पहुंचकर शेखपुरा थाना पुलिस ने पोस्टमार्टम कराकर शव को उसके परिजनों को सौप दिया.
डॉक्टर की लापरवाही ने ली बच्ची की जान
शेखपुरा सदर अस्पताल की लापरवाही लगातार सामने आ रही है. बता दें कि इसके पूर्व भी लापरवाही बरतने को लेकर ग्रामीणों द्वारा तोड़फोड़ व स्वास्थ्य कर्मियों के साथ मारपीट भी किया गया था. साथ ही डॉक्टर के द्वारा एक्सपायर ग्लूकोज की बोतल चढ़ाने को लेकर भी सदर अस्पताल में ग्रामीणों ने जमकर बवाल काटा था. इसके बावजूद भी अस्पताल प्रशासन व्यवस्था को लेकर किसी प्रकार की उचित पहल नहीं कर रहे हैं. जिसके कारण लगातार इलाज कराने आ रहे मरीजों को परेशानियां झेलनी पड़ रही है.
इसी क्रम में बुधवार को भी डॉक्टरों की लापरवाही व समय पर अस्पताल में स्वास्थ्य कर्मी की उपस्थिति नहीं रहने के कारण बच्चे का इलाज नहीं हो सका. जिसके कारण उसे एंबुलेंस चालक के द्वारा निजी अस्पताल में भर्ती कर दिया गया, जहां उसका इलाज के दौरान मौत हो गई. इसको लेकर मृतक के परिजनों ने अस्पताल प्रशासन के प्रति काफी आक्रोश देखा गया है.
उपाधीक्षक ने झाड़ा पल्ला
इस बाबत सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ. वीरेंद्र कुमार ने कहा कि अस्पताल में 24 घंटे डॉक्टर व कर्मियों की तैनाती रहती है. गायब रहने का सवाल ही नहीं उठता है. उन्होंने कहा कि किसी बच्ची की मौत हुई है, उन्हें जानकारी नहीं है. गौरतलब है कि सदर अस्पताल में डॉक्टरों एवं कर्मियों की मनमानी चरम सीमा पर है और ड्यूटी के बजाय अधिकतर डॉक्टर अपने निजी क्लिनिक चलाने में व्यस्त रहता है. हाल ही के दिनों एक नवजात का चोरी सदर अस्पताल से ही कर लिया गया था और घटना के समय का सीसीटीवी बंद था. बावजूद व्यवस्था में सुधार लाने के बजाय डॉक्टर अपनी थोथी दलील देने से बाज नहीं आ रहे है.