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नियोजित शिक्षकों का हल्ला बोल, 23 मई के बाद आंदोलन का किया ऐलान - छपरा

शिक्षक संघ का आरोप है नियोजित शिक्षकों पर सीएम नीतीश कुमार ने दोहरी नीति अपनाई है. इस फैसले के लिए वे ही जिम्मेदार हैं.

आंदोलन का एलान
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Published : May 18, 2019, 1:45 PM IST

छपराः 'समान काम समान वेतन' की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद नियोजित शिक्षक अब सरकार से आर-पार की लड़ाई के मूड में हैं. इसके लिए शिक्षकों ने बिहार सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए 23 मई के बाद सरकार के खिलाफ आंदोलन करने का ऐलान कर दिया है.

शिक्षक संघ के अध्यक्ष समरेंद्र कुमार सिंह का कहना है कि सीएम नीतीश कुमार ने दोहरी नीति अपनाई है. इस फैसले के लिए वे ही जिम्मेदार हैं. उन्होंने बाबा भीमराव आंबेडकर और महात्मा गांधी के सपने को चूर-चूर कर दिया है. न देश में एकल शिक्षा नीति लागू हो रही है और न ही राज्य में समान काम के बदले समान वेतन नीति. ये कैसा न्याय है?

सरकार के खिलाफ शिक्षकों की नाराजगी

'ये ही चाहते थे नीतीश कुमार'
समरेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि न्यायिक बेंच ने वो ही किया जो उनके सामने रखा गया. इसके लिए उनका गुस्सा सुप्रीम कोर्ट पर नहीं नीतीश कुमार के लिए है. बिहार सरकार ने ही हाइकोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दायर की थी. इसके बाद हाइकोर्ट के फैसले को पलट दिया गया.

शिक्षा व्यवस्था होगी बाधित
शिक्षकों का कहना है कि 23 मई के बाद शिक्षक एक बार फिर आन्दोलन शूरू करेंगे. बिहार सरकार की दोहरी नीति के कारण राज्यभर की सभी सरकारी स्कूलों में पठन-पाठन का कार्य बाधित होगा. जब तक बिहार सरकार इनकी लंबित मांगो को नहीं मानती है तब तक आंदोलन जारी रहेगा और वे सड़कों पर प्रदर्शन करने को मजबूर होंगे.

बता दें कि पटना हाईकोर्ट ने नियोजित शिक्षकों के पक्ष में फैसला सुनाया था जिसे सुप्रीम कोर्ट ने निरस्त कर दिया था. इसी को लेकर नियोजित शिक्षक काफी गुस्से में हैं.

छपराः 'समान काम समान वेतन' की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद नियोजित शिक्षक अब सरकार से आर-पार की लड़ाई के मूड में हैं. इसके लिए शिक्षकों ने बिहार सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए 23 मई के बाद सरकार के खिलाफ आंदोलन करने का ऐलान कर दिया है.

शिक्षक संघ के अध्यक्ष समरेंद्र कुमार सिंह का कहना है कि सीएम नीतीश कुमार ने दोहरी नीति अपनाई है. इस फैसले के लिए वे ही जिम्मेदार हैं. उन्होंने बाबा भीमराव आंबेडकर और महात्मा गांधी के सपने को चूर-चूर कर दिया है. न देश में एकल शिक्षा नीति लागू हो रही है और न ही राज्य में समान काम के बदले समान वेतन नीति. ये कैसा न्याय है?

सरकार के खिलाफ शिक्षकों की नाराजगी

'ये ही चाहते थे नीतीश कुमार'
समरेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि न्यायिक बेंच ने वो ही किया जो उनके सामने रखा गया. इसके लिए उनका गुस्सा सुप्रीम कोर्ट पर नहीं नीतीश कुमार के लिए है. बिहार सरकार ने ही हाइकोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दायर की थी. इसके बाद हाइकोर्ट के फैसले को पलट दिया गया.

शिक्षा व्यवस्था होगी बाधित
शिक्षकों का कहना है कि 23 मई के बाद शिक्षक एक बार फिर आन्दोलन शूरू करेंगे. बिहार सरकार की दोहरी नीति के कारण राज्यभर की सभी सरकारी स्कूलों में पठन-पाठन का कार्य बाधित होगा. जब तक बिहार सरकार इनकी लंबित मांगो को नहीं मानती है तब तक आंदोलन जारी रहेगा और वे सड़कों पर प्रदर्शन करने को मजबूर होंगे.

बता दें कि पटना हाईकोर्ट ने नियोजित शिक्षकों के पक्ष में फैसला सुनाया था जिसे सुप्रीम कोर्ट ने निरस्त कर दिया था. इसी को लेकर नियोजित शिक्षक काफी गुस्से में हैं.

Intro:शिक्षक करेगें चरणबद्ध आंदोलन ।छ्परा से पंकज श्रीवास्तव की रिपोर्ट । छ्परा बिहार सरकार के शिक्षकों के सामान काम और सामान वेतन की माग को पटना हाई कोर्ट ने दायर याचिका पर सुनवाई करतें हुये बिहार सरकार के अपील के विरूध शिक्षकों के पक्ष मे अपना फैसला सुनाया था।इस फैसले का बिहार के शिक्षकों ने खुल कर स्वागत करतें हुये पटना हाईकोर्ट के इस फैसले पर काफ़ी प्रसन्नता व्यक्त की थी।जबकी बिहार सरकार ने पटना हाई कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ देश के सबसे बड़े न्यायलय सुप्रीम कोर्ट मे अपील दायर की थी।


Body:वही सामान काम सामान वेतन की माग पर बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।और इस विषय पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाईकोर्ट के फैसले के विपरित फैसला सुनाते हुए कहा कि सामान काम सामान वेतन की माग उचित नहीं हैं ।और इस पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा कर बिहार सरकार के माग को जायज ठहराया ।वही सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद शिक्षको मे काफ़ी रोष है।


Conclusion:वही सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब बिहार के शिक्षक आर पार की लड़ाई का मन बना चुके हैं ।23 मई के बाद शिक्षक एक बार फिर आन्दोलन शूरू करेगें ।और बिहार भर के विधालयो मे पठन-पाठन का कार्य बाधित करेगे।वही बिहार सरकार इनकी लंबित मागो को नही मानती है तो सड़कौ पर प्रदर्शन करने को मजबूर होगे। बाईट समरेंद्र बहादुर सिह अध्यक्ष शिक्षक संघ
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