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लापरवाही: दवाईयों से भरा है पशु चिकित्सालय फिर भी जा रही है बेजुबानों की जान

जिले के पशु अस्पताल से 42 प्रकार की दवाईयां भेजी जाती हैं. वहीं, मौसम के अनुरूप कई जरूरी दवाओं की खेप भी भेजने का निर्देश है. लेकिन, मौजूदा समय में पशुपालक अपने स्तर से इलाज कराने को विवश हैं.

बदहाली
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Published : Jun 15, 2019, 11:57 PM IST

समस्तीपुर: जिले में पड़ रही भीषण गर्मी में बेजुबानों का हाल भी बेहाल है. सबसे अधिक समस्या इस मौसम में होने वाली कई गंभीर बीमारियों की है. समय पर सही इलाज नहीं मिल पाने के कारण जानवरों की जान जा रही है. खासतौर पर इस मौसम में लू लगने के साथ-साथ सरा नामक बीमारी का खतरा सबसे ज्यादा है.

जानकारी देते अधिकारी

इसके अलावे इस मौसम में कीड़े लगने की समस्या बढ़ जाती है. लेकिन, लापरवाही का हाल यह है कि जिले के किसी भी पशु अस्पताल में जरूरी दवाएं उपलब्ध नहीं है. पशुपालक अपने बीमार जानवर को अस्पताल लेकर जाते हैं और निराश होकर लौट आते हैं. उन्हें दवाईयां बाजार से खरीदनी पड़ रही है.

samastipur
जिला पशुपालन पदाधिकारी

पशुपालकों को बाजार से खरीदनी पड़ रही दवा
जिले के पशु अस्पताल से 42 प्रकार की दवाईयां भेजी जाती हैं. वहीं, मौसम के अनुरूप कई जरूरी दवाओं की खेप भी भेजने का निर्देश है. लेकिन, मौजूदा समय में पशुपालक अपने स्तर से इलाज कराने को विवश हैं. इस बाबत जिला पशुपालन पदाधिकारी से जानकारी ली गई तो उन्होंने कहा कि गोदाम तो दवाओं से भरे हैं, लेकिन स्टॉक जांच नहीं होने की वजह से दवाओं को वितरित नहीं किया जा सका है. गौरतलब है कि पहले से ही जिला मुख्यालय से लेकर सभी प्रखंड पशु अस्पतालों का हाल बदहाल है. पशुपालकों को सरकारी व्यवस्था होने के बावजूद निजी व्यवस्था पर ही निर्भर रहना पड़ता है.

समस्तीपुर: जिले में पड़ रही भीषण गर्मी में बेजुबानों का हाल भी बेहाल है. सबसे अधिक समस्या इस मौसम में होने वाली कई गंभीर बीमारियों की है. समय पर सही इलाज नहीं मिल पाने के कारण जानवरों की जान जा रही है. खासतौर पर इस मौसम में लू लगने के साथ-साथ सरा नामक बीमारी का खतरा सबसे ज्यादा है.

जानकारी देते अधिकारी

इसके अलावे इस मौसम में कीड़े लगने की समस्या बढ़ जाती है. लेकिन, लापरवाही का हाल यह है कि जिले के किसी भी पशु अस्पताल में जरूरी दवाएं उपलब्ध नहीं है. पशुपालक अपने बीमार जानवर को अस्पताल लेकर जाते हैं और निराश होकर लौट आते हैं. उन्हें दवाईयां बाजार से खरीदनी पड़ रही है.

samastipur
जिला पशुपालन पदाधिकारी

पशुपालकों को बाजार से खरीदनी पड़ रही दवा
जिले के पशु अस्पताल से 42 प्रकार की दवाईयां भेजी जाती हैं. वहीं, मौसम के अनुरूप कई जरूरी दवाओं की खेप भी भेजने का निर्देश है. लेकिन, मौजूदा समय में पशुपालक अपने स्तर से इलाज कराने को विवश हैं. इस बाबत जिला पशुपालन पदाधिकारी से जानकारी ली गई तो उन्होंने कहा कि गोदाम तो दवाओं से भरे हैं, लेकिन स्टॉक जांच नहीं होने की वजह से दवाओं को वितरित नहीं किया जा सका है. गौरतलब है कि पहले से ही जिला मुख्यालय से लेकर सभी प्रखंड पशु अस्पतालों का हाल बदहाल है. पशुपालकों को सरकारी व्यवस्था होने के बावजूद निजी व्यवस्था पर ही निर्भर रहना पड़ता है.

Intro:इस भीषण गर्मी कई तरह के मौसमी बीमारियों से हलकान हैं बेजुबान जानवर, लेकिन जिले के पशु अस्पताल में इसको लेकर कोई भी जरूरी दवा उपलब्ध नहीं।यैसा नहीं है कि जिले में पशु का दवा नहीं। दरअसल जिले का गोदाम तो दवा से भरा है लेकिन, विभागीय उदासीनता का हद है की, दवा के स्टॉक जांच के वजह से यह अब तक जिले के प्रखंड अस्पताल तक भेजे नहीं जा रहे।


Body:जिले में पड़ रहे भीषण गर्मी में बेजुबानों का हाल बेहाल है। सबसे समस्या इन मौसम में होने वाले कई गंभीर बीमारियों से काफी संख्या में इन बेजुबानों की जान जा रही। खासतौर पर यैसे मौसम में लू लगने के साथ-साथ सरा नामक बीमारी का खतरा सबसे ज्यादा होता है, यही नहीं इस मौसम में कीड़े की समस्या भी काफी बढ़ जाता है। लेकिन लापरवाही का हाल देखिये, जिले के किसी भी पशु अस्पतालों में जरूरी एक भी दवा उपलब्ध नहीं। पशुपालक अपने बीमार जानवर को अस्पताल लेकर तो जाते हैं, लेकिन उन्हें दवा बाजार से खरीदना पड़ता है।


बाईट- पशुपालक।


वीओ- वैसे जिले के पशु अस्पताल से 42 प्रकार की दवा भेजे जाते हैं। वही मौसम के अनुरूप कई जरूरी दवाओं की खेप भी भेजने का निर्देश है। लेकिन एक भी दवा जिले के पशु अस्पताल में उपलब्ध नहीं। वैसे जब इन बाबत जिला पशुपालन पदाधिकारी से जानकारी ली गई तो, दवा को लेकर जिले की हकीकत विभागीय उदासीनता का पूरा चिट्ठा खोल रहा। दरअसल गोदाम तो दवा से भरे हैं, लेकिन स्टॉक जांच नहीं होने की वजह से दवा को वितरित नहीं किया जा सका है।

बाईट-डॉ .मो .एजाज अहमद, जिला पशुपालन पदाधिकारी समस्तीपुर।


Conclusion:गौरतलब है की, पहले से ही जिला मुख्यालय से लेकर सभी प्रखंड पशु अस्पतालों का हाल बदहाल है। पशुपालकों को सरकारी व्यवस्था होने के बावजूद निजी व्यवस्था पर ही निर्भर रहना पड़ता है।


अमित कुमार की रिपोर्ट।
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