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छपराः दो दिनों तक सदर अस्पताल के OPD के बाहर पड़ा रहा युवक, इलाज नहीं होने से हुई मौत

अस्पताल प्रशासन का कहना है कि 18 जुलाई को युवक को इमरजेंसी वार्ड में भर्ती कर लिया गया था. लेकिन उसकी उसे बचाया नहीं जा सका. स्थानीय लोगों ने बताया कि युवक 24 घंटे से ज्यादा समय तक ओपीडी के बाहर अचेत अवस्था में पड़ा रहा.

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Published : Jul 20, 2020, 9:12 PM IST

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सारण(छपरा): बिहार में लगातार कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ते जा रहे हैं. इसी बीच जिले में अस्पताल प्रशासन की लापरवाही का मामला सामने आया है. छपरा सदर अस्पताल में इलाज के अभाव में एक युवक अचेत अवस्था में पड़ा था. लेकिन किसी ने उसकी सुध नहीं ली. जिसके बाद उसकी मौत हो गई.

ओपीडी के सामने बेसुध पड़ा था युवक
बताया जा रहा है कि लगभग 30 साल का एक युवक दो दिनों से अस्पताल के ओपीडी के सामने बेसुध पड़ा हुआ था. लेकिन किसी डॉक्टर या स्वास्थ्य कर्मी ने उसकी खोज खबर नहीं ली. जिसके बाद सोमवार को उसकी मौत हो गई.

'समय पर इलाज होने से बच सकती थी जान'
अस्पताल प्रशासन का कहना है कि 18 जुलाई को युवक को इमरजेंसी वार्ड में भर्ती कर लिया गया था. लेकिन उसकी उसे बचाया नहीं जा सका. स्थानीय लोगों ने बताया कि युवक 24 घंटे से ज्यादा समय तक ओपीडी के बाहर अचेत अवस्था में पड़ा रहा. अगर समय रहते उसका उचित उपचार किया जाता तो शायद उसकी जान बच सकती थी.

इलाज के अभाव में मौत
सदर अस्पताल में लावारिस लोगों का उपचार एक बानगी मात्र है. यहां लावारिस मरीजों का उपचार राम भरोसे ही होता है. मरीज की मौत के बाद पोस्टमार्टम कराकर उपचार के नाम पर खानापूर्ति कर दी जाती है. इससे पहले भी इस तरह के कई मामले सामने आ चुके हैं. जहां ऐसे मरीजों की इलाज के अभाव में मौत हो गई. बिहार में कोरोना के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. ऐसे में ये लापरवाही भारी पड़ सकती है.

सारण(छपरा): बिहार में लगातार कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ते जा रहे हैं. इसी बीच जिले में अस्पताल प्रशासन की लापरवाही का मामला सामने आया है. छपरा सदर अस्पताल में इलाज के अभाव में एक युवक अचेत अवस्था में पड़ा था. लेकिन किसी ने उसकी सुध नहीं ली. जिसके बाद उसकी मौत हो गई.

ओपीडी के सामने बेसुध पड़ा था युवक
बताया जा रहा है कि लगभग 30 साल का एक युवक दो दिनों से अस्पताल के ओपीडी के सामने बेसुध पड़ा हुआ था. लेकिन किसी डॉक्टर या स्वास्थ्य कर्मी ने उसकी खोज खबर नहीं ली. जिसके बाद सोमवार को उसकी मौत हो गई.

'समय पर इलाज होने से बच सकती थी जान'
अस्पताल प्रशासन का कहना है कि 18 जुलाई को युवक को इमरजेंसी वार्ड में भर्ती कर लिया गया था. लेकिन उसकी उसे बचाया नहीं जा सका. स्थानीय लोगों ने बताया कि युवक 24 घंटे से ज्यादा समय तक ओपीडी के बाहर अचेत अवस्था में पड़ा रहा. अगर समय रहते उसका उचित उपचार किया जाता तो शायद उसकी जान बच सकती थी.

इलाज के अभाव में मौत
सदर अस्पताल में लावारिस लोगों का उपचार एक बानगी मात्र है. यहां लावारिस मरीजों का उपचार राम भरोसे ही होता है. मरीज की मौत के बाद पोस्टमार्टम कराकर उपचार के नाम पर खानापूर्ति कर दी जाती है. इससे पहले भी इस तरह के कई मामले सामने आ चुके हैं. जहां ऐसे मरीजों की इलाज के अभाव में मौत हो गई. बिहार में कोरोना के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. ऐसे में ये लापरवाही भारी पड़ सकती है.

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