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सारण में बालू माफिया के खिलाफ जबरदस्त एक्शन: कई नावों को प्रशासन ने फूंका, देखें VIDEO - boat on fire in Saram

सारण में अवैध बालू खनन (Illegal sand mining in Saran) के खिलाफ जिला प्रशासन द्वारा कार्रवाई करते हुए अब नावों को आग के हवाले कर दिया जा रहा है. इससे वालू खनन करने वाले लोगों में दहशत है, लोग अपनी नाव लेकर नहीं निकल रहे हैं. पढ़ें पूरी खबर.

बालू कारोबारियों पर एक्शन
बालू कारोबारियों पर एक्शन
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Published : Dec 1, 2022, 12:59 PM IST

छपरा (सारण): बिहार के छपरा में बालू कारोबारियों को अब सरकार दोहरी मार मारने लगी है (Action on sand traders in Saran). राज्य सरकार के आदेश के आलोक में अब जिला प्रशासन बराबर कार्रवाई कर रहा है. ताकि बालू कारोबार पर अंकुश लग सके. जिला प्रशासन द्वारा कई तरह से बालू कारोबारियों को परेशान करने का प्रयास किया जा रहा है. प्रशासन द्वारा अब बालू नदी नावों को जलाना शुरू कर दिया गया है.

ये भी पढ़ें- छपरा में अवैध बालू खनन के खिलाफ कई ठिकानों पर छापा, एक्शन में जिला प्रशासन

बालू खनन करने वाले नावों पर एक्शन: बालू लदे नाव में आग लगाए जाने से स्थानीय लोगों में जिला प्रशासन के खिलाफ काफी आक्रोश है. पटना से सटे सारण और भोजपुर जिले में बालू खनन धड़ल्ले से होता रहता है. वहीं, प्रशासन द्वारा इसपर रोक लगाए जाने को लेकर कार्रवाई की जाती है. इन इलाकों में अब प्रशासन द्वारा बालू लदे नावों को जलाना शुरू किया गया है. वहीं, पुलिस सोन नदी में नावों को काटकर डूबा दे रही है.

''हम लोग प्रशासन की कार्रवाई से डरे हुए हैं. नदी से बालू निकालना हमारी पुश्तैनी धंधा है. इसी से हमें पिता ने पाला-पोसा अब हम अपने बच्चों का लालन-पालन कर रहे हैं. प्रशासन नावों को डुबो दे रहा है या जला दे रहा है इसलिए हम लोग नावों को बांधकर रखे हुए हैं''- स्थानीय नाविक

पीड़ितों ने की रोजगार की मांग: पीड़ितों का कहना है कि सरकार कोई भी एक नीति को निर्धारित नहीं कर रही है. जिससे दुविधा में बालू कारोबारी परेशानी तो झेल ही रहे थे, अब इधर प्रशासन ने नाव में आग लगाना शुरू कर दिया. पीड़ितों का कहना है कि बिहार में रोजगार के अवसर वैसे भी बहुत कम हैं. 40 प्रतिशत बिहारी दूसरे राज्यों में काम करते हैं और काम की तलाश में भटकते हैं.

विद्रोह करेन की दी चेतावनी: पीड़ितों के मुताबिक यहां बालू से बहुत से लोगों का जीविकोपार्जन होता है, लेकिन अब उसे भी सरकारी नीतियां नष्ट करने में लगी है. बालू व्यवसायियों ने कहा कि सरकार एक गाइडलाइन बना दे, उस पर हम सभी चलने को तैयार हैं. मगर सरकार ऐसा नहीं कर रही हैं. पीड़ितों ने कहा कि बालू व्यवसाई और मजदूर विद्रोह पर उतारू होंगे, तभी सरकार सुनेगी क्या. वहीं, इन विषय पर प्रशासनिक पदाधिकारी कुछ भी बोलने से बच रहे हैं.

छपरा (सारण): बिहार के छपरा में बालू कारोबारियों को अब सरकार दोहरी मार मारने लगी है (Action on sand traders in Saran). राज्य सरकार के आदेश के आलोक में अब जिला प्रशासन बराबर कार्रवाई कर रहा है. ताकि बालू कारोबार पर अंकुश लग सके. जिला प्रशासन द्वारा कई तरह से बालू कारोबारियों को परेशान करने का प्रयास किया जा रहा है. प्रशासन द्वारा अब बालू नदी नावों को जलाना शुरू कर दिया गया है.

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बालू खनन करने वाले नावों पर एक्शन: बालू लदे नाव में आग लगाए जाने से स्थानीय लोगों में जिला प्रशासन के खिलाफ काफी आक्रोश है. पटना से सटे सारण और भोजपुर जिले में बालू खनन धड़ल्ले से होता रहता है. वहीं, प्रशासन द्वारा इसपर रोक लगाए जाने को लेकर कार्रवाई की जाती है. इन इलाकों में अब प्रशासन द्वारा बालू लदे नावों को जलाना शुरू किया गया है. वहीं, पुलिस सोन नदी में नावों को काटकर डूबा दे रही है.

''हम लोग प्रशासन की कार्रवाई से डरे हुए हैं. नदी से बालू निकालना हमारी पुश्तैनी धंधा है. इसी से हमें पिता ने पाला-पोसा अब हम अपने बच्चों का लालन-पालन कर रहे हैं. प्रशासन नावों को डुबो दे रहा है या जला दे रहा है इसलिए हम लोग नावों को बांधकर रखे हुए हैं''- स्थानीय नाविक

पीड़ितों ने की रोजगार की मांग: पीड़ितों का कहना है कि सरकार कोई भी एक नीति को निर्धारित नहीं कर रही है. जिससे दुविधा में बालू कारोबारी परेशानी तो झेल ही रहे थे, अब इधर प्रशासन ने नाव में आग लगाना शुरू कर दिया. पीड़ितों का कहना है कि बिहार में रोजगार के अवसर वैसे भी बहुत कम हैं. 40 प्रतिशत बिहारी दूसरे राज्यों में काम करते हैं और काम की तलाश में भटकते हैं.

विद्रोह करेन की दी चेतावनी: पीड़ितों के मुताबिक यहां बालू से बहुत से लोगों का जीविकोपार्जन होता है, लेकिन अब उसे भी सरकारी नीतियां नष्ट करने में लगी है. बालू व्यवसायियों ने कहा कि सरकार एक गाइडलाइन बना दे, उस पर हम सभी चलने को तैयार हैं. मगर सरकार ऐसा नहीं कर रही हैं. पीड़ितों ने कहा कि बालू व्यवसाई और मजदूर विद्रोह पर उतारू होंगे, तभी सरकार सुनेगी क्या. वहीं, इन विषय पर प्रशासनिक पदाधिकारी कुछ भी बोलने से बच रहे हैं.

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