सारण: बिहार के लगभग चार लाख नियोजित शिक्षकों को 'समान काम, समान वेतन' देने के हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट ने पिछले 10 मई को निरस्त कर दिया था. इसको लेकर प्रदेश के सभी शिक्षक संघों ने विभिन्न जिलों में बैठक कर एक कमिटी गठन कर आगे की रणनीति तैयार करने की बात कही है. इसी क्रम में बिहार पंचायत नगर प्रारंभिक शिक्षक संघ की सारण जिला इकाई ने एक बैठक की. इस बैठक में विभिन्न मुद्दों पर विस्तृत रूप से चर्चा की गई.
मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट ने बिहार के 4 लाख नियोजित शिक्षकों को राहत नहीं दी है और उन्होंने बिहार सरकार की याचिका को स्वीकार कर लिया. जबकि पटना उच्च न्यायालय के आदेश को रद्द कर दिया गया है.
'शैक्षणिक कार्यों के अलावा शिक्षक नहीं करेंगे कोई काम'
बिहार पंचायत नगर प्रारंभिक शिक्षक संघ की जिला इकाई के अध्यक्ष रविन्द्र कुमार सिंह, महासचिव संतोष सुधाकर और संरक्षक विश्वजीत सिंह चंदेल ने संयुक्त रूप से कहा कि माननीय उच्चतम न्यायालय के द्वारा जो आदेश जारी किया गया है, उससे हम लोग मर्माहत हैं. लेकिन हम लोग उसको सहर्ष स्वीकार करते हैं. लेकिन बिहार के सभी शिक्षक अब अपने शैक्षणिक कार्यों के अलावे कोई भी कार्य नहीं करेंगे.
क्या है मामला
31 अक्टूबर 2017 को उच्च न्यायालय पटना ने सुनवाई करते हुए बिहार के लगभग चार लाख नियोजित शिक्षकों को नियमित शिक्षकों के बराबर वेतन देने का आदेश जारी किया था. लेकिन बिहार सरकार ने इस आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में विशेष अनुमति याचिका दायर करते हुए कहा गया था कि राज्य सरकार पर प्रति वर्ष लगभग 9500 करोड़ रुपये का आर्थिक बोझ पड़ रहा है. इसी पर सुनवाई करते हुए उच्चतम न्यायालय ने राज्य सरकार के पक्ष में अपना फैसला दिया था.