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रमजान को लेकर मासूमों में उत्साह, भीषण गर्मी के बावजूद रख रहे रोजे

खास बात ये है कि ये मासूम सिर्फ रोजे ही नहीं रख रहे बल्कि पांच वक्त की नमाज के साथ-साथ मजहबी नियमों का भी पालन कर रहे हैं.

रोजा रखने वाली छोटी बच्चियां
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Published : May 20, 2019, 2:56 PM IST

समस्तीपुरः रमजान के इस पाक महीने में गर्मी अपने चरम पर है. लेकिन इस रमजान में बड़ों के साथ-साथ जिले में छोटे-छोटे बच्चे भी रोजे रख रहे हैं. वैसे तो प्यास इन्हें जरूर सता रही है. लेकिन ये मासूम रोजेदार बड़ी गंभीरता से अपनी इबादत में लगे हुए हैं.

मासूम रोजेदारों में उत्साह
जिले में भले ही भीषण गर्मी पड़ रही हो, पारा 41 डिग्री के पार हो. लेकिन रमजान के इस पाक महीने में मासूम रोजेदारों में गजब का उत्साह दिख रहा है. सबसे खास बात यह है कि इस इबादत के दौरान इन्हें गर्मी खूब परेशान कर रही है. लेकिन इन मासूमों के चेहरे पर शिकन तक नहीं दिख रही. कई बच्चे तो काफी कम उम्र में ही इस साल पहली बार रोजा रख रहे हैं और वह पूरी निष्ठा से इस रोजे को निभा रहे हैं.

गर्मी में रोजेदार हो रहे हलकान
दरअसल, ये बच्चे न सिर्फ रोजा रख रहे हैं बल्कि पांच वक्त की नमाज के साथ-साथ दूसरे मजहबी नियमों का भी पालन कर रहे हैं. इस रमजान में भीषण गर्मी की तपिश से बड़े रोजेदार जहां हलकान हैं वहीं, इन मासूमों को यह मौसम नहीं हिला पा रहा है. मौलवी का कहना है कि रोजे को लेकर इस्लाम में काफी नियम बनाये गए हैं. यही नहीं इसके वैज्ञानिक कारण भी हैं. रोजे में हर तरह के बुरे काम से परहेज करने को कहा गया है.

रोजा रखने वाले बच्चे और जानकारी देते मौलवी

आस्था के साथ इबादत में लगे लोग
गौरतलब है कि शरीयत के मुताबिक लड़कों के लिए रोजा और नमाज को 15 वर्ष के बाद ही जरूरी माना गया है. वहीं, लड़कियों के लिए रोजा नौ साल के बाद वाजिब हो जाता है. जिले में इतनी गर्मी के बाद भी छोटे उम्र के ये मासूम रोजेदार दूसरों के लिए नजीर पेश कर रहे हैं.

समस्तीपुरः रमजान के इस पाक महीने में गर्मी अपने चरम पर है. लेकिन इस रमजान में बड़ों के साथ-साथ जिले में छोटे-छोटे बच्चे भी रोजे रख रहे हैं. वैसे तो प्यास इन्हें जरूर सता रही है. लेकिन ये मासूम रोजेदार बड़ी गंभीरता से अपनी इबादत में लगे हुए हैं.

मासूम रोजेदारों में उत्साह
जिले में भले ही भीषण गर्मी पड़ रही हो, पारा 41 डिग्री के पार हो. लेकिन रमजान के इस पाक महीने में मासूम रोजेदारों में गजब का उत्साह दिख रहा है. सबसे खास बात यह है कि इस इबादत के दौरान इन्हें गर्मी खूब परेशान कर रही है. लेकिन इन मासूमों के चेहरे पर शिकन तक नहीं दिख रही. कई बच्चे तो काफी कम उम्र में ही इस साल पहली बार रोजा रख रहे हैं और वह पूरी निष्ठा से इस रोजे को निभा रहे हैं.

गर्मी में रोजेदार हो रहे हलकान
दरअसल, ये बच्चे न सिर्फ रोजा रख रहे हैं बल्कि पांच वक्त की नमाज के साथ-साथ दूसरे मजहबी नियमों का भी पालन कर रहे हैं. इस रमजान में भीषण गर्मी की तपिश से बड़े रोजेदार जहां हलकान हैं वहीं, इन मासूमों को यह मौसम नहीं हिला पा रहा है. मौलवी का कहना है कि रोजे को लेकर इस्लाम में काफी नियम बनाये गए हैं. यही नहीं इसके वैज्ञानिक कारण भी हैं. रोजे में हर तरह के बुरे काम से परहेज करने को कहा गया है.

रोजा रखने वाले बच्चे और जानकारी देते मौलवी

आस्था के साथ इबादत में लगे लोग
गौरतलब है कि शरीयत के मुताबिक लड़कों के लिए रोजा और नमाज को 15 वर्ष के बाद ही जरूरी माना गया है. वहीं, लड़कियों के लिए रोजा नौ साल के बाद वाजिब हो जाता है. जिले में इतनी गर्मी के बाद भी छोटे उम्र के ये मासूम रोजेदार दूसरों के लिए नजीर पेश कर रहे हैं.

Intro:जिले में भले ही भीषण गर्मी पड़ रही हो । पारा भले 41 डिग्री से पार हो । लेकिन रमजान के इस पाक महीने में मासूम रोजेदार में गजब का उत्साह दिख रहा । वैसे प्यास इन्हें जरूर सताती है , लेकिन छोटे छोटे मासूम रोजेदार , बड़ी गंभीरता से अपनी इबादत में लगी है ।


Body:रमजान के इस पाक महीने में गर्मी भले अपने रौद्र रूप में है । लेकिन इस रमजान में बड़ो के साथ साथ जिले में छोटे छोटे बच्चे रोजे रख रहे। सबसे खास बात यह है की , इस इबादत के दौरान इन्हें गर्मी जरूर परेशान कर रहा । लेकिन इन मासूम के चेहरे पर शिकन नही दिख रहा। जिले के छोटे छोटे मासूम रोजेदार अपने माता पिता या बड़े भाई बहन को देखकर वह भी रोजा रख रहे । कई बच्चे तो काफी कम उम्र में ही इस साल पहली बार रोजा रखा है। वैसे उन्हें भीषण गर्मी में प्यास जरूर सताती है । लेकिन फिर भी वह पूरी निष्ठा से इस रोजे को निभा रही ।

बाईट - रोजेदार बच्चे ।

वीओ - दरअसल ये बच्चें न सिर्फ रोजा रख रहे , इस दौरान यह इस इबादत को पूरी तरीके से निभा भी रहे । पांच वक्त के नमाज के साथ साथ ये अन्य अपने मजहबी नियमों का पालन कर रही । वैसे इस रमजान जिले में भीषण गर्मी की तपिश से बड़े रोजेदार जंहा हलकान है । वँहा इन मासुमों को यह मौसम नही डिगा पा रहा । वैसे इस रोजे को लेकर जिले के मौलवी का कहना है की , रोजे को लेकर इस्लाम मे काफी नियम बनाये गए है । यही नही इसके कई बड़े वैज्ञानिक कारण भी है । लेकिन सबसे बड़ी खास बात है की , भीषण गर्मी के बावजूद , बड़ो के साथ साथ काफी संख्या में इस साल जिले में छोटे बच्चें भी रोजे रख रहे ।

बाईट - मौलवी ।


Conclusion:गौरतलब है की शरीयत के मुताबिक , लड़को के लिए रोजा व नमाज को 15 वर्ष के बाद ही जरूरी माना गया है । वंही लड़कियों के लिए यह नौ वर्ष ले बाद वाजिब है । लेकिन जिले में इतनी गर्मी के बाद भी छोटे छोटे उम्र के ये मासूम रोजेदार , रमजान में पूरी शिद्दत से इबादत कर रहे ।

अमित कुमार की रिपोर्ट ।
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