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सावन की तीसरी सोमवारी पर महिलाओं ने की पूजा, 20 साल बाद बना है सोमवती अमावस्या का संयोग

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Published : Jul 20, 2020, 1:23 PM IST

इससे पहले 31 जुलाई 2000 में ऐसा संयोग बना था. इस अमावस्या पर शिव जी के साथ ही देवी पार्वती गणेश जी कार्तिकेय स्वामी और नंद की विशेष पूजा की जाती है.

मंदिर में पहुंची महिलाएं
मंदिर में पहुंची महिलाएं

छपरा/रोहतास आज सावन का तीसरी सोमवारी है और महिलाएं सोमी अमावस पूजा करने मंदिरों में पहुंची हैं. सोमवती अमावस्या की पूजा पति की लंबी आयु के लिए की जाती है. महिलाएं पति की दीर्घायु और घर में सुख शांति समृद्धि के लिए प्राथना करती हैं.

भगवान शिव को समर्पित सावन महिने का हर सोमवार बहुत खास होता है. लेकिन इस बार सावन का तीसरा सोमवार ज्यादा फलदाई है. इस बार इसका महत्व और अधिक बढ़ गया क्योंकि 20 साल बाद शुभ सोमवती अमावस का संयोग बना है. इसे हरियाली अमावस्या भी कहते हैं.

पूजा करती महिलाएं
पूजा करती महिलाएं

2000 में बना था ऐसा संयोग
बता दें कि इससे पहले 31 जुलाई 2000 में ऐसा संयोग बना था. इस अमावस्या पर शिव जी के साथ ही देवी पार्वती गणेश जी कार्तिकेय स्वामी और नंद की विशेष पूजा की जाती है. पूजा में महिलाएं ओम उमा महेश्वराय नमः मंत्र का जाप करके पति की लंबी उम्र के लिए पूजा करती हैं.

मंदिर में पहुंची महिलाएं
मंदिर में पहुंची महिलाएं

यह व्रत जीवनसाथी के सौभाग्य और अच्छे स्वास्थ्य के लिए किया जाता है. हरियाली अमावस्या पर मां पार्वती की पूजा करके कुंवारी कन्याओं को मनचाहा वर मिल सकता है. विवाहित महिलाएं भी यह व्रत करती है और देवी मां की पूजा करती है. ऐसा करने से विवाहित जीवन सुखी बना रहता है.

पूजा करते लोग
पूजा करते लोग

महिलाओं ने की पति के लिए प्राथना
वहीं, रोहतास के सूर्यपुरा में बड़ा तालाब सूर्य मंदिर के पास सावन मास की सोमवती अमावस्या पर भीड़ देखी गई. श्रद्धालु महिलाओं ने पीपल वृक्ष की परिक्रमा के साथ पूजा अर्चना की. देवी-देवताओं की मूर्तियों को स्नान कराने के बाद नए वस्त्र धारण कराए. पूजा-अर्चना के बाद महिलाओं ने बड़ों से आशीर्वाद लिया.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

ये भी पढ़ेंः सावन की तीसरी सोमवारी, तेजस्वी ने की बाबा भोलेनाथ की पूजा

महिलाओं ने वट वृक्ष पर कच्चे सूत का धागा लपेटते हुए उसके चारों ओर परिक्रमा कर अपने सुहाग की दीर्घायु की प्रार्थना की. वट सावित्री व्रत की कथा सुनी. इस मौके पर पंडित मृत्युंजय पाण्डेय का कहना है कि सोमवती अमावस्या का विशेष महत्व है. महिलाएं अपने पति के कल्याण के लिए पीपल का पूजन करती हैं.

बयान देती महिला श्रद्धालु
बयान देती महिला श्रद्धालु

श्रद्धालुओं ने नहीं पहना था मास्क
बता दें कि कोरोना के संक्रमण के चलते कहीं भी सामूहिक तौर पर एकत्र होने की मनाही है. ऐसे में सोमवती अमावस्या के दिन महिलाओं को पीपल की पूजा घर में ही करने की सलाह प्रशासन ने दी थी. लेकिन वट वृक्ष पूजा करने आई बड़ी संख्या में महिलाओं ने मुंह पर मास्क भी नहीं पहना था. जबकि भीड़ के कारण सामाजिक दूरी का भी पालन नहीं हो पाया. पुजारी ने भी मास्क पहनना मुनासिब नहीं समझा.

छपरा/रोहतास आज सावन का तीसरी सोमवारी है और महिलाएं सोमी अमावस पूजा करने मंदिरों में पहुंची हैं. सोमवती अमावस्या की पूजा पति की लंबी आयु के लिए की जाती है. महिलाएं पति की दीर्घायु और घर में सुख शांति समृद्धि के लिए प्राथना करती हैं.

भगवान शिव को समर्पित सावन महिने का हर सोमवार बहुत खास होता है. लेकिन इस बार सावन का तीसरा सोमवार ज्यादा फलदाई है. इस बार इसका महत्व और अधिक बढ़ गया क्योंकि 20 साल बाद शुभ सोमवती अमावस का संयोग बना है. इसे हरियाली अमावस्या भी कहते हैं.

पूजा करती महिलाएं
पूजा करती महिलाएं

2000 में बना था ऐसा संयोग
बता दें कि इससे पहले 31 जुलाई 2000 में ऐसा संयोग बना था. इस अमावस्या पर शिव जी के साथ ही देवी पार्वती गणेश जी कार्तिकेय स्वामी और नंद की विशेष पूजा की जाती है. पूजा में महिलाएं ओम उमा महेश्वराय नमः मंत्र का जाप करके पति की लंबी उम्र के लिए पूजा करती हैं.

मंदिर में पहुंची महिलाएं
मंदिर में पहुंची महिलाएं

यह व्रत जीवनसाथी के सौभाग्य और अच्छे स्वास्थ्य के लिए किया जाता है. हरियाली अमावस्या पर मां पार्वती की पूजा करके कुंवारी कन्याओं को मनचाहा वर मिल सकता है. विवाहित महिलाएं भी यह व्रत करती है और देवी मां की पूजा करती है. ऐसा करने से विवाहित जीवन सुखी बना रहता है.

पूजा करते लोग
पूजा करते लोग

महिलाओं ने की पति के लिए प्राथना
वहीं, रोहतास के सूर्यपुरा में बड़ा तालाब सूर्य मंदिर के पास सावन मास की सोमवती अमावस्या पर भीड़ देखी गई. श्रद्धालु महिलाओं ने पीपल वृक्ष की परिक्रमा के साथ पूजा अर्चना की. देवी-देवताओं की मूर्तियों को स्नान कराने के बाद नए वस्त्र धारण कराए. पूजा-अर्चना के बाद महिलाओं ने बड़ों से आशीर्वाद लिया.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

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महिलाओं ने वट वृक्ष पर कच्चे सूत का धागा लपेटते हुए उसके चारों ओर परिक्रमा कर अपने सुहाग की दीर्घायु की प्रार्थना की. वट सावित्री व्रत की कथा सुनी. इस मौके पर पंडित मृत्युंजय पाण्डेय का कहना है कि सोमवती अमावस्या का विशेष महत्व है. महिलाएं अपने पति के कल्याण के लिए पीपल का पूजन करती हैं.

बयान देती महिला श्रद्धालु
बयान देती महिला श्रद्धालु

श्रद्धालुओं ने नहीं पहना था मास्क
बता दें कि कोरोना के संक्रमण के चलते कहीं भी सामूहिक तौर पर एकत्र होने की मनाही है. ऐसे में सोमवती अमावस्या के दिन महिलाओं को पीपल की पूजा घर में ही करने की सलाह प्रशासन ने दी थी. लेकिन वट वृक्ष पूजा करने आई बड़ी संख्या में महिलाओं ने मुंह पर मास्क भी नहीं पहना था. जबकि भीड़ के कारण सामाजिक दूरी का भी पालन नहीं हो पाया. पुजारी ने भी मास्क पहनना मुनासिब नहीं समझा.

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