सारण: सभ्यता संस्कृति को संजोये रखने में तरैया प्रखंड के खराती गांव के बासफोर समाज का बहुत बड़ा योगदान है. पर्व त्योहार, शादी विवाह सहित महान छठ पूजा में भी सैकड़ों वर्षों से यहां के बासफोर समाज के लोग महत्वपूर्ण योगदान देते आ रहे हैं. वहीं कोरोना को लेकर लगाए गए लॉकडाउन में यह समाज काफी प्रभावित हुआ है. इन समाज के द्वारा बनाए बांस के सामानों के खरीदार नहीं मिलने से इन लोगों के सामने रोजी रोटी की समस्या उत्पन्न हो गई है.
छठ पूजा में इनके द्वारा निर्मित बांस से बने सामानों का उपयोग किया जाता है. यह बासफोर समाज छोटे छोटे बांस के बर्तन और खिलौने बनाते हैं. इनके द्वारा बनाए गए सामग्रियों का उपयोग जिले के साथ-साथ पूरे राज्य और देश के अलग अलग हिस्सों के लगभग सभी विख्यात शहरों में किया जाता है. इस समाज द्वारा निर्मित बांस के बर्तन हो या खिलौने इनकी डिमांड बढ़ती जा रही है. वहीं इनके द्वारा बनाई गई रंगीन दउरा, डाला, छापी सहित कई सामग्रियों का उपयोग शादी विवाह में किया जाता है.
लॉकडाउन ने बढ़ाई परेशानी
वहीं किसान के उपयोग में आने वाले बड़े छेती, दउरी, बड़े-बड़े टावर नुमा खोप जो आज भी गांव की शोभा बढ़ाते हैं, जिले और बिहार की अमिट पहचान है. ग्रामीण गायत्री देवी बताती हैं कि बासफोर समाज का हम लोगों के छठ पूजा या खेती बाड़ी में बहुत बड़ा योगदान है. वहीं लॉकडाउन के कारण इस समाज के लोगों के सामने रोजी रोटी की समस्या उत्पन्न हो गई है. बासफोर समजा के मंगरू बताते हैं कि बांस की महंगाई बढ़ती जा रही है. वहीं हम जो सामान बनाते हैं उसकी कीमत कम है. साथ ही इस बार कोरोना महामारी के कारण शादी विवाह में रुकावट होने से परेशानी और भी बढ़ गई है. ऐसे में हम किसी तरह अपना पेट पाल रहे हैं.