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दशकों बाद भी यहां नहीं बन सका पुल, जान जोखिम में डाल पैदल बागमती नदी पार करते हैं लोग - SHEOHAR

बिहार सरकार के विकास के दावे फेल साबित हो रहे हैं. पुल निर्माण नहीं होने के कारण लाखों की आबादी बागमती नदी की धारा को पार कर आने-जाने को विवश है.

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Published : Feb 14, 2020, 8:49 AM IST

शिवहर: जिले में पुल, सड़क और नाव सहित कई मूलभूत सुविधाओं का घोर अभाव है. बेलवा, इनरवा, अंबा, अंबा कोठी, चिमनपुर, बसहिंया सहित अन्य गांव में निवास करने वाले हजारों की आबादी साल के 4 महीने बागमती की धारा को पार कर आने-जाने को विवश है, लेकिन सरकार और स्थानीय प्रशासन का इस ओर ध्यान नहीं है.

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पुल नहीं होने से नाव से नदी पार करते है लोग

जनता की समस्या पर नहीं है नेताओं का ध्यान
लोगों को अपने सभी तरह के कामकाज को निपटाने के लिए बागमती के बीचों-बीच से गुजारना पड़ता है. इस दौरान कई बार घटनाएं भी घटित हो जाती है. इसके बावजूद भी प्रशासन की ओर से को सुविधा नहीं दी गई है. बेबस जनता के एक-एक वोट से चुनकर सांसद और विधायक लोकसभा और विधानसभा पहुंचते हैं. वर्षों तक इस क्षेत्र पर स्वर्गीय रघुनाथ झा का कब्जा रहा. हाल के 15 वर्षों से भाजपा की रमा देवी यहां की सांसद हैं. लेकिन सत्ता के इन हुक्मरानों ने जनता से सिर्फ वोट ठगने का काम किया. इसका नतीजा है कि उफनती बागमती की धारा प्रत्येक वर्ष कई लोगों को अपनी आगोश में हमेशा के लिए समेट लेती है.

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नदी पार करने पर विवश है लोग

खतरनाक नदियों में से एक है बागमती
बता दें कि हिमालय से निकलने वाली बागमती नदी सबसे खतरनाक नदियों में से एक है. यह नदी प्रत्येक वर्ष अपनी धारा और रुख बदलती रहती है. धारा बदलने से भयंकर कटाव होता है और इस कटाव के कारण किसानों के खेत, मकान, सड़क, बांध, पुल और पुलिया नदी में विलीन हो जाता है. केवल इस बाढ़ ग्रस्त क्षेत्र में आवागमन का एकमात्र साधन बचता है नाव और उसकी भी संख्या काफी कम होती है. वहीं, यहां के लोगों को कई बार दुर्घटना का भी शिकार होता पड़ता है.

पुल नहीं होने से लोग परेशान

मूलभूत सुविधाओं का है अभाव- डीएम
शिवहर के डीएम अवनीश कुमार सिंह ने बताया कि जिले के सभी पंचायत बाढ़ की विभीषिका झेलने को विवश हैं. बाढ़ ग्रस्त क्षेत्र की आबादी आज भी मूलभूत सुविधाओं का दंश झेल रही है, जिसे दूर करने की दिशा में प्रयास शुरू कर दिया गया है. ताकि बाढ़ पीड़ित क्षेत्र की जनता को परेशानियों का सामना नहीं करना पड़े.

शिवहर: जिले में पुल, सड़क और नाव सहित कई मूलभूत सुविधाओं का घोर अभाव है. बेलवा, इनरवा, अंबा, अंबा कोठी, चिमनपुर, बसहिंया सहित अन्य गांव में निवास करने वाले हजारों की आबादी साल के 4 महीने बागमती की धारा को पार कर आने-जाने को विवश है, लेकिन सरकार और स्थानीय प्रशासन का इस ओर ध्यान नहीं है.

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पुल नहीं होने से नाव से नदी पार करते है लोग

जनता की समस्या पर नहीं है नेताओं का ध्यान
लोगों को अपने सभी तरह के कामकाज को निपटाने के लिए बागमती के बीचों-बीच से गुजारना पड़ता है. इस दौरान कई बार घटनाएं भी घटित हो जाती है. इसके बावजूद भी प्रशासन की ओर से को सुविधा नहीं दी गई है. बेबस जनता के एक-एक वोट से चुनकर सांसद और विधायक लोकसभा और विधानसभा पहुंचते हैं. वर्षों तक इस क्षेत्र पर स्वर्गीय रघुनाथ झा का कब्जा रहा. हाल के 15 वर्षों से भाजपा की रमा देवी यहां की सांसद हैं. लेकिन सत्ता के इन हुक्मरानों ने जनता से सिर्फ वोट ठगने का काम किया. इसका नतीजा है कि उफनती बागमती की धारा प्रत्येक वर्ष कई लोगों को अपनी आगोश में हमेशा के लिए समेट लेती है.

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नदी पार करने पर विवश है लोग

खतरनाक नदियों में से एक है बागमती
बता दें कि हिमालय से निकलने वाली बागमती नदी सबसे खतरनाक नदियों में से एक है. यह नदी प्रत्येक वर्ष अपनी धारा और रुख बदलती रहती है. धारा बदलने से भयंकर कटाव होता है और इस कटाव के कारण किसानों के खेत, मकान, सड़क, बांध, पुल और पुलिया नदी में विलीन हो जाता है. केवल इस बाढ़ ग्रस्त क्षेत्र में आवागमन का एकमात्र साधन बचता है नाव और उसकी भी संख्या काफी कम होती है. वहीं, यहां के लोगों को कई बार दुर्घटना का भी शिकार होता पड़ता है.

पुल नहीं होने से लोग परेशान

मूलभूत सुविधाओं का है अभाव- डीएम
शिवहर के डीएम अवनीश कुमार सिंह ने बताया कि जिले के सभी पंचायत बाढ़ की विभीषिका झेलने को विवश हैं. बाढ़ ग्रस्त क्षेत्र की आबादी आज भी मूलभूत सुविधाओं का दंश झेल रही है, जिसे दूर करने की दिशा में प्रयास शुरू कर दिया गया है. ताकि बाढ़ पीड़ित क्षेत्र की जनता को परेशानियों का सामना नहीं करना पड़े.

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