छपरा: बिहार के छपरा में विद्यालय का हाल पूरी तरह से बेहाल (School In Bad Condition In chapra) है. शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए जिला प्रशासन से लेकर राज्य की सरकार तक कई वादे करती दिखती है लेकिन पिछले 111 साल से विद्यालय की स्थिति नहीं सुधरी है. सीएम नीतीश कुमार ने 2011 में बस कागजों पर विद्यालयों की गिनती बढ़ाने के लिए प्राथमिक से माध्यमिक विद्यालय बना दिया है लेकिन विद्यालय में अभी भी सुविधाओं का घोर अभाव है.
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"विद्यालय परिसर में मुर्गा दुकान, घड़ी दुकान लगाकर लोग बैठे रहते हैं. कई बच्चों को उन दुकानदारों से भी परेशानी होती है. विद्यालय के जमीन पर बहुत ज्यादा अतिक्रमण किया गया है. यहां पर कई बार लोग शराब के नशे में आकर झगड़ा करने लगते हैं. हमलोगों को इससे काफी परेशानी हो रही है": रेणुका देवी, प्रधानाचार्य, उत्क्रमित मध्य विधालय कोपा
शिक्षा व्यव्स्था का बुरा हाल: हम बात कर रहे हैं छपरा के जलालपुर प्रखण्ड के कोपा नगर पंचायत मुख्यालय स्थित सरकारी विद्यालय का, जहां ना ही बच्चों को पढ़ने के लिए कमरा उपलब्ध है. ना ही कुछ और. विद्यालय के प्राचार्य से बातचीत में मालूम हुआ कि इस विद्यालय को एक सौ से भी ज्यादा साल पहले स्थापित किया गया. लेकिन आज तक कोई विकास कार्य नहीं दिखा है. यहां कुल 428 छात्र पढ़ने के लिए आते हैं. इनकी सुविधा के लिए विद्यालय में कमरे भी उपलब्ध नहीं हैं. कई बार तो कमरे में जगह नहीं रहने के कारण विद्यालय के बारामदे में भी कक्षाएं चलाई जाती है. पूरा परिसर अतिक्रमण का शिकार हो गया है.
बच्चों को बैठने तक की जगह नहीं: इस विद्यालय के बारे में बताया जाता है कि उत्क्रमित मध्य विधालय कोपा जो कोपा मुख्य बाजार में स्थित है. इस विद्यालय में बाउंड्री नहीं होने से कारण बाजार लगाने वाले भी विद्यालय परिसर तक फैल जाते हैं. इस विद्यालय में 428 छात्रों को पढ़ाने के लिए 10 शिक्षक भी पदस्थापित हैं. इस विद्यालय में कुल पांच कमरे हैं. जिसमें एक कार्यालय, दूसरा ऑफिस स्टोर बनाकर रखा गया है. जबकि मात्र तीन कमरे में चार सौ से अधिक बच्चे पढ़ाई करते हैं. 1912 में स्थापित प्राथमिक विद्यालय को 2011 में उत्क्रमित कर दिया गया. जबकि कक्षा 8 तक के पढ़ाई के लिए यहां पर कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है. प्राचार्य के द्वारा बताया गया कि आज शेड, बाथरूम, बाउंड्री नहीं होने के कारण छात्र और शिक्षकों को काफी परेशानी होती है.