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सारण: दक्षिण भारत के मंदिरों की तर्ज पर बना है देवस्थानम मंदिर, नौलखा नाम से मशहूर - दक्षिण भारत के मंदिरों की झलक

सारण के सोनपुर अनुमंडल में गजेंद्र मोक्ष की स्थापना की गयी है. मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें दक्षिण भारत के मंदिरों की झलक दिखाई पड़ती है. यहां के विशाल द्वार पूरी तरह से दक्षिण भारत के मंदिरों की तर्ज पर बने हुये हैं.

गजेंद्र मोक्ष देवस्थानम मंदिर
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Published : Nov 6, 2019, 9:36 PM IST

सारण: जिले के सोनपुर अनुमंडल मे स्थित गजेंद्र मोक्ष देवस्थानम मंदिर की पहचान पूरे देश में है. इस मंदिर को नौलखा मंदिर के नाम से पुकारा जाता है. यह मंदिर नारायणी नदी और गंगा के पवित्र संगम पर स्थित है. कहा जाता है कि इसी जगह पर गज और ग्राह की लड़ाई हुई थी.

गजेंद्र मोक्ष देवस्थानम मंदिर

गजेन्द्र मोक्ष की स्थापना

मंदिर पुजारी ने बताया कि इसी स्थान पर गजेन्द्र मोक्ष की स्थापना की गयी है. मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें दक्षिण भारत के मंदिरों की झलक दिखाई पड़ती है. यहां के विशाल द्वार पूरी तरह से दक्षिण भारत के मंदिरों की तर्ज पर बने हुये है. इन प्रवेश द्वारों को राज गोपरम कहा जाता है. इस मंदिर के निर्माण के लिये अमरेन्द्र नारायण सिंह ने स्वामी ट्री दंडी महराज को 10 कट्ठा जमीन दिया था.

saran
बाला जी वेंकटेश की प्रतिमा

बाला जी वेंकटेश की मुख्य प्रतिमा

मंदिर का निर्माण कार्य साल 1993 में शुरू हुआ था. फिर 1999 में इसका निर्माण कार्य पूरा हो गया. इस मंदिर मे बाला जी वेंकटेश की मुख्य प्रतिमा है. वहीं, मंदिर की महत्ता यह है कि यह अपने आप मे पूरी तरह से दक्षिण भारत के मंदिर की प्रति मूर्ति के रुप में दिखाई पड़ता है.


सारण: जिले के सोनपुर अनुमंडल मे स्थित गजेंद्र मोक्ष देवस्थानम मंदिर की पहचान पूरे देश में है. इस मंदिर को नौलखा मंदिर के नाम से पुकारा जाता है. यह मंदिर नारायणी नदी और गंगा के पवित्र संगम पर स्थित है. कहा जाता है कि इसी जगह पर गज और ग्राह की लड़ाई हुई थी.

गजेंद्र मोक्ष देवस्थानम मंदिर

गजेन्द्र मोक्ष की स्थापना

मंदिर पुजारी ने बताया कि इसी स्थान पर गजेन्द्र मोक्ष की स्थापना की गयी है. मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें दक्षिण भारत के मंदिरों की झलक दिखाई पड़ती है. यहां के विशाल द्वार पूरी तरह से दक्षिण भारत के मंदिरों की तर्ज पर बने हुये है. इन प्रवेश द्वारों को राज गोपरम कहा जाता है. इस मंदिर के निर्माण के लिये अमरेन्द्र नारायण सिंह ने स्वामी ट्री दंडी महराज को 10 कट्ठा जमीन दिया था.

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बाला जी वेंकटेश की प्रतिमा

बाला जी वेंकटेश की मुख्य प्रतिमा

मंदिर का निर्माण कार्य साल 1993 में शुरू हुआ था. फिर 1999 में इसका निर्माण कार्य पूरा हो गया. इस मंदिर मे बाला जी वेंकटेश की मुख्य प्रतिमा है. वहीं, मंदिर की महत्ता यह है कि यह अपने आप मे पूरी तरह से दक्षिण भारत के मंदिर की प्रति मूर्ति के रुप में दिखाई पड़ता है.

Intro:नौलखा मंदिर।छ्परा से पंकज श्रीवास्तव की रिपोर्ट । छ्परा।छ्परा के सोनपुर अनुमंडल मे अवस्थित गजेन्दर मोक्ष देव स्थानम मंदिर की पहचान बिहार ही नही पुरे देश मे है।इस मंदिर को स्थानीय लोगों के द्वारा नौलखा मंदिर के नाम से पुकारा जाता है।यह मंदिर नारायणी नदी और गंगा के पवित्र संगम पर स्थित है।कहा जाता है की इसी जगह पर गज और ग्राह की लड़ाई हुयीं थी।और तीन चार पहर तक चलने वाली इस लड़ाई मे गजेन्द्र नामक के हाथी ने मगरमच्छ से अपने आप को बचाने के लिये काफी संघर्ष किया ।लेकिन जब वह इसमे असफ़ल रहा और उसको मगरमच्छ गहरे पानी तक ले जाने मे सफ़ल हो रहा था।तो गजेन्द्र हाथी ने भगवान श्री कृष्ण को याद किया।भगवान ने ग्राह का बध करके गज की जान बचाई।


Body: इसी स्थान पर यह गजेन्द्र मोक्ष स्थान की स्थापना की गयी है।इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि उत्तर भारत का शायद यह पहला मंदिर है।जहा दक्षिण भारत के मंदिरों की झलक दिखाईं पड़ती है।यहा के विशाल द्वार पूरी तरह से दक्षिण भारत के मंदिरों की तर्ज पर बने हुये है।इन प्रवेश द्वारों को राज गोपरम कहा जाता है।इस मंदिर के निर्माण के लिये स्वामी ट्री दंडी जी महराज के अथक प्रयास किया स्वामी जी के इस मंदिर के निर्माण के लिये अमरेन्द्र नारायण सिंह ने 10कट्ठा जमीन दिया।


Conclusion:इस मंदिर का निर्माण कार्य 1993मे शुरु हुआ था और 1999मे जाकर इसका निर्माण कार्य पुरा हुआ। इस मंदिर मे बाला जी वेकटेश की मुख्य प्रतिमा है।वही इस मंदिर की महत्ता यह है की यह अपने आप मे पूरी तरह से दक्षिण भारत के मंदिर की प्रति मूर्ति के रुप मे दिखाईं पडता है। बाईट गोपाल जी पुजारी
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