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समस्तीपुर: जिले में करोड़ों की लागत से खरीदा गया चलंत शौचालय कबाड़ में तब्दील

विभाग ने इसे स्वछता और लोगों की सुविधा के लिए खरीदा जरूर, लेकिन नगर परिषद ने इसे सरकारी बस स्टैंड में रखकर कबाड़ बना दिया. सरकारी विभाग की उदासीनता के कारण ये चलंत शौचालय कबाड़ बन चुका है.

बस स्टैंड में खड़ा चलंत शौचालय
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Published : Jul 29, 2019, 3:15 PM IST

समस्तीपुर: जिले में गत वर्ष लगभग 2 करोड़ की लागत से चार चलंत शौचालय खरीदा गया था. लेकिन अब इन चलंत शौचालयों का एक कदम भी चलना काफी मुश्किल है. दरअसल नगर परिषद की उदासीनता के चलते यह चलंत न होकर स्थिर खड़ा है.

कबाड़ बन चुका है शौचालय
विभाग ने इसे स्वछता और लोगों की सुविधा के लिए खरीदा जरूर लेकिन नगर परिषद ने इसे सरकारी बस स्टैंड पर रखकर कबाड़ बना दिया. सरकारी उदासीनता के कारण ये चलंत शौचालय अब कबाड़ बन चुका है. स्थानीय लोगों का कहना है कि ये यदा-कदा ही उपयोग में लाए जाते हैं. इतने अहम उपकरण विभागीय लापरवाही के कारण धूप और बारिश में खड़ा-खड़ा खराब हो रहा हैं. अगर कुछ दिनों तक इन चलंत शौचालयों को उपयोग में नहीं लाया गया तो हो सकता है यह एक भी कदम चलने लायक न रहे.

कबाड़ बन चुका है चलंत शौचालय

मंहगे पार्ट-पुर्जे धीरे-धीरे गायब
इस मामले पर सामाजिक कार्यकर्ता मणिकांत सिंह का कहना है कि नगर परिषद की ओर से इसका इस्तेमाल नहीं किया जाता है. जिससे गरीब लोग खासकर महिलायें, किशोरी और बच्चे जिनके पास अपना शौचालय नहीं उन्हें काफी परेशानी का सामना करना परता है. विभागीय लापरवाही के चलते इन चलंत शौचालय के मंहगे पार्ट-पुर्जे धीरे-धीरे गायब होते जा रहे हैं.

उपयोग में है शौचालय- कार्यपालक पदाधिकारी
वहीं, इस मामले पर नप के कार्यपालक पदाधिकारी रजनीश कुमार का कहना है कि चलंत शौचालय उपयोग में हैं. हाल के लोकसभा चुनाव में इसको उपयोग में लाया गया था. समय-समय पर इन चलंत शौचालयों को सरकारी उपयोग में लाया जाता है. हालांकि, पदाधिकारी की बात कहीं से भी सही नहीं जान पड़ती है.

समस्तीपुर: जिले में गत वर्ष लगभग 2 करोड़ की लागत से चार चलंत शौचालय खरीदा गया था. लेकिन अब इन चलंत शौचालयों का एक कदम भी चलना काफी मुश्किल है. दरअसल नगर परिषद की उदासीनता के चलते यह चलंत न होकर स्थिर खड़ा है.

कबाड़ बन चुका है शौचालय
विभाग ने इसे स्वछता और लोगों की सुविधा के लिए खरीदा जरूर लेकिन नगर परिषद ने इसे सरकारी बस स्टैंड पर रखकर कबाड़ बना दिया. सरकारी उदासीनता के कारण ये चलंत शौचालय अब कबाड़ बन चुका है. स्थानीय लोगों का कहना है कि ये यदा-कदा ही उपयोग में लाए जाते हैं. इतने अहम उपकरण विभागीय लापरवाही के कारण धूप और बारिश में खड़ा-खड़ा खराब हो रहा हैं. अगर कुछ दिनों तक इन चलंत शौचालयों को उपयोग में नहीं लाया गया तो हो सकता है यह एक भी कदम चलने लायक न रहे.

कबाड़ बन चुका है चलंत शौचालय

मंहगे पार्ट-पुर्जे धीरे-धीरे गायब
इस मामले पर सामाजिक कार्यकर्ता मणिकांत सिंह का कहना है कि नगर परिषद की ओर से इसका इस्तेमाल नहीं किया जाता है. जिससे गरीब लोग खासकर महिलायें, किशोरी और बच्चे जिनके पास अपना शौचालय नहीं उन्हें काफी परेशानी का सामना करना परता है. विभागीय लापरवाही के चलते इन चलंत शौचालय के मंहगे पार्ट-पुर्जे धीरे-धीरे गायब होते जा रहे हैं.

उपयोग में है शौचालय- कार्यपालक पदाधिकारी
वहीं, इस मामले पर नप के कार्यपालक पदाधिकारी रजनीश कुमार का कहना है कि चलंत शौचालय उपयोग में हैं. हाल के लोकसभा चुनाव में इसको उपयोग में लाया गया था. समय-समय पर इन चलंत शौचालयों को सरकारी उपयोग में लाया जाता है. हालांकि, पदाधिकारी की बात कहीं से भी सही नहीं जान पड़ती है.

Intro:स्वछता को लेकर पीएम मोदी के अभियान को , क्या उनके ही सरकारी बाबू साकार नही होने दे रहे । अगर विश्वास नही हो रहा तो जिले के सरकारी बस स्टैंड में , समस्तीपुर नगर परिषद के करोड़ो रूपये के कबाड़ बन चुके चलंत शौचालय , सेफ्टी टैंक का हाल देखिए । विभाग ने इन्हें स्वछता व लोगों के सुविधा के लिए खरीदा जरूर , लेकिन इसे कबाड़ बना दिया ।


Body:जिले में सरकारी राशि का कैसे चपत लगाया जाता है , यह कोई समस्तीपुर नगर परिषद से पूछे। लगभग 2 करोड़ के लागत से बीते कई वर्ष पहले चार चलंत शौचालय , सेफ्टी टैंक व ट्रेक्टर की खरीद की गई थी । लेकिन नप ने इन सभी सरकारी सामानों को सरकारी बस स्टैंड रखकर कबाड़ बना दिया । यही नही इन समानों के मंहगे पार्ट पुर्जे भी धीरे धीरे गायब हो गए । वैसे इस मामले पर परिषद के एक्सक्यूटिव ऑफिसर ने सफाई देते हुए कहा की , इनका समय समय पर इस्तेमाल होता है , कुछ खराब हो गए है , उन्हें जल्द दुरुस्त कराया जायेगा ।

बाईट - रजनीश कुमार , एक्सक्यूटिव ऑफिसर , नगर परिषद , समस्तीपुर ।

वीओ - वैसे परिषद के वरीय अधिकारी जिन सामानों का यदाकदा इस्तेमाल का दावा कर रहे , उसका हाल ही इनके दावों का पोल खोल रहा । वैसे सरकारी पैसे के वेजा इस्तेमाल व स्वछता को लेकर विभाग के इस नियत पर सामाजिक कार्यकर्ता सवाल उठा रहे। उनका मानना है की , स्वछता को लेकर केंद्र व राज्य सरकार के दावों की धरातल पर यही हकीकत है ।

बाईट - मणिकांत सिंह , समाजिक कार्यकर्ता ।


Conclusion:गौरतलब है की , इन चलंत शौचालय व अन्य चीजों की खरीद सांसद कोटे से हुई थी । मकसद था , वैसी आबादी जंहा शौचालय नही है , वँहा स्वछता व लोगों के सुविधा के लिए इसका इस्तेमाल होगा । लेकिन परिषद ने करोड़ो के लागत से खरीदे इन चीजों को कबाड़ बना दिया ।

अमित कुमार की रिपोर्ट ।
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