छपरा: बीपीएससी के 67वीं परीक्षा का परिणाम आ चुका है. परीक्षा में किसी को प्रशासनिक सेवा में जगह मिली है तो कोई पुलिस अधिकारी बनकर जिले का नाम रोशन कर रहा है. छपरा के दो होनहार युवाओं ने भी बीपीएससी में कड़ी मेहनत से बेहतर रैंक लाकर जिले का नाम रोशन किया है. बता दें कि रिविलगंज के रहने वाले तरुण को 10वां और मढ़ौरा के रहने वाले रोहित को 33वां रैंक मिला है. इस परीक्षा में कड़ी मेहनत और सेल्फ स्टडी से युवाओं ने अपने भविष्य के मार्ग को प्रशस्त किया है.
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तरुण ने टॉप 10 में बनाई जगह: रिविलगंज के गोदना ब्रह्मटोली निवासी तरुण कुमार पांडेय ने दूसरे प्रयास में ही टॉप टेन में जगह बनाई है, इससे पहले बीपीएससी 66वीं में उन्हें 87 रैंक मिला था. तरुण ने जय प्रकाश विश्वविधालय के अन्तर्गत डॉ पीएन सिंह डिग्री कॉलेज छपरा से वर्ष 2020 में गणित विषय से स्नातक की परीक्षा पास की थी. बिहार पुलिस सेवा के डीएसपी पद के लिए चयनित तरुण अभी मोतिहारी के चकिया में प्रखंड पंचायती राज पदाधिकारी के पद पर कार्यरत हैं.
कोरोना में खोए भाई को सफलता का श्रेय: तरुण ने अपनी सफलता का श्रेय माता पिता, परिजन, दोस्त-गुरुजन के साथ- साथ विशेष रूप कोरोना की दूसरी लहर में खोए बड़े भाई वरुण कुमार पांडेय को दिया है. तरुण बीजेपी नेता शंभु पांडेय और पूर्व वार्ड पार्षद नंदिनी पांडेय के होनहार पुत्र हैं. पिता शंभू नाथ पांडेय ने कहा कि तरुण ने अपनी सफलता से उनका सिर ऊंचा कर दिया है. उन्हें उम्मीद थी कि बेटा एक न एक दिन जरूर बेहतर रैंक से सफल होगा.
"प्रतिदिन आठ से 10 घंटे का अध्ययन करने के अलावा परिवार के सदस्यों का भरपूर सहयोग मिला. बीपीएससी में माध्यम बाधा नहीं है, मेहनत से मुकाम मिलता है. अगर छात्र टू द प्वाइंट और तथ्य पर आधारित उत्तर लिखते हैं तो नंबर मिलेंगे."- तरुण कुमार पांडेय, बीपीएससी टॉपर
रोहित को मिला 33 वां रैंक: इधर जिले के मढ़ौरा नगर पंचायत क्षेत्र के वार्ड नंबर 15 के निवासी लालबाबू प्रसाद के इंजीनियर बेटे रोहित कुमार को बीपीएससी में सफलता मिली है. रोहित ने मैट्रिक की उच्च विद्यालय मढ़ौरा और इंटर की पढ़ाई राजेंद्र कॉलेज छपरा से पूरी की थी. इसको लेकर पिता लालबाबु प्रसाद ने बताया कि रोहित बीपीएससी में 33 वां रैंक हासिल कर एसडीएम बनेगा. रोहित की सफलता से घर पर खुशी का माहौल है.
एक बच्चे के पिता हैं रोहित: रोहित कुमार वर्तमान में बंदूक फैक्ट्री इच्छापुर पश्चिम बंगाल में कार्यरत हैं. यह 5 बहनों में इकलौते भाई हैं. रोहित की शादी 2018 में हो चुकी हैं और उनकी ढ़ाई साल की एक बेटी भी है, लेकिन उन्होंने ऑफिसर बनने की जुनून नहीं छोड़ी और नौकरी के साथ ही अपनी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी में भी लगे रहें. ग्रामीण परिवेश में पढ़े रोहित की सफलता से किसान माता-पिता खुशी से फूले नहीं समा रहे हैं.