छपराः छपरा कचहरी स्थित एक स्कूल शिक्षा के क्षेत्र में राज्य सरकार के दावे की पाेल खोलने के लिए काफी है. छपरा में शिक्षा विभाग की जमीनी हकीकत काे दिखाता है. छपरा कचहरी स्थित इस कैंपस में तीन तीन स्कूल चलते हैं (Chhapra three schools in one campus ). बच्चे खुले में आसमान तले धूप, बारिश और जाड़े में शिक्षा ग्रहण करते हैं. बड़ी संख्या में बच्चे यहां पढ़ाने आते हैं. जैसे-जैसे धूप बढ़ती है (Children studying in sunlight in Chhapra) बच्चे दीवार की तरफ खिसकते जाते हैं.
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एक रूम में दो दो कक्षाः यहां के बच्चों को पीने के लिए शुद्ध पानी तक नहीं मिलता. बच्चियों के लिए बाथरूम की सुविधा तक उपलब्ध नहीं है. क्लास रूम की स्थिति यह है कि एक रूम में दो दो कक्षा चलते हैं. एक ही क्लास में साइंस पढ़ाया जाता है तो बगल में इतिहास की क्लास चल रही होती है. यहां पर पढ़ाने वाले टीचर ने बताया कि एक ही विद्यालय कैंपस में तीन स्कूल होने के कारण बच्चों को काफी परेशानी होती है. बरसात होने पर स्कूल में छुट्टी कर दी जाती है, क्योंकि बच्चों के बैठने की कोई व्यवस्था नहीं है.
"एक ही विद्यालय कैंपस में तीन स्कूल होने के कारण बच्चों को काफी परेशानी होती है. बरसात होने पर स्कूल में छुट्टी कर दी जाती है, क्योंकि बच्चों के बैठने की कोई व्यवस्था नहीं है"- . आशा कुमारी,शिक्षिका
"बहुत परेशानी हाेती है. धूप में बच्चे बैठते हैं. बारिश हाेने पर और परेशानी बढ़ जाती है. एक ही रूम में दो क्लास चलने से दाेनों ही कक्षा के बच्चों काे परेशानी हाेती है"-सुनीता कुमारी, शिक्षिका
दावे और हकीकत में अंतरः इस बारे में यहां के टीचरों ने कई बार अपने उच्चाधिकारियों से इस स्कूल की स्थिति के बारे में अवगत कराया, लेकिन अधिकारियों के कान पर जूं तक नहीं रेंगी. व्यवस्था जस की तस बनी हुई है. जबकि यह कैंपस रेल विभाग का है और शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने इसी में तीन तीन स्कूल चला रहे हैं. गौरतलब है कि बिहार सरकार द्वारा शिक्षा के सर्वांगीण विकास के लिए लगातार कार्य किया जा रहा है. दावा किया जा रहा है कि बिहार में शिक्षा व्यवस्था की स्थिति में काफी सुधार आया है, लेकिन बिहार सरकार के शिक्षा मंत्री और शिक्षा विभाग के वरीय अधिकारियों को भी छपरा के स्कूल की स्थिति देखनी चाहिए. सरकार के दावे और हकीकत में कितना अंतर है, इसका जीता जागता उदाहरण है छपरा कचहरी का स्कूल.