छपरा: कारगिल युद्ध (Kargial War) को भले ही 22 साल गुजर चुके हैं लेकिन आज भी उस न भूलने वाले युद्ध में शहीद (Martyr) जवानों को पूरा देश याद करता है. बात करते हैं बिहार के छपरा जिले के बथुई गांव के रहने वाले कारगिल शहीद विष्णु राय की. जिन्होंने अपने परिवार की परवाह न करते हुए देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया. शहीद की पत्नी और परिवार की सरकार से शिकायतें हैं. दरअसल, जो वादे सरकार ने इनसे किए थे वे 22 साल बीत जाने के बाद भी पूरे नहीं हुए. उनका कहना है कि भारत सरकार कारगिल युद्ध में शहीद हुए शहीदों के परिवारों को भूल चुकी है.
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ईटीवी भारत की टीम से उन पलों को याद करते हुए परिवार वालों ने बताया कि आज कारगिल युद्ध दिवस है. शहीद हुए जवानों के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि देने के लिए देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) व राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Chief Minister Nitish Kumar) सहित कई लोगों युद्ध में शहीद हुए वीर जवानों की याद में स्मारकों पर पुष्प अर्पित करेंगे. लेकिन सरकार ने जो हमसे वादे किये थे, आज तक पूरे नहीं हुए.
बता दें कारगिल शहीद विष्णु राय ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा दीक्षा मकेर प्रखंड मुख्यालय स्थित देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद के नाम पर स्थापित राजेंद्र विद्या मंदिर में वर्ष 1975 से लेकर 1981 तक शिक्षा ग्रहण की थी. जहां के शिक्षकों ने जनसहयोग से उनकी प्रतिमा लगा कर अपने पूर्ववर्ती छात्र के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि देने का काम किया है. वहीं सरकार ने स्मारक बनाने की घोषणा की थी जो कि फाइलों में दब कर रह गई है.
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शहादत के बाद की गयी सारी घोषणाएं शहीद के परिवार को सिर्फ घाव देती हैं. राहत के नाम पर तो मात्र एक पेट्रोल पंप ही दिखता है. शहीद के बड़े भाई महेश राय ने 1999 की बातों को याद कर नम आंखों से बताया कि जब मेरे भाई का शव आया था, तो उस समय न जानें कितने बड़े- बड़े नेता व अधिकारी आये थे. कई तरह की घोषणाएं कर चले गए लेकिन आज तक वादे को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया.
'सरकार ने पटना में मकान बनाने के लिए जमीन मुहैया कराने, बथुई गांव को शहीद विष्णु राय के नाम पर करने, गांव की सड़क का पक्कीकरण कर उसका नामकरण शहीद विष्णु राय पथ करने, मकेर के महावीर चौक पर शहीद की प्रतिमा लगाने और चौक का नाम कारगिल चौक करने का वादा किया था. लेकिन घोषणा हवा हवाई ही रह गई.' :- महेश राय, शहीद के बड़े भाई
'1999 की बातों को यादकर आज भी शरीर कांप जाता है. उस समय ना जाने कितने नेता और अधिकारी आए थे. यहां तक कि लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी और सारण के सांसद राजीव प्रताप रूडी भी पहुंचे थे. कई तरह की घोषणाएं करके चले गए. बेटे को सरकारी नौकरी देने का वादा किया था लेकिन आज तक उसको अमलीजामा पहनाने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया.' :- सुशीला देवी, शहीद की पत्नी
वहीं, शहीद विष्णु का परिवार पटना में किराये के मकान में रहता है. बेटी पटना में अपनी मां के साथ रहकर पढ़ाई करती है. हालांकि, बेटे ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी कर ली है, लेकिन नौकरी नहीं मिलने की वजह से प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी कर रहा है. सरकार ने बेटे को सरकारी देने का आश्वासन दिया था जो 22 साल बाद भी पूरा होते नहीं दिख रहा है.