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बाजार का नया 'बादशाह' बना प्याज, फलों ने भी टेके घुटने - प्याज से सस्ता फल

प्याज की कीमतों में अभी गिरावट के कोई आसार नहीं दिख रहे हैं, क्योंकि पिछले साल की तुलना में प्याज का उत्पादन इस बार 40 प्रतिशत कम हुआ है. प्याज के उत्पादन में कमी का मुख्य कारण यह है कि इस साल मॉनसून एक महीने की देरी से आया था.

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Published : Dec 6, 2019, 12:56 AM IST

Updated : Dec 6, 2019, 4:55 AM IST

सारण: प्याज की बढ़ती कीमतों ने सभी को रूला कर रख दिया है. प्याज आम लोगों के लिए रोजमर्रा की चीज है जबकि फल खास लोगों के लिए है.आलम यह है कि बजार में प्याज से ज्यादा सस्ते फल बिक रहे हैं. अभी एक किलो प्याज के दाम में दो किलो फल आसानी से मिल जा रहे हैं.

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100 रुपये किलो मिल रहे प्याज

40 प्रतिशत कम हुआ उत्पादन
प्याज की कीमतों में अभी गिरावट के कोई आसार नहीं दिख रहे हैं, क्योंकि पिछले साल की तुलना में प्याज का उत्पादन इस बार 40 प्रतिशत कम हुआ है. प्याज के उत्पादन में कमी का मुख्य कारण यह है कि इस साल मानसून एक महीने की देरी से आया था. बेमौसम बारिश और बाढ़ के कारण महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और राजस्थान में प्याज की फसल को भारी नुकसान हुआ है.

ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

प्याज काटे बगैर निकल रहे लोगों के आंसू
सारण जिला मुख्यालय स्थित मौना चौक, साहेबगंज, गुदरी बाजार, गांधी चौक, श्याम चक, काशी बाजार और भगवान बाजार सहित कई सब्जी मंडियों की बात करें तो पिछले साल की अपेक्षा इस साल प्याज की लगातार बढ़ती कीमत ने बेचने वालों के साथ-साथ खाने वाले लोगों के लिए भी परेशानी का सबब बन गया है. जिस कारण प्याज काटे बगैर ही लोगों के आंसू निकलने लगे हैं.

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लहसुन भी हुआ मंहगा

बेमौसम बारिश ने खरीफ फसलों को किया बर्बाद
मौना चौक स्थित एक सब्जी दुकानदार श्याम कुमार ने बताया कि अक्टूबर महीने में पूरे देश में एक साथ बेमौसम बारिश ने प्याज सहित कई अन्य खरीफ फसलों को बर्बाद कर दिया है. साथ ही सरकार की गलत नीतियों का भी असर प्याज पर पड़ा है, जिसका असर अब बाजारों में देखने को मिल रहा है.

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बाजार में सस्ते हुए फल

प्याज से सस्ते मिल रहे फल
वहीं, खरीददारी करने आये शैलेश का कहना है कि प्याज इतना महंगा हो गया है कि जहां एक बोरी प्याज खरीद कर अपने-अपने घरों में रखा करते थे वहीं अब एक किलो से ही काम चलाना पड़ रहा है. महंगे प्याज के कारण अब लोग बेस्वाद वाली सब्जी खाने को मजबूर हैं. बाजरों में अब प्याज के मुकाबले सेब, अनार, संतरा और केला सस्ता मिल रहा है, लेकिन उसकी सब्जी नहीं बन सकती है.

सारण: प्याज की बढ़ती कीमतों ने सभी को रूला कर रख दिया है. प्याज आम लोगों के लिए रोजमर्रा की चीज है जबकि फल खास लोगों के लिए है.आलम यह है कि बजार में प्याज से ज्यादा सस्ते फल बिक रहे हैं. अभी एक किलो प्याज के दाम में दो किलो फल आसानी से मिल जा रहे हैं.

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100 रुपये किलो मिल रहे प्याज

40 प्रतिशत कम हुआ उत्पादन
प्याज की कीमतों में अभी गिरावट के कोई आसार नहीं दिख रहे हैं, क्योंकि पिछले साल की तुलना में प्याज का उत्पादन इस बार 40 प्रतिशत कम हुआ है. प्याज के उत्पादन में कमी का मुख्य कारण यह है कि इस साल मानसून एक महीने की देरी से आया था. बेमौसम बारिश और बाढ़ के कारण महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और राजस्थान में प्याज की फसल को भारी नुकसान हुआ है.

ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

प्याज काटे बगैर निकल रहे लोगों के आंसू
सारण जिला मुख्यालय स्थित मौना चौक, साहेबगंज, गुदरी बाजार, गांधी चौक, श्याम चक, काशी बाजार और भगवान बाजार सहित कई सब्जी मंडियों की बात करें तो पिछले साल की अपेक्षा इस साल प्याज की लगातार बढ़ती कीमत ने बेचने वालों के साथ-साथ खाने वाले लोगों के लिए भी परेशानी का सबब बन गया है. जिस कारण प्याज काटे बगैर ही लोगों के आंसू निकलने लगे हैं.

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लहसुन भी हुआ मंहगा

बेमौसम बारिश ने खरीफ फसलों को किया बर्बाद
मौना चौक स्थित एक सब्जी दुकानदार श्याम कुमार ने बताया कि अक्टूबर महीने में पूरे देश में एक साथ बेमौसम बारिश ने प्याज सहित कई अन्य खरीफ फसलों को बर्बाद कर दिया है. साथ ही सरकार की गलत नीतियों का भी असर प्याज पर पड़ा है, जिसका असर अब बाजारों में देखने को मिल रहा है.

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बाजार में सस्ते हुए फल

प्याज से सस्ते मिल रहे फल
वहीं, खरीददारी करने आये शैलेश का कहना है कि प्याज इतना महंगा हो गया है कि जहां एक बोरी प्याज खरीद कर अपने-अपने घरों में रखा करते थे वहीं अब एक किलो से ही काम चलाना पड़ रहा है. महंगे प्याज के कारण अब लोग बेस्वाद वाली सब्जी खाने को मजबूर हैं. बाजरों में अब प्याज के मुकाबले सेब, अनार, संतरा और केला सस्ता मिल रहा है, लेकिन उसकी सब्जी नहीं बन सकती है.

Intro:डे प्लान वाली ख़बर हैं
SLUG:-ONIONS CHEAP
ETV BHARAT NEWS DESK
F.M:-DHARMENDRA KUMAR RASTOGI/S ARAN/BIHAR

Anchor:-प्याज़ की कीमतों ने एक बार फिर सभी को रुला दिया है अभी प्याज की कीमतों में गिरावट के कोई आसार नही दिख रहे है क्योंकि पिछले साल की तुलना में प्याज का उत्पादन 40 प्रतिशत कम हुआ है साथ ही प्याज़ के उत्पादन में कमी का मुख्य कारण यह है कि इस साल मानसून एक महीने देर से आया था और बेमौसम बारिश व बाढ़ के कारण महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और राजस्थान में प्याज की फसल को भारी नुक़सान हुआ है.

बिहार प्रदेश कांग्रेस कमिटी के प्रदेश प्रतिनिधि नदीम अख़्तर ने कहा कि बेतहासा बढ़ती महंगाई केंद्र सरकार की नाकामी है, सरकार का जो काम है उसे छोड़कर अन्य कार्यो में अपना ध्यान लगाने में लगी हुई है, जन समस्याओं की ओर कोई ध्यान ही नही है उसे सिर्फ हिन्दू मुस्लिम व पार्टी प्रचार प्रसार के साथ ही सरकार बनाने के लिए जोड़ तोड़ की राजनीति करने व जनता को गुमराह करने में लगी हुई है.

इन सारी मुद्दों पर सरकार व इनके प्रतिनिधि जो बयान बाजी कर रहे है वह बेहद शर्मनाक हैं, प्याज आम लोगों के लिए रोजमर्रा की चीज है जबकि फल अमीरों के लिए है. कांग्रेस की यूपीए सरकार ने युवाओं को रोजगार के लिए मनरेगा जैसी योजनाओं को लागू किया था तो वहीं खाद्य सुरक्षा अधिनियम लाया था जबकि यह सरकार एनआरसी, 35 A व धारा 370, राम मंदिर व अन्य ध्यान भटकाने वाले मामलों पर जोड़ दे रही हैं जबकि जनसमस्याओं से अलग अपनी तंत्र लगाई हुई हैं.

Byte:-नदीम अख्तर, प्रदेश प्रतिनिधि, बिहार प्रदेश कांग्रेस कमिटी, बिहार






Body:सारण जिला मुख्यालय स्थित मौना चौक, साहेबगंज, गुदरी बाज़ार, गांधी चौक, श्याम चक, काशी बाजार व भगवान बाजार सहित कई सब्जी मंडियों की बात करें तो पिछले साल के अपेक्षा इस वर्ष प्याज की लगातार बढ़ती कीमत ने बेचने वालों के साथ ही खाने वाले लोगों के लिए भी परेशानी का सबब बन गया हैं जिस कारण प्याज काटे वगैर ही आंसू निकलने लगे हैं.

मौना चौक स्थित सब्जी दुकानदार श्याम कुमार ने ईटीवी भारत के साथ खास बातचीत के दौरान कहा कि अक्टूबर महीने में पूरे देश में एक साथ बेमौसम बारिश ने प्याज सहित कई अन्य खरीफ़ फसलों को बर्बाद कर दिया है साथ ही सरकार की ग़लत नीतियों का भी असर प्याज पर परा है, जिसका असर अब बाजारों में देखने को मिल रहा हैं.

Byte:-श्याम कुमार, दुकानदार, मौना चौक, छपरा, सारण





Conclusion:वहीं खरीददारी करने आये शैलेश का कहना है कि प्याज इतना महंगा हो गया हैं कि जहां एक बोरी प्याज खरीद कर अपने-अपने घरों में रखा करते थे वहीं अब एक किलो से कम ही खरीददारी कर किसी तरह से स्वाद लेने को मजबूर होना पड़ रहा है, अब तो प्याज खाने से पहले ही आंसू निकल रहे है, इससे बेहतर सेव, अनार, सन्तरा व केला हैं जो प्याज व लहसुन के अपेक्षा बहुत सस्ता मिल रहा है लेकिन उसका सब्जी बन नही सकता हैं.

Byte:-शैलेश कुमार, खरीददार

बताते चलें कि केंद्र की एनडीए सरकार को यह भी याद रखना होगा कि पूर्व में इंदिरा गांधी की सरकार से लेकर शीला दीक्षित की सरकार तक ऐसे कई मुद्दे आए हैं जब प्याज की बढ़ती कीमतों के कारण मतदाताओं ने राजा को रंक बना दिया था हालांकि प्याज की बेतहाशा बढ़ती कीमतें अगले वर्ष फरवरी या मार्च तक ही सस्ती होने के आसार दिख रहे हैं.



Last Updated : Dec 6, 2019, 4:55 AM IST
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