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सारण: गर्मी के दिनों में फलों की मंडी पर पड़ा बुरा असर, व्यापारियों में मायूसी - banana

फल व्यवसायी ने ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान बताया कि सेब का व्यवसाय तो पूरी तरह से ठप हो गया है. इतनी ज्यादा गर्मी में फल सूख जा रहे हैं और जो बाजार में मिल रहा हैं, वह कोल्ड स्टोरेज वाले ही मिल रहे हैं.

चिलचिलाती धूप के कारण केला सुख जा रहे है
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Published : Jun 1, 2019, 7:27 AM IST

सारण: जिले वासियों के लिए इस बार आम की महक दूर होते जा रही है. लोकल आम के बदले भागलपुर और पश्चिम बंगाल के मालदह, हेम सागर, बम्बईया मालदह, लखनभोग जैसी आमों की खुशबू छपरा के बाजार स्थित मंडियों में फैल रही है.

बाजार समिति स्थित फल व्यवसायी सुशांत कुमार गुप्ता ने ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान बताया कि सेब का व्यवसाय तो पूरी तरह से ठप हो गया है. इतनी ज्यादा गर्मी में फल सूख जा रहे हैं और जो बाजार में मिल रहा हैं, वह कोल्ड स्टोरेज वाले ही मिल रहे हैं. साथ ही उसने बताया कि भागलपुर वाला लंगड़ा या मालदह आम 35 रुपये से 42 रुपये किलो बिक्री की जा रही है. जबकि विगत वर्ष 25 से 30 रुपये बिक रहा था. अभी के मौसम में पड़ने वाले गर्मी के कारण फल मंडियों में बाहर से फल नहीं आ रहे हैं.

फल व्यवसायी

फल व्यवसायियों में मायूसी

केला व्यवसायी छट्ठू प्रसाद ने कहा कि केले की खेती करने वाले किसानों के घर आफत जैसी पड़ी हुई हैं. क्योंकि चिलचिलाती धूप के कारण केला सूख जा रहा है. अगर किसी तरह उसे बचाया भी जाता है तो उसका रंग काला हो जाता है. फल विक्रेताओं ने बाजार की इस स्थिति पर दुख जताते हुए कहा कि अपनी रोजी रोटी के लिए पूंजी तो लगाए हैं लेकिन उम्मीद से कम ही व्यवसाय हो रहा है. गर्मी के वजह से कम खरीददार बाजार आ रहे हैं.

सारण: जिले वासियों के लिए इस बार आम की महक दूर होते जा रही है. लोकल आम के बदले भागलपुर और पश्चिम बंगाल के मालदह, हेम सागर, बम्बईया मालदह, लखनभोग जैसी आमों की खुशबू छपरा के बाजार स्थित मंडियों में फैल रही है.

बाजार समिति स्थित फल व्यवसायी सुशांत कुमार गुप्ता ने ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान बताया कि सेब का व्यवसाय तो पूरी तरह से ठप हो गया है. इतनी ज्यादा गर्मी में फल सूख जा रहे हैं और जो बाजार में मिल रहा हैं, वह कोल्ड स्टोरेज वाले ही मिल रहे हैं. साथ ही उसने बताया कि भागलपुर वाला लंगड़ा या मालदह आम 35 रुपये से 42 रुपये किलो बिक्री की जा रही है. जबकि विगत वर्ष 25 से 30 रुपये बिक रहा था. अभी के मौसम में पड़ने वाले गर्मी के कारण फल मंडियों में बाहर से फल नहीं आ रहे हैं.

फल व्यवसायी

फल व्यवसायियों में मायूसी

केला व्यवसायी छट्ठू प्रसाद ने कहा कि केले की खेती करने वाले किसानों के घर आफत जैसी पड़ी हुई हैं. क्योंकि चिलचिलाती धूप के कारण केला सूख जा रहा है. अगर किसी तरह उसे बचाया भी जाता है तो उसका रंग काला हो जाता है. फल विक्रेताओं ने बाजार की इस स्थिति पर दुख जताते हुए कहा कि अपनी रोजी रोटी के लिए पूंजी तो लगाए हैं लेकिन उम्मीद से कम ही व्यवसाय हो रहा है. गर्मी के वजह से कम खरीददार बाजार आ रहे हैं.

Intro:डे प्लान वाली ख़बर है
MOJO KIT NUMBER:-577
SLUG:-GARMI KE DINO ME FALO KE BHAV BADHE
ETV BHARAT NEWS DESK
F.M:-DAHRMENDRA KUMAR RASTOGI/SARAN/BIHAR

Anchor:-सारण वासियों के लिए इस बार आम की महक बहुत दूर होते जा रही हैं क्योंकि लोकल आम के बदले भागलपुर व पश्चिम बंगाल के मालदह, हेम सागर, बम्बईया मालदह, लखनभोग जैसी आमों की खुशबू छपरा के बाजार स्थित मंडियों में देखने को नही मिल रही हैं

क्योंकि इस समय गर्मी का पारा ऊंची उड़ान पर है और इंसानों की बात क्या करें केला या आम उमस के कारण सूखते जा रहे हैं व केले के रंग तो काला पड़ जाए रहा हैं.




Body:बाजार समिति स्थित सुशांत कुमार गुप्ता ने ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान बताया कि सेव का व्यवसाय तो पूरी तरह से ठप हो गया हैं क्योंकि इतनी ज्यादा गर्मी हैं कि फल सुख जा रहे है और जो मिल रहा हैं वह कोल्ड स्टोरेज वाले ही बाजार में मिल रहा हैं.

byte:-सुशांत कुमार गुप्ता, आम के व्यवसायी, बाजार समिति, छपरा

सुशांत ने बताया कि भागलपुर वाला लंगड़ा या मालदह आम 35 रुपये से 42 रुपये किलो बिक्री किया जा रहा हैं जबकि विगत वर्ष 25 से 30 रुपये बिक रहा था क्योंकि अभी जो धूप निकल रहा हैं उससे फल की मंडियों में बाहर से माल नही आ रहा हैं.

वही केला व्यवसाय से जुड़े छट्ठू प्रसाद का कहना था कि केले की खेती करने वाले किसानों के घर आफत जैसी पड़ी हुई हैं क्योंकि चिलचिलाती धूप के कारण केला सुख जा रहा हैं और किसी को किसी तरह बचाया जाता हैं उसका रंग काला हो जा रहा हैं.

byte:-छट्ठू प्रसाद, केला व्यवसायी, बाजार समिति, छपरा



Conclusion:मालूम हो कि कड़कड़ाती धूप के कारण आम जन जीवन अस्त व्यस्त हो गया है लेकिन पापी पेट का सवाल हैं काम नही करेंगे तो खाएंगे क्या.

कुछ ऐसा ही कहना हैं बाजार समिति स्थित फल मंडियों के कामगारों की जो अपनी रोजी रोटी के लिए पूंजी तो लगाए है लेकिन उम्मीद से कम ही व्यवसाय हो रहा हैं क्योंकि गर्मी के वजह से कोई खरीदने वाला मिल नही रहा है.



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