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सारण: तैराकी के जुनून ने अशोक को बनाया कुशल गोताखोर, युवाओं को दे रहे नि:शुल्क प्रशिक्षण

गोताखोर अशोक कम संसाधनों के बावजूद 350 से ज्यादा रेस्क्यू कर सैकड़ों लोगों को डूबने से बचा चुकै हैं. उनकी टीम ने नदी और तालाब में डूबते लोगों को बचाने और बड़े रेस्क्यू के लिए इन युवाओं को ट्रेंड कर रहे हैं.

तैराकी का ट्रेनिंग देते ट्रेनर
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Published : Aug 8, 2019, 10:53 PM IST

सारण: कुछ लोग सिर्फ अपने लिए करते हैं तो वहीं कुछ ऐसे भी होते हैं जो अपने किए से समाज की तस्वीर बदल देते हैं. ऐसा ही एक मामला जिले के रूपगंज से सामने आया है. जहां एक युवा सैंड आर्टिस्ट युवाओं को निःशुल्क तैराकी की ट्रेनिंग दे रहा है. क्योंकि बिहार में बाढ़ हो या छठ का त्योहार. गोताखोरों की कमी हर तरफ है.

Saran news
प्रशिक्षण लेते युवा

जुनून की वजह से बने गोताखोर
यह सच है कि जब किसी इंसान के अंदर कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो वो कुछ अनोखा करके दिखाता है. कुछ इसी तरह सारण के युवा सैंड आर्टिस्ट अशोक कुमार कर रहे हैं. अशोक कुमार किसी भी इंसान को पानी में डूबते हुए देखते हैं, तो उसे बचाने के सारे प्रयास करते हैं. इसी जुनून की वजह से वो गोताखोर बन गये हैं.

तैराकी में सक्षम युवाओं का चयन
गोताखोर अशोक कम संसाधनों के दम पर ही 350 से ज्यादा रेस्क्यू कर सैकड़ों लोगों को डूबने से बचा चुके हैं. बहुत से शव नदी, तालाब और गड्ढों से निकाला है. उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण के लिए अलग-अलग प्रखंडों से तैराकी में सक्षम युवाओं का चयन किया है. अशोक और उनकी टीम के सदस्य नदी और तालाब में डूबते लोगों को बचाने और बड़े रेस्क्यू के लिए इन युवाओं को ट्रेंड कर रहे हैं.

Saran news
प्रशिक्षण लेते युवा

तैराक को विशेष ट्रेनिंग
ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान अशोक ने बताया कि वह जिला आपदा प्रबंधन के लिए काफी दिनों से जिले में आयी कई आपदाओं में रेस्क्यू करते आ रहे हैं. इस बीच उन्होंने महसूस किया कि ज्यादातर तैराक तैरना तो जानते हैं लेकिन मुश्किल समय में गहरे पानी से डूबते हुए लोगों को नहीं बचा पाते. उन्हें कैसे बचाया जाये, इसकी जानकारी चयनित युवाओं को दी जा रही है. अशोक का कहना है कि
जिले में इस समय प्रशिक्षित गोताखोरों की काफी कमी है. जो प्रशिक्षित हैं वह भी अपनी रोजी-रोटी के लिए हर समय घाटों के आस-पास नहीं रह पाते. जब भी कोई बड़ा हादसा होता है तो पटना या किसी दूसरी जगहों से एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीम के आने का इंतजार करना पड़ता है.

तैराकी का ट्रेनिंग देते अशोक और उनकी टीम

गांवों में निःशुल्क वर्कशॉप का आयोजन
अशोक ने बताया कि उनकी टीम गांवों में निःशुल्क वर्कशॉप आयोजित करेगी. जिसमें आसपास के बच्चों को रोजाना प्रशिक्षित करेगी. उनका कहना है कि सरकार से यदि उनकी टीम को बांस, रस्सी, जाल, लाइफ जैकेट, स्कूबा डाइविंग सेट, नाव आदि की मदद मिले तो वह एक मजबूत दल तैयार करेंगे. जो राज्य की बाढ़ आपदा में काम करेगी. वहीं, अशोक एनडीआरएफ और एसडीआरएफ से एडवांस ट्रेंनिग लेने वाले गोताखोर हैं. जो स्कूबा डाइविंग में भी प्रशिक्षित हैं. साथ ही इनकी पहचान सैंड आर्टिस्ट और चित्रकार के रूप में भी है.

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प्रशिक्षण लेते युवा

सारण: कुछ लोग सिर्फ अपने लिए करते हैं तो वहीं कुछ ऐसे भी होते हैं जो अपने किए से समाज की तस्वीर बदल देते हैं. ऐसा ही एक मामला जिले के रूपगंज से सामने आया है. जहां एक युवा सैंड आर्टिस्ट युवाओं को निःशुल्क तैराकी की ट्रेनिंग दे रहा है. क्योंकि बिहार में बाढ़ हो या छठ का त्योहार. गोताखोरों की कमी हर तरफ है.

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प्रशिक्षण लेते युवा

जुनून की वजह से बने गोताखोर
यह सच है कि जब किसी इंसान के अंदर कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो वो कुछ अनोखा करके दिखाता है. कुछ इसी तरह सारण के युवा सैंड आर्टिस्ट अशोक कुमार कर रहे हैं. अशोक कुमार किसी भी इंसान को पानी में डूबते हुए देखते हैं, तो उसे बचाने के सारे प्रयास करते हैं. इसी जुनून की वजह से वो गोताखोर बन गये हैं.

तैराकी में सक्षम युवाओं का चयन
गोताखोर अशोक कम संसाधनों के दम पर ही 350 से ज्यादा रेस्क्यू कर सैकड़ों लोगों को डूबने से बचा चुके हैं. बहुत से शव नदी, तालाब और गड्ढों से निकाला है. उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण के लिए अलग-अलग प्रखंडों से तैराकी में सक्षम युवाओं का चयन किया है. अशोक और उनकी टीम के सदस्य नदी और तालाब में डूबते लोगों को बचाने और बड़े रेस्क्यू के लिए इन युवाओं को ट्रेंड कर रहे हैं.

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प्रशिक्षण लेते युवा

तैराक को विशेष ट्रेनिंग
ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान अशोक ने बताया कि वह जिला आपदा प्रबंधन के लिए काफी दिनों से जिले में आयी कई आपदाओं में रेस्क्यू करते आ रहे हैं. इस बीच उन्होंने महसूस किया कि ज्यादातर तैराक तैरना तो जानते हैं लेकिन मुश्किल समय में गहरे पानी से डूबते हुए लोगों को नहीं बचा पाते. उन्हें कैसे बचाया जाये, इसकी जानकारी चयनित युवाओं को दी जा रही है. अशोक का कहना है कि
जिले में इस समय प्रशिक्षित गोताखोरों की काफी कमी है. जो प्रशिक्षित हैं वह भी अपनी रोजी-रोटी के लिए हर समय घाटों के आस-पास नहीं रह पाते. जब भी कोई बड़ा हादसा होता है तो पटना या किसी दूसरी जगहों से एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीम के आने का इंतजार करना पड़ता है.

तैराकी का ट्रेनिंग देते अशोक और उनकी टीम

गांवों में निःशुल्क वर्कशॉप का आयोजन
अशोक ने बताया कि उनकी टीम गांवों में निःशुल्क वर्कशॉप आयोजित करेगी. जिसमें आसपास के बच्चों को रोजाना प्रशिक्षित करेगी. उनका कहना है कि सरकार से यदि उनकी टीम को बांस, रस्सी, जाल, लाइफ जैकेट, स्कूबा डाइविंग सेट, नाव आदि की मदद मिले तो वह एक मजबूत दल तैयार करेंगे. जो राज्य की बाढ़ आपदा में काम करेगी. वहीं, अशोक एनडीआरएफ और एसडीआरएफ से एडवांस ट्रेंनिग लेने वाले गोताखोर हैं. जो स्कूबा डाइविंग में भी प्रशिक्षित हैं. साथ ही इनकी पहचान सैंड आर्टिस्ट और चित्रकार के रूप में भी है.

Saran news
प्रशिक्षण लेते युवा
Intro:डे प्लान वाली ख़बर हैं
SLUG:-GOTAKHOR
ETV BHARAT NEWS DESK
F.M:-DHARMENDRA KUMAR RASTOGI/ SARAN/BIHAR

Anchor:-किसी इंसान के अंदर कुछ अलग हट कर करने का जज्बा हो तो कर के ही दिखाता हैं कुछ इसी तरह के सारण के युवा सैंड आर्टिस्ट अशोक कर रहे है. किसी इंसान को पानी में डूबते देख बचाने के प्रयास ने खुद को गोताखोर बना दिया हैं उक्त बातें हम नही बल्कि खुद अशोक ने कही हैं.

अपने स्तर से शहर के युवाओं को तैराकी व गोताखोर बनाने व उसे प्रशिक्षित कर रेस्क्यू करने लायक तैयार कर रहे है गोताखोर अशोक, अलग-अलग प्रखंडों से युवाओं को चयनित कर निःशुल्क प्रशिक्षण दे रहे है वह भी सीमित संसाधनों के बीच, लगभग 350 से ज्यादा रेस्क्यू कर कितने लोगों को डूबने से बचाया हैं और न जाने कितने लोगों का शव नदी, तालाब व गड्ढो से निकालने वाले शहर के रूपगंज सीढ़ी घाट निवासी अशोक कुमार ने जिले के विभिन्न प्रखंडों से युवा तैराकों को प्रशिक्षण देना शुरू किया है.

अशोक ने प्रशिक्षण के लिए अलग-अलग प्रखंडों से तैराकी में सक्षम युवाओं का चयन किया है. अशोक और उनकी टीम के सदस्य नदी और तालाब में डूबते लोगों को बचाने व बड़े रेस्क्यू के लिए इन युवाओं को प्रशिक्षण दे रहे हैं.

Body:ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान अशोक ने बताया कि वह जिला आपदा प्रबंधन के लिए काफ़ी दिनों से जिले में आयी विभिन्न आपदाओं में रेस्क्यू करते आ रहे हैं. इस बीच अशोक ने महसूस किया कि ज्यादातर तैराक तैरना तो जानते हैं लेकिन मुश्किल परिस्थितियों में गहरे पानी से डूबते हुए लोगों को कैसा बचाया जाये इसकी जानकारी उन्हें नही होती हैं. ऐसे में डूबते हुए को बचाने के दौरान तैराक अपनी जान तक गंवा देते हैं.

Byte:-अशोक कुमार, प्रशिक्षक
रणजीत कुमार भगत, सहायक प्रशिक्षक
विक्रम कुमार, प्रशिक्षणकर्ता युवक
धर्मेन्द्र कुमार रस्तोगी
One to One

जिले में इस समय प्रशिक्षण प्राप्त गोताखोरों की काफी कमी है. जो प्रशिक्षित भी वह अपनी रोजी रोटी के लिए हर समय घाटों के आसपास नही रह पाते. जब भी कोई बड़ा हादसा होता है तो उसे पटना या किसी और जगहों से एसडीआरएफ व एनडीआरएफ की टीम के आने का इंतजार करना पड़ता है. वहीं छठ पर्व व नदी घाटों के किनारे होने वाले त्योहारों में भी प्रशिक्षित तैराकों की कमी प्रशासन को हमेशा खलती है.

Conclusion:अशोक ने बताया कि उनकी टीम गांवों में निःशुल्क कार्यशाला आयोजित करेगी जिसमें आसपास के वैसे बच्चे जो रोजाना किसी नदी घाट या छोटे तालाबों में तैरने जाते हैं उन्हें प्रशिक्षण देगी. अशोक का कहना हैं कि सरकारी स्तर से यदि उनकी टीम को बांस, रस्सी, जाल, लाइफ जैकेट, स्कूबा डाइविंग सेट, नाव आदि की मदद मिले तो वह एक मजबूत दल तैयार करेंगे जो आपदा में काम करेगी. मालूम हो कि अशोक एनडीआरएफ व एसडीआरएफ से एडवांस ट्रेंनिग लेने वाले गोताखोर हैं जो स्कूबा डाइविंग में भी प्रशिक्षित हैं. साथ ही इनकी पहचान सैंड आर्टिस्ट व चित्रकार के रूप में भी काफ़ी मशहूर हैं.
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