समस्तीपुरः बिहार के कई जिले बाढ़ की चपेट में हैं. जिले के विभिन्न हिस्सों में बीते कई सप्ताह तक बूढ़ी गंडक नदी का कहर देखने को मिल रहा था. अब जाकर नदी का तेवर थोड़ा शांत हुआ है. महीनों से तटबंध पर शरण लिए हुए 700 से अधिक पीड़ित परिवार अपने आशियाने और जरूरी सामान तलाशने में जुट गए हैं, लेकिन यहां बस तबाही का मंजर दिख रहा है.
बूढ़ी गंडक का रौद्र रूप
बीते कुछ दिनों के अंदर प्रकृति ने अपना ऐसा प्रकोप दिखाया कि लोगों के आशियाने उजड़ गए. साथ ही कई लोगों को जान से भी हाथ धोना पड़ा. इंसानी बिसात ताश के पत्तों की तरह बिखर गए. शहर से सटे मगरदही घाट के करीब दशकों बाद इस साल बूढ़ी गंडक के रौद्र रूप ने लोगों को डरा दिया.
तटबंध पर शरण लिए हैं लोग
बूढ़ी गंडक नदी के जलस्तर में रिकॉर्ड वृद्धि का असर इसके तटबंध के अंदर ऊंचे स्थानों पर बसे लोगों पर कहर बनकर टूटा. कच्चे व पक्के मकान, स्कूल और मंदिर सब जलमग्न हो गए. लोग किसी तरह अपनी जान बचाकर ऊंचे तटबंध पर महीनों से शरण लिए हुए हैं.
![samastipur](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/bh-sam-01-baadh-ke-baad-tabahi-ka-manjar-pkg-7205026_20082020132342_2008f_01008_472.jpg)
प्रशासन के खिलाफ आक्रोश
नदी का जलस्तर कम होने के बाद प्रभावित लोग अपने घरों को तलाशने में जुट गए हैं, लेकिन वहां सिर्फ टूटे मकान और घरों में छूट गए सड़े हुए सामान मिल रहे हैं. बाढ़ प्रभावितों की आखों में विस्थापना का दर्द साफ झलक रहा है. इस तबाही में उनके आशियाने तक उजड़ गए, लेकिन सरकार और प्रशासन की तरफ से उनतक कोई मदद नहीं पहुंचाई गई. जिससे लोगों में उनके खिलाफ काफी आक्रोश है.
![samastipur](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/bh-sam-01-baadh-ke-baad-tabahi-ka-manjar-pkg-7205026_20082020132347_2008f_01008_645.jpg)
सरकार से मदद की आस
बाढ़ प्रभावित अपने घरों के बिखरे टुकड़े देखकर चिंता में डूब गए हैं. बच्चे कपड़ों के अभाव में नंगे घूम रहे हैं. लोगों को दुख के साथ भविष्य की चिंता भी सता रही है. इन लोगों के पास अब न सर छुपाने के लिए छत और न ही खाने के लिए भोजन है. ऐसे में ये सरकार से मदद की आस लगाए बैठे हैं. अब देखना होगा की इन लोगों की गुहार सरकार कब तक सुनती है.
![samastipur](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/bh-sam-01-baadh-ke-baad-tabahi-ka-manjar-pkg-7205026_20082020132347_2008f_01008_34.jpg)