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TMBU हिन्दी विभाग के प्रोफेसर का तबादला रद्द करने की मांग को लेकर चौथे दिन भी अनशन, कई छात्राएं बीमार - TILKA MANJHI BHAGALPUR UNIVERSITY

भागलपुर तिलकामांझी विश्वविद्यालय हिन्दी विभाग की छात्र-छात्राएं चौथे दिन भी अनशन पर हैं, जिससे उनकी तबीयत बिगड़ने लगी है. कई लड़कियां भर्ती कराई गई हैं-

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तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Feb 13, 2025, 10:22 PM IST

भागलपुर : तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के छात्र-छात्राएं तीन दिनों से अनशन पर बैठे हुए हैं. आज उनका अनशन का चौथा दिन है. इस दौरान छात्राएं बीमार पड़ने लगी हैं और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया जा रहा है. बावजूद इसके विश्वविद्यालय प्रबंधन की ओर से अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई है. कुलपति ने साफ तौर पर कह दिया है कि छात्रों की मांगें नहीं मानी जाएंगी.

अनशन पर बैठे छात्र-छात्राएं : अब तक 25 छात्राएं और 22 छात्र आमरण अनशन पर बैठे हैं. हिंदी विभाग पिछले 5 दिनों से बंद है और पढ़ाई भी ठप पड़ी है. तीसरी रात भी छात्र-छात्राएं प्रबंधन की ओर टकटकी लगाए बैठे रहे, लेकिन जवाब में सिर्फ यही सुनने को मिला कि शिक्षक दिव्यानंद का तबादला रद्द नहीं होगा.

वीडियो, विवाद और शिक्षक का तबादला : हिंदी विभाग के शिक्षक दिव्यानंद का जन्मदिन हाल ही में तलवार से केक काटकर मनाया गया था. इस घटना का वीडियो वायरल होने के बाद कुलपति ने जांच कमिटी बनाई थी. कमिटी की रिपोर्ट के आधार पर दिव्यानंद का तबादला नारायणपुर कॉलेज में कर दिया गया. छात्र-छात्राएं इस निर्णय के खिलाफ अनशन पर बैठ गए हैं. उनका कहना है कि शिक्षक दिव्यानंद एक सरल व्यक्ति हैं और केक काटने की गलती छात्रों की थी, न कि उनके शिक्षक की.

कुलपति का बयान और प्रशासन का रुख : कुलपति प्रोफेसर जवाहरलाल ने कहा कि अगर छात्र बीमार पड़ रहे हैं तो यह उनकी गलती है, और विश्वविद्यालय अपना आदेश वापस नहीं ले सकता है. उनका कहना था कि शिक्षक ने गलती की थी, और नियमावली के तहत उनका तबादला किया गया है. विश्वविद्यालय प्रबंधन छात्रों को समझाने की कोशिश कर रहा है, लेकिन छात्रों का विरोध जारी है.

आक्रोश और वायरल ऑडियो : इस बीच, जांच कमेटी के एक सदस्य का ऑडियो वायरल हुआ, जिसमें प्रोफेसर दिव्यानंद के ट्रांसफर की बात की गई थी. इस ऑडियो में यह भी उल्लेख था कि कैसे पूर्व रजिस्ट्रार विकास चंद्रा के साथ कर्मचारियों द्वारा की गई मारपीट को हल किया गया और कर्मचारियों को निर्दोष करार दिया गया. इस ऑडियो ने छात्रों के बीच आक्रोश को और बढ़ा दिया, और वे अब अनशन पर बैठ गए हैं.

अस्पताल में भर्ती छात्राएं : अनशन पर बैठे छात्रों का कहना है कि अगर किसी ने गलती की है, तो सजा उन्हीं को मिलनी चाहिए, न कि उनके प्रोफेसर को. प्रदर्शनकारियों की आंखों में आंसू थे और वे लगातार अपनी आवाज उठा रहे थे कि उनके प्रोफेसर का ट्रांसफर रद्द किया जाए. अनशन के कारण कई छात्राओं की तबीयत बिगड़ गई और उन्हें भागलपुर के सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया है. स्थिति चिंताजनक बताई जा रही है.

प्रशासन की चुनौती : यह मामला सिर्फ विश्वविद्यालय के भीतर का नहीं, बल्कि शिक्षा और प्रशासनिक व्यवस्था की गंभीरता को भी दर्शाता है. छात्र-छात्राओं का प्रदर्शन और उनकी स्थिति प्रशासन के लिए एक गंभीर चुनौती बन चुकी है. अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस मामले को किस दिशा में ले जाता है और क्या छात्राओं की मांगें पूरी होती हैं या नहीं?

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भागलपुर : तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के छात्र-छात्राएं तीन दिनों से अनशन पर बैठे हुए हैं. आज उनका अनशन का चौथा दिन है. इस दौरान छात्राएं बीमार पड़ने लगी हैं और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया जा रहा है. बावजूद इसके विश्वविद्यालय प्रबंधन की ओर से अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई है. कुलपति ने साफ तौर पर कह दिया है कि छात्रों की मांगें नहीं मानी जाएंगी.

अनशन पर बैठे छात्र-छात्राएं : अब तक 25 छात्राएं और 22 छात्र आमरण अनशन पर बैठे हैं. हिंदी विभाग पिछले 5 दिनों से बंद है और पढ़ाई भी ठप पड़ी है. तीसरी रात भी छात्र-छात्राएं प्रबंधन की ओर टकटकी लगाए बैठे रहे, लेकिन जवाब में सिर्फ यही सुनने को मिला कि शिक्षक दिव्यानंद का तबादला रद्द नहीं होगा.

वीडियो, विवाद और शिक्षक का तबादला : हिंदी विभाग के शिक्षक दिव्यानंद का जन्मदिन हाल ही में तलवार से केक काटकर मनाया गया था. इस घटना का वीडियो वायरल होने के बाद कुलपति ने जांच कमिटी बनाई थी. कमिटी की रिपोर्ट के आधार पर दिव्यानंद का तबादला नारायणपुर कॉलेज में कर दिया गया. छात्र-छात्राएं इस निर्णय के खिलाफ अनशन पर बैठ गए हैं. उनका कहना है कि शिक्षक दिव्यानंद एक सरल व्यक्ति हैं और केक काटने की गलती छात्रों की थी, न कि उनके शिक्षक की.

कुलपति का बयान और प्रशासन का रुख : कुलपति प्रोफेसर जवाहरलाल ने कहा कि अगर छात्र बीमार पड़ रहे हैं तो यह उनकी गलती है, और विश्वविद्यालय अपना आदेश वापस नहीं ले सकता है. उनका कहना था कि शिक्षक ने गलती की थी, और नियमावली के तहत उनका तबादला किया गया है. विश्वविद्यालय प्रबंधन छात्रों को समझाने की कोशिश कर रहा है, लेकिन छात्रों का विरोध जारी है.

आक्रोश और वायरल ऑडियो : इस बीच, जांच कमेटी के एक सदस्य का ऑडियो वायरल हुआ, जिसमें प्रोफेसर दिव्यानंद के ट्रांसफर की बात की गई थी. इस ऑडियो में यह भी उल्लेख था कि कैसे पूर्व रजिस्ट्रार विकास चंद्रा के साथ कर्मचारियों द्वारा की गई मारपीट को हल किया गया और कर्मचारियों को निर्दोष करार दिया गया. इस ऑडियो ने छात्रों के बीच आक्रोश को और बढ़ा दिया, और वे अब अनशन पर बैठ गए हैं.

अस्पताल में भर्ती छात्राएं : अनशन पर बैठे छात्रों का कहना है कि अगर किसी ने गलती की है, तो सजा उन्हीं को मिलनी चाहिए, न कि उनके प्रोफेसर को. प्रदर्शनकारियों की आंखों में आंसू थे और वे लगातार अपनी आवाज उठा रहे थे कि उनके प्रोफेसर का ट्रांसफर रद्द किया जाए. अनशन के कारण कई छात्राओं की तबीयत बिगड़ गई और उन्हें भागलपुर के सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया है. स्थिति चिंताजनक बताई जा रही है.

प्रशासन की चुनौती : यह मामला सिर्फ विश्वविद्यालय के भीतर का नहीं, बल्कि शिक्षा और प्रशासनिक व्यवस्था की गंभीरता को भी दर्शाता है. छात्र-छात्राओं का प्रदर्शन और उनकी स्थिति प्रशासन के लिए एक गंभीर चुनौती बन चुकी है. अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस मामले को किस दिशा में ले जाता है और क्या छात्राओं की मांगें पूरी होती हैं या नहीं?

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