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सिर्फ वोट लेने इस बस्ती में आते हैं नेता, सरकारी अनदेखी से रैन बसेरा की जिंदगी जीने को हैं मजबूर

समाज के अंतिम पायदान पर खड़े लोग आज के 21वीं सदी में भी अपने विकास की बाट जोह रहे हैं. बता दें कि आसमान के नीचे झोपड़ी, प्लास्टिकों के घर बनाकर लोग यहां रह रहे हैं.

बदहाली के शिकार लोग
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Published : Apr 7, 2019, 8:25 AM IST

समस्तीपुर: चुनावी मौसम आ गया है, सभी प्रत्याशी अपना-अपना नामांकन पर्चा दाखिल कर प्रचार-प्रसार में लगे हैं. हर चुनावी साल की तरह इस साल भी उम्मीदवार मतदाताओं के पास हाथ-पांव जोड़कर उनकी तस्वीर और तकदीर बदलने का दावा कर रहे हैं. लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही कहानी बयां करती है.
शहर से सटे गंडक नदी के बांध पर विगत कई सालों से सैकड़ों लोग रैन बसेरा की जिंदगी जीने को मजबूर हैं. इन गरीब मतदाताओं की हालत बेहद दयनीय है. नेता आकर इन्हें सालों से केवल ठगने का काम कर रहे हैं.

5 दशकों से नहीं सुधरे हालात
शहर के बीचों-बीच गंडक नदी पर बने बांध में सैकड़ों परिवार चालीस-पचास वर्षों से ज्यादा से झोपड़ी बनाकर अपना जीवन गुजर-बसर कर रहे हैं. इनके एक वोट से नेता चुनकर विधानसभा से लेकर लोकसभा तक जाते हैं. चुनावी मौसम आते ही नेता इनलोगों के पास वोट मांगने आ जाते हैं. वे वोट के बदले विकास की बात करते हैं. लेकिन, चुनाव जीतने के बाद कोई इस इलाके में झांकने तक को नहीं आता है.
जिसका नतीजा यह है कि समाज के अंतिम पायदान पर खड़े लोग आज के 21वीं सदी में भी अपने विकास की बाट जोह रहे हैं. बता दें कि आसमान के नीचे झोपड़ी, प्लास्टिकों के घर बनाकर लोग यहां रह रहे हैं.

दयनीय जीवन जीने को मजबूर लोग

नहीं मिल रही सरकारी सुविधा
यहां रहने वाले लोग बताते हैं कि जब बाढ़ आती है तो इनका एक-एक सामान बर्बाद हो जाता है. यहां रहने वाले परिवार पूरी तरह तबाह हो जाते हैं. वहीं इलाका आगजनी का शिकार होता है तो इनके पास आंख में आंसू के सिवा कुछ भी नहीं शेष रहता है. यहां रहने वाले परिवार बताते है कि सरकारी सुविधा के नाम पर इन्हें सिर्फ अनाज दिया जाता है इसके आलावे और कोई सुविधा इन्हें नसीब नहीं है.

ऐसा नेता हो जो हमारी जरूरत समझे
चुनाव के बाबत इन मतदाताओं का कहना है कि हमलोगों को अब वैसे नेता की तलाश है जो हमारी तस्वीर और तकदीर को बदलने में हमारा साथ दे. केवल बातें नहीं काम भी करे.

समस्तीपुर: चुनावी मौसम आ गया है, सभी प्रत्याशी अपना-अपना नामांकन पर्चा दाखिल कर प्रचार-प्रसार में लगे हैं. हर चुनावी साल की तरह इस साल भी उम्मीदवार मतदाताओं के पास हाथ-पांव जोड़कर उनकी तस्वीर और तकदीर बदलने का दावा कर रहे हैं. लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही कहानी बयां करती है.
शहर से सटे गंडक नदी के बांध पर विगत कई सालों से सैकड़ों लोग रैन बसेरा की जिंदगी जीने को मजबूर हैं. इन गरीब मतदाताओं की हालत बेहद दयनीय है. नेता आकर इन्हें सालों से केवल ठगने का काम कर रहे हैं.

5 दशकों से नहीं सुधरे हालात
शहर के बीचों-बीच गंडक नदी पर बने बांध में सैकड़ों परिवार चालीस-पचास वर्षों से ज्यादा से झोपड़ी बनाकर अपना जीवन गुजर-बसर कर रहे हैं. इनके एक वोट से नेता चुनकर विधानसभा से लेकर लोकसभा तक जाते हैं. चुनावी मौसम आते ही नेता इनलोगों के पास वोट मांगने आ जाते हैं. वे वोट के बदले विकास की बात करते हैं. लेकिन, चुनाव जीतने के बाद कोई इस इलाके में झांकने तक को नहीं आता है.
जिसका नतीजा यह है कि समाज के अंतिम पायदान पर खड़े लोग आज के 21वीं सदी में भी अपने विकास की बाट जोह रहे हैं. बता दें कि आसमान के नीचे झोपड़ी, प्लास्टिकों के घर बनाकर लोग यहां रह रहे हैं.

दयनीय जीवन जीने को मजबूर लोग

नहीं मिल रही सरकारी सुविधा
यहां रहने वाले लोग बताते हैं कि जब बाढ़ आती है तो इनका एक-एक सामान बर्बाद हो जाता है. यहां रहने वाले परिवार पूरी तरह तबाह हो जाते हैं. वहीं इलाका आगजनी का शिकार होता है तो इनके पास आंख में आंसू के सिवा कुछ भी नहीं शेष रहता है. यहां रहने वाले परिवार बताते है कि सरकारी सुविधा के नाम पर इन्हें सिर्फ अनाज दिया जाता है इसके आलावे और कोई सुविधा इन्हें नसीब नहीं है.

ऐसा नेता हो जो हमारी जरूरत समझे
चुनाव के बाबत इन मतदाताओं का कहना है कि हमलोगों को अब वैसे नेता की तलाश है जो हमारी तस्वीर और तकदीर को बदलने में हमारा साथ दे. केवल बातें नहीं काम भी करे.

Intro:एक्सक्लूसिव खबर
समस्तीपुर नेताजी अब वोट लेने आ गए ।जी हां चुनावी मौसम आ गया है। और अपने अपने लोकसभा क्षेत्र से प्रत्याशी पर्चा भर कर चुनाव के मैदान में उतरने की तैयारी कर लिए हैं ।मतदाताओं के पास जाकर हाथ जोड़कर उनकी तस्वीर और तकदीर बदलने का दावा तो करते है ।लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है मैं आपको शहर के सटे हुए गंडक नदी के बांध पर विगत कई सालों से रैन बसेरा की जिंदगी जी रहे इन गरीब मतदाताओं की हालत बताने जा रहा हूं जिसपर आज तककोई तरस खाने को तैयार नहीं है।


Body:शहर के बीचोबीच गंडक नदी में बने बांध पर सैकड़ों परिवारचालीस पचास बर्षो से झोपड़ी बनाकर अपना जीवन गुजर गुजर बसर करते हैं ।इनके एक-एक वोट से नेता चुनकर विधानसभा से लेकर लोकसभा तक जाते हैं ।चुनावी मौसम आने के बाद नेता इनलोगो के पास हाथ जोड़कर वोट मांगने आ जाते हैं ।उसके बदले उनके विकास का दावा तो कर जाते हैं ।लेकिन चुनाव जीत जाने के बाद इनकी समस्याओं के तरफ देखने का मौका ही नहीं मिलता है। जिसका नतीजा यह है की समाज के अंतिम पंक्ति में खड़े लोग आज के 21 बी सदी में भी अपने विकास की बाट जोह रहे हैं ।आसमान के नीचे झोपड़ी प्लास्टिको का घर बनाकर रह रहे यह वह गरीब लोग हैं ।जिनके लिए सभी नेता राजनीति करते है ।लेकिन आज तक इनकी तस्वीर को बदलने का प्रयास नहीं किया गया ।जब बाढ़ आती है तो इनका एक-एक सामान बर्बाद हो जाता है और यह परिवार पूरी तरह तबाह हो जाता है। अगर आगजनी का शिकार होते हैं तो इनके पास आंख में आंसू के सिवा कुछ भी नहीं होता है। वहीं इन परिवारों को बताना है की सरकारी सुविधा के नाम पर इन्हें सिर्फ अनाज दिया जाता है। और कोई सुविधा इनके पास नहीं है। वही इन बेबस लाचार मतदाताओं का बताना है कि चुनाव के समय में नेताजी वोट लेने के समय । हम लोगों को विकास कर ने का दावा तो कर जाते हैं ।लेकिन जीतने के बाद दोबारा दिखाई नहीं पड़ते हैं।
बाईट:: गुड़िया देवी
बाईट : अनिता : देवी
बाईट ; रामससगुन


Conclusion:मतदाता अब जागरूक हो गई है वही मत इन मतदाताओं का बताना है कि हम लोगों को अब वैसा नेता की तलाश में है जो हमारी तस्वीर और तकदीर को बदलने में हमारा साथ दें हम लोग वैसा ही नेता को चुनकर लोकसभा तक भेजेंगे।
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