छपरा: उदयीमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही छपरा में चार दिवसीय छठ महापर्व का समापन (Arghya offered to rising sun on last day of Chhath) हो गया. आज छठ व्रतियों ने उगते हुए भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया. इसके बाद व्रतियों ने 36 घंटे के निर्जला उपवास व्रत को तोड़ा. छठ पर्व को लेकर जिला प्रशासन और स्थानीय युवाओं की ओर से सभी छठ घाटों की साफ-सफाई और रोशनी की व्यवस्था की गई थी. साथ में सुरक्षा के लिहाज से सभी जगहों पर काफी मात्रा में पुलिस बल के जवान अधिकारियों के साथ मौजूद रहे. सारण जिले में लगभग 350 घाटों पर इस बार छठ व्रतियों ने भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया. इसमें पूरे जिले में लगभग 100 से ज्यादा घाट खतरनाक थे.
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उगते सूर्य को अर्घ्य आज: सुबह सूर्योदय से पहले ही लोग अपने-अपने घरों से घाटों के लिए निकल पड़ते हैं. कृष्णपक्ष के चंद्रमा के कारण आकाश में कालिमा छाई रहती है. व्रती बांस से बनी टोकरियों को एक अस्थाई मंडप के नीचे सुरक्षित रखते हैं. इस मंडप को गन्ने की टहनियों से बनाया जाता है. एक विशेष सांचा बनाकर इसके कोनों को मिट्टी से बनी हाथी और दीपक की आकृतियों से संवारा जाता है. फिर व्रती और परिवारजन नदी या जलाशय में कमर भर पानी में खड़े रह भगवान भास्कर के उदित होने का इंतजार करते हैं. जैसे ही सूर्य की किरणें उदित होती हैं, साड़ी व धोती पहने स्त्री–पुरुष पानी में उतर जाते हैं. इस दौरान भगवान सूर्य की अर्चना करते वक्त मंत्रोच्चार किया जाता है.
सूर्योदय का समय: 31 अक्टूबर को पटना में सूर्योदय का समय का समय 05 बजकर 57 मिनट और 10 सेकेंड बताया जा रहा है. उषा अर्घ्य के बाद चार दिवसीय महापर्व छठ का समापन हो जाएगा. उसके बाद छठव्रती अगल साल छठ के आने का इंतजार करेंगे. फिलहाल छठी मईया के गीतों से पूरा बिहार गूंज रहा है. हर ओर छठ की भक्तिमय छटा देखने को मिल रही है.
इसलिए कहते हैं छठी मैया: सृष्टि की अधिष्ठात्री प्रकृति देवी ने अपने आप को छह भागों में विभाजित किया. इनके छठे अंश को सर्वश्रेष्ठ मातृ देवी या देवसेना के रूप में जाना जाता है. प्रकृति का छठा अंश होने के कारण इनका एक नाम षष्ठी है, जिसे छठी मईया के नाम से सभी जानते हैं. शिशु के जन्म के छठे दिन भी इन्हीं की पूजा की जाती है. इनकी उपासना करने से बच्चे को स्वास्थ्य, सफलता और दीर्घायु का आशीर्वाद मिलता है. पुराणों में इन्हीं देवी का नाम कात्यायनी बताया गया है, जिनकी नवरात्रि की षष्ठी तिथि को पूजा की जाती है.
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