समस्तीपुर: चुनावी मौसम आ गया है, सभी प्रत्याशी अपना-अपना नामांकन पर्चा दाखिल कर प्रचार-प्रसार में लगे हैं. हर चुनावी साल की तरह इस साल भी उम्मीदवार मतदाताओं के पास हाथ-पांव जोड़कर उनकी तस्वीर और तकदीर बदलने का दावा कर रहे हैं. लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही कहानी बयां करती है.
शहर से सटे गंडक नदी के बांध पर विगत कई सालों से सैकड़ों लोग रैन बसेरा की जिंदगी जीने को मजबूर हैं. इन गरीब मतदाताओं की हालत बेहद दयनीय है. नेता आकर इन्हें सालों से केवल ठगने का काम कर रहे हैं.
5 दशकों से नहीं सुधरे हालात
शहर के बीचों-बीच गंडक नदी पर बने बांध में सैकड़ों परिवार चालीस-पचास वर्षों से ज्यादा से झोपड़ी बनाकर अपना जीवन गुजर-बसर कर रहे हैं. इनके एक वोट से नेता चुनकर विधानसभा से लेकर लोकसभा तक जाते हैं. चुनावी मौसम आते ही नेता इनलोगों के पास वोट मांगने आ जाते हैं. वे वोट के बदले विकास की बात करते हैं. लेकिन, चुनाव जीतने के बाद कोई इस इलाके में झांकने तक को नहीं आता है.
जिसका नतीजा यह है कि समाज के अंतिम पायदान पर खड़े लोग आज के 21वीं सदी में भी अपने विकास की बाट जोह रहे हैं. बता दें कि आसमान के नीचे झोपड़ी, प्लास्टिकों के घर बनाकर लोग यहां रह रहे हैं.
नहीं मिल रही सरकारी सुविधा
यहां रहने वाले लोग बताते हैं कि जब बाढ़ आती है तो इनका एक-एक सामान बर्बाद हो जाता है. यहां रहने वाले परिवार पूरी तरह तबाह हो जाते हैं. वहीं इलाका आगजनी का शिकार होता है तो इनके पास आंख में आंसू के सिवा कुछ भी नहीं शेष रहता है. यहां रहने वाले परिवार बताते है कि सरकारी सुविधा के नाम पर इन्हें सिर्फ अनाज दिया जाता है इसके आलावे और कोई सुविधा इन्हें नसीब नहीं है.
ऐसा नेता हो जो हमारी जरूरत समझे
चुनाव के बाबत इन मतदाताओं का कहना है कि हमलोगों को अब वैसे नेता की तलाश है जो हमारी तस्वीर और तकदीर को बदलने में हमारा साथ दे. केवल बातें नहीं काम भी करे.