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छपरा के घाट पर उमड़ी छठ व्रतियों की भीड़, उगते सूरज को अर्घ्य देने के साथ ही छठ महापर्व का समापन

Chhath Puja 2023: छपरा में लोक आस्था के महापर्व छठ का समापन हो गया है. आज दूसरे दिन उगते सूरज को अर्घ्य दिया गया. इसे लेकर छठ घाटों पर छठ व्रतियों के साथ परिजनों की भीड़ देखने को मिली. आगे पढ़ें पूरी खबर.

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Nov 20, 2023, 9:13 AM IST

छपरा में छठ महापर्व

छपरा: लोक आस्था के महापर्व छठ का आज उदीयमान भगवान भास्कर को अर्घ्य देने के साथ समापन हो गया. छपरा में छठ व्रतियों ने उगते हुए सूर्य अर्घ्य दिया और 36 घंटे से चल रहे निर्जला उपवास व्रत को तोड़ा गया. सबसे पहले छठ व्रतियों ने घी मिश्रित चाय का सेवन किया. छठ का पहला अर्घ्य रविवार को और दूसरा अर्घ्य आज सोमवार की सुबह दिया गया. दोनों अर्घ्य के समय घाटों पर काफी संख्या में छठ व्रती भगवान भास्कर को अर्घ्य देते दिखाई दिए. सरयू, गंगा और पानापुर से लेकर सोनपुर तक गंडक नदी और तालाबों में छठ व्रतियों ने अर्घ्य दिया.

350 घाटों पर दिया गया अर्घ्य : छठ पर्व को लेकर जिला प्रशासन और स्थानीय युवाओं के द्वारा सभी छठ घाटों की सफाई और रोशनी की व्यवस्था की गई. साथ में सुरक्षा के लिए काफी संख्या में पुलिस बल के जवानों के साथ अधिकारी भी मौजूद रहें. पूरे जिले में लगभग 350 घाटों पर इस बार छठ व्रतियों ने भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया. इसमें लगभग 100 से ज्यादा घाट खतरनाक थे. इसलिए पुलिस बल के जवानों, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की प्रतिनियुक्ति की गई थी. जिलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक के साथ स्थानीय विधायक ने भी सभी छठ घाटों का जायजा लिया.

चार दिन के महापर्व का समापन: इस व्रत में चार दिवसीय अनुष्ठान होता है, जिसमें पहले दिन दाल, चावल और कद्दू की सब्जी का भोग लगता है जिसे छठ व्रति ग्रहण करते हैं. उसके बाद दूसरे दिन खरना होता है जिसमें साठी चावल की खीर, रोटी और केले का प्रसाद बनाया जाता है. छठ व्रतियों के द्वारा इस प्रसाद को ग्रहण किया जाता हैं और उसके बाद इस प्रसाद का लोगों में वितरण किया जाता है. खरना के बाद छठ व्रतियों के द्वारा 36 घंटे का निर्जला उपवास रखा जाता है.

डूबते सूर्य को को भी दिया जाता है अर्घ्य: खरना के अगले दिन शाम के समय डूबते सूर्य को पहला अर्घ्य दिया जाता है. उसके अगले दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देकर इस महापर्व का समापन किया जाता है. यह पर्व भगवान सूर्य की उपासना का होता है इसलिए इस पर्व का अपना एक विशेष महत्व है. यह पर्व कार्तिक मास में मनाया जाता है और इसे शारदीय छठ कहते हैं. जबकि साल में छठ दो बार होता है और दूसरा छठ पर्व अप्रैल के महीने में होता है, उसे चैत्र छठ पर्व कहते हैं.

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छपरा में छठ महापर्व

छपरा: लोक आस्था के महापर्व छठ का आज उदीयमान भगवान भास्कर को अर्घ्य देने के साथ समापन हो गया. छपरा में छठ व्रतियों ने उगते हुए सूर्य अर्घ्य दिया और 36 घंटे से चल रहे निर्जला उपवास व्रत को तोड़ा गया. सबसे पहले छठ व्रतियों ने घी मिश्रित चाय का सेवन किया. छठ का पहला अर्घ्य रविवार को और दूसरा अर्घ्य आज सोमवार की सुबह दिया गया. दोनों अर्घ्य के समय घाटों पर काफी संख्या में छठ व्रती भगवान भास्कर को अर्घ्य देते दिखाई दिए. सरयू, गंगा और पानापुर से लेकर सोनपुर तक गंडक नदी और तालाबों में छठ व्रतियों ने अर्घ्य दिया.

350 घाटों पर दिया गया अर्घ्य : छठ पर्व को लेकर जिला प्रशासन और स्थानीय युवाओं के द्वारा सभी छठ घाटों की सफाई और रोशनी की व्यवस्था की गई. साथ में सुरक्षा के लिए काफी संख्या में पुलिस बल के जवानों के साथ अधिकारी भी मौजूद रहें. पूरे जिले में लगभग 350 घाटों पर इस बार छठ व्रतियों ने भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया. इसमें लगभग 100 से ज्यादा घाट खतरनाक थे. इसलिए पुलिस बल के जवानों, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की प्रतिनियुक्ति की गई थी. जिलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक के साथ स्थानीय विधायक ने भी सभी छठ घाटों का जायजा लिया.

चार दिन के महापर्व का समापन: इस व्रत में चार दिवसीय अनुष्ठान होता है, जिसमें पहले दिन दाल, चावल और कद्दू की सब्जी का भोग लगता है जिसे छठ व्रति ग्रहण करते हैं. उसके बाद दूसरे दिन खरना होता है जिसमें साठी चावल की खीर, रोटी और केले का प्रसाद बनाया जाता है. छठ व्रतियों के द्वारा इस प्रसाद को ग्रहण किया जाता हैं और उसके बाद इस प्रसाद का लोगों में वितरण किया जाता है. खरना के बाद छठ व्रतियों के द्वारा 36 घंटे का निर्जला उपवास रखा जाता है.

डूबते सूर्य को को भी दिया जाता है अर्घ्य: खरना के अगले दिन शाम के समय डूबते सूर्य को पहला अर्घ्य दिया जाता है. उसके अगले दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देकर इस महापर्व का समापन किया जाता है. यह पर्व भगवान सूर्य की उपासना का होता है इसलिए इस पर्व का अपना एक विशेष महत्व है. यह पर्व कार्तिक मास में मनाया जाता है और इसे शारदीय छठ कहते हैं. जबकि साल में छठ दो बार होता है और दूसरा छठ पर्व अप्रैल के महीने में होता है, उसे चैत्र छठ पर्व कहते हैं.

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