छपरा: संगीत सुनना किसी अच्छा नहीं लगता है. थकावट को दूर करने और दुख तकलीफ को थोड़ी देर के लिए कम करने का काम संगीत से बेहतर और कोई नहीं कर सकता. प्राचीनकाल से लेकर आजतक अगर किसी चीज की अहमियत घटी नहीं है तो उनमें से एक संगीत ही है. ऐसे में पुराने दौर के वाद्य यंत्रों के बारे में हमारी युवा पीढ़ी जाने ये जरूरी हो जाता है और इसके लिए छपरा के अविनाश के घर से बेहतर स्थान भला और क्या हो सकता है.
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छपरा के अविनाश के पास पुराने वाद्य यंत्रों का कलेक्शन: छपरा के रहने वाले अविनाश एक ऐसे ही शौकीन व्यक्ति हैं, जो प्राचीन काल के वाद्य यंत्रों से लेकर अभी तक के वीसीआर वीसीडी डीवीडी और पैन ड्राइव सबका कलेक्शन अपने घर में रखे हुए हैं. आज भी उनके पास लगभग 5000 से ज्यादा एलपी रिकॉर्ड कैसेट्स, सीडी, डीवीडी, वीसीआर, वीसीडी और आधुनिक वाद्य यंत्रों का एक लंबा चौड़ा कलेक्शन है.
"15 साल की आयु से मैंने कलेक्शन इकट्ठा करना शुरू किया था. बचपन से ही संगीत का शौक था. 25 से 30 सालों में मैंने पांच हजार रिकॉर्डस इकट्ठा किए हैं. भारत के कोने-कोने से मैंने सभी कलेक्शन खरीदे हैं. हमारी कोशिश है कि आने वाली पीढ़ी ये सारे कलेक्शन देखे. संगीत कहां से शुरू हुआ इसे जानें."- अविनाश, वाद्य यंत्र कलेक्शन कर्ता
म्यूजिक के बदलावों को सहेजने का शौक: अविनाश को बचपन से ही वाद्य यंत्रों को कलेक्ट करना अच्छा लगता है. इनके आवास पर प्राचीन वाद्य यंत्रों से लेकर आधुनिक वाद्य यंत्रों का बड़ा कलेक्शन है और अविनाश बारी-बारी से सभी को बजाते हैं. अविनाश ने बताया कि पुराने वाद्य यंत्रों को खरीदने के लिए पूरे देश का भ्रमण करते हैं और जहां भी उनको कोई पुराना वाद्य यंत्र मिलता है, उसको वह किसी भी कीमत पर खरीदने का प्रयास करते हैं.
1960 का ग्रामोफोन: अविनाश के पास काफी पुराना इंग्लैंड में बना 1960 का ग्रामोफोन है, जो बिना बिजली और बैटरी के चलता है. इसे हाथ से घुमाकर बजाया जाता है. आज भी इस ग्रामोफोन की स्थिति इतनी बेहतर है कि कोई अंदाजा भी नहीं लगा सकता कि यह इतना पुराना होगा. इस ग्रामोफोन की सूई भी अविनाश को इंग्लैंड से मंगवानी होती है. अविनाश के पास लगभग 5000 से ज्यादा रिकॉर्ड, 3000 सीडी और 4000 के लगभग ऑडियो कैसेट्स हैं, जो इनकी लाइब्रेरी में सुरक्षित हैं.
यहां से मिले कलेक्शन: अविनाश का कहना है कि युवा पीढ़ी को पुराने दौर के संगीत से रूबरू होना चाहिए. पुराने समय में जब बिजली नहीं थी तो लोग कैसे संगीत से जुड़ते थे और कैसे-कैसे संगीत का दौर, रूप और वाद्य यंत्र बदलते चले गए. अविनाश बताते हैं कि कोलकाता और दिल्ली में आज भी कुछ लोग हैं जो आजादी के समय से आजतक पुरानी यादों को संजोने में लगे हैं. उनसे भी उन्होंने सारे कलेक्शन खरीद लिए हैं.