सारणः जिले में अभी कोरोना का कहर कम नहीं हुआ कि बाढ़ ने एक बार फिर दस्तक दे दी है. अब बाढ़ का पानी नए-नए इलाकों में भी फैल रहा है. छपरा के आधे से ज्यादा प्रखंडों में बाढ़ का प्रकोप अभी भी बना हुआ है. सारण जिले में बाढ़ का सबसे ज्यादा असर पानापुर, मशरख, मरहौरा, अमनौर, सोनहो और गरखा प्रखंडों पर पड़ा है.
उफान पर गंडक नदी
छपरा जिले में अभी गंडक नदी उफान पर है, जबकि जिले में सरयू और गंगा का जलस्तर उस तेजी से नहीं बढ़ा है. छपरा से मुजफ्फरपुर के रास्ते में कई जगहों पर बाढ़ का पानी है. कहीं पानी कम है तो कहीं ज्यादा. वहीं बाढ़ पीड़ितों की बात की जाए, तो सरकारी तौर पर मिलने वाली सहायता पूरी तरह से नगण्य है.
समाजसेवी कर रहे बाढ़ पीड़ितों की मदद
वहीं कई सामाजिक संगठनों और समाज सेवियों की ओर से बाढ़ पीड़ितों को भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है, लेकिन सरकारी सहायता के नाम पर जो दावे किये जा रहे हैं वह उपलब्ध नहीं हो पा रहा है. बाढ़ पीड़ित सड़कों के किनारे रहने को विवश हैं.
बाढ़ पीड़ितों के लिए नाव की व्यवस्था
वहीं जिला प्रशासन की ओर से जो रिपोर्ट जारी की गई है. उसके अनुसार जिले के बाढ़ से प्रभावित 10 प्रखंड है और 110 पंचायत के 495 गांवों की 7 लाख 43 हजार 895 आबादी बाढ़ प्रभावित है. जबकि 22785 पशु भी बाढ़ से प्रभावित है. जिला प्रशासन के अनुसार 29112 मीटर पॉलीथिन सीट्स का वितरण किया गया है और बाढ़ पीड़ितों को बाढ़ ग्रस्त वाले इलाके से सुरक्षित स्थान पर ले जाने हेतु 187 नाव और 8 मोटर बोट के साथ 03 प्लाटून एनडीआरएफ की टीम भी लगाई गई है.
16 स्थानों पर चलाए जा रहे सामुदायिक किचन
वहीं जिले में 16 स्थानों पर सामुदायिक किचन चलाये जा रहे है. यहां पर 12955 व्यक्ति प्रतिदिन भोजन कर रहे है. 57 मेडिकल कैम्प और 08 पशु चिकित्सा केंद्र चलाये जा रहे हैं. वहीं बाढ़ पीड़ितों का कहना है कि उन्हें पॉलीथिन सीट्स, दाल-चावल और सोयाबीन की सब्जी के अलावा कुछ भी उपलब्ध नहीं हो रहा है.