ETV Bharat / state

सारण: आलता पत्र का छठ पर्व में है विशेष महत्व, खास विधि से तैयार करते हैं कारीगर

आलता पत्र बनाने के लिये स्थानीय महिलाएं मिट्टी के दिये में गोबर के गोइठे की राख से रूई के फाहे को रखकर दबाती हैं. उसके बाद इनका बंडल बनाकर रंगने के लिये चूल्हे पर चढ़ाकर उबालने के बाद इसे सुखाया जाता है. लेकिन इससे होने वाली आमदनी से ये कारीगर खुश नहीं हैं.

आलता पत्र का छठ पर्व पर है खास महत्व
author img

By

Published : Oct 22, 2019, 5:46 PM IST

सारण: छठ महापर्व के पूजन सामग्रियों में आलता पत्र को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है. सभी पूजन सामग्रियों के होने के बावजूद आलता पत्र के बिना छठ पूजा अपूर्ण और असंभव मानी जाती है. आलता पत्र छपरा के ग्रामीण इलाकों में बड़े पैमाने पर घर-घर स्थानीय महिलाएं और बच्चे-बच्चियां मिलकर निर्माण करते हैं.

बता दें कि छपरा जिले का बड़ा गोपाल और अवतार नगर थाना क्षेत्र के इलाकों में इसे बनाने का काम किया जाता है. एक तरह से देखा जाए तो आलता पत्र का निर्माण यहां कुटीर उद्योग के रूप में होता है.

सारण
आलता पत्र

बनाने की है खास विधि
आलता पत्र बनाने के लिये स्थानीय महिलाएं मिट्टी के दिये में गोबर के गोइठे की राख से रूई के फाहे को रखकर दबाती हैं. उसके बाद इनका बंडल बनाकर रंगने के लिये चूल्हे पर चढ़ाकर उबालने के बाद इसे सुखाया जाता है. सुखाने के बाद फिर से इसको अलग-अलग कर बंडल बनाया जाता है. इस प्रकार फिर आलता पत्र बाजार में बिकने के लिए जाता है.

आलता पत्र का छठ पर्व पर है खास महत्व

मेहनताने से नाखुश हैं कारीगर
यहां के लोगों का कहना है कि हम वैशाख के महीने से रूई मिलने के साथ ही निर्माण कार्य शुरू कर देते हैं. छठ महापर्व के समय हमलोगों का काम पूरा होता है. अब आलता पत्र की बिक्री में तेजी आएगी. साथ ही यहां के आलता पत्र बनाने वालों का कहना है कि हम तो केवल बनाते हैं. व्यापारी आकर हमसे खरीद ले जाते हैं. कारीगरों का कहना है कि हम जिस तरह से इसे बनाने में मेहनत करते हैं. हमें उतना मेहनताना नहीं मिलता है.

Chhath festival
आलता पत्र बनाने वाली कारीगर

सारण: छठ महापर्व के पूजन सामग्रियों में आलता पत्र को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है. सभी पूजन सामग्रियों के होने के बावजूद आलता पत्र के बिना छठ पूजा अपूर्ण और असंभव मानी जाती है. आलता पत्र छपरा के ग्रामीण इलाकों में बड़े पैमाने पर घर-घर स्थानीय महिलाएं और बच्चे-बच्चियां मिलकर निर्माण करते हैं.

बता दें कि छपरा जिले का बड़ा गोपाल और अवतार नगर थाना क्षेत्र के इलाकों में इसे बनाने का काम किया जाता है. एक तरह से देखा जाए तो आलता पत्र का निर्माण यहां कुटीर उद्योग के रूप में होता है.

सारण
आलता पत्र

बनाने की है खास विधि
आलता पत्र बनाने के लिये स्थानीय महिलाएं मिट्टी के दिये में गोबर के गोइठे की राख से रूई के फाहे को रखकर दबाती हैं. उसके बाद इनका बंडल बनाकर रंगने के लिये चूल्हे पर चढ़ाकर उबालने के बाद इसे सुखाया जाता है. सुखाने के बाद फिर से इसको अलग-अलग कर बंडल बनाया जाता है. इस प्रकार फिर आलता पत्र बाजार में बिकने के लिए जाता है.

आलता पत्र का छठ पर्व पर है खास महत्व

मेहनताने से नाखुश हैं कारीगर
यहां के लोगों का कहना है कि हम वैशाख के महीने से रूई मिलने के साथ ही निर्माण कार्य शुरू कर देते हैं. छठ महापर्व के समय हमलोगों का काम पूरा होता है. अब आलता पत्र की बिक्री में तेजी आएगी. साथ ही यहां के आलता पत्र बनाने वालों का कहना है कि हम तो केवल बनाते हैं. व्यापारी आकर हमसे खरीद ले जाते हैं. कारीगरों का कहना है कि हम जिस तरह से इसे बनाने में मेहनत करते हैं. हमें उतना मेहनताना नहीं मिलता है.

Chhath festival
आलता पत्र बनाने वाली कारीगर
Intro: आलता पत्र ।छ्परा से पंकज श्रीवास्तव की रिपोर्ट । छ्परा। छठ महापर्व पर सभी पूजन सामग्रियो के साथ एक चीज सबसे जरूरी होती है।वह है आलता पत्र ।इस आलता पत्र का छ्परा के ग्रामीण इलाकों मे घर घर बड़ी सख्या मे स्थानीय महिलायें और बच्चे बच्चियाँ मिल कर निर्माण करते है।छ्परा जिले का बड़ा गोपाल और अवतार नगर थाना क्षेत्र के इलाकों मे इसे बनाने का काम किया जाता है।एक तरह से देखा जाए तो आलता पत्र का निर्माण यहा कुटीर उद्योग के रुप मे किया जाता है।


Body: इसको बनाने के लिये स्थानीय महिलाएं मिट्टी के दिये मे गोबर के गोइठे की राख से रुई के फाहे को रखकर दबाती है।और उसके बाद इनका बण्डल बना कर रंगने के लिये चूल्हे पर चढा कर उबाला जाता है।और उसके बाद इसे सुखाया जाता है।सुखाने के बाद फिर से इसको अलग-अलग कर के बण्डल बनाया जाता है।और फिर यह आलता पत्र बाजार मे बिकने के लिये जाता है



Conclusion:यहा के लोगों का कहना है की रुई के मिलते ही इसे हम वैशाख के महिने से ही निर्माण कार्य शुरु कर देते है।जो इस समय जा कर पुरा होता है।अब जबकी छठ महापर्व का समय हो गया है।अब इसकी बिक्री मे तेजी आयेगी।वैसे यहा के आलता पत्र बनाने वालों का कहना है की हम तो केवल बनाते है।और पैकार आ कर खरीद कर ले जाते है।और जहा जहा भी छठ पुजा होती है।वहा इसकी बिक्री होती है।वही इन लोगों का कहना हैकि हम जिस तरह से इसे बनाने मे मेहनत करते है।उस हिसाब से हमें मेहनताना नही मिलता है।अभी पिछ्ले कई वर्षो से इसका निर्माण करते आ रहे है।और पैकार हमारे इस मेहनत की कीमत नही देता है।और हमे अपनें माल को काफी कम मूल्य पर देना पड़ता है ।और वह काफी ज्यादा दामों मे बेचता है। बाईट आलता पत्र निर्माण करने वालों की
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.