समस्तीपुर: बिहार के समस्तीपुर में बिजली घरों में कोयला संकट (Coal Crisis) का असर दिखने लगा है. जिले में होने वाली बिजली आपूर्ति में जरूरत जहां 80 मेगावाट की है, वहीं आपूर्ति केवल 65 मेगावाट हो रही है. बहरहाल, ग्रामीण इलाकों में बिजली संकट गहराने लगा है. किल्लत को देखते हुए बिहार ने केंद्र सरकार से कोटा बढ़ाने का भी अनुरोध किया है.
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जिले के मोहनपुर, रोसड़ा, उजियारपुर, पटोरी व दलसिंहसराय ग्रिड को पीक आवर में रोटेशन पर बिजली दी जा रही है. विभागीय जानकारी के अनुसार कोयला संकट का असर जिले के बिजली आपूर्ति पर भी पड़ा है. दरअसल, जरूरत मांग में 10-15 मेगावाट बिजली की कटौती की जा रही है. बहरहाल, इसका असर अब शहरी इलाकों में जहां दिख रहा है. वहीं, ग्रामीण इलाके अधिक प्रभावित हुए हैं. वहीं, अगर आगे समस्या और गहराता है तो ग्रामीण इलाकों में बिजली की आंख मिचौली और बढ़ेगी.
गौरतलब है कि पहले ही बारिश की वजहों से जिले की बिजली आपूर्ति काफी प्रभावित है. रोज-रोज 33 केवी और 11 केवी लाइन के मेंटेनेंस के वजहों से कई कई घंटे बिजली गुल होना आम बात है. वहीं, अब कम बिजली आपूर्ति से बत्ती गुल होने की संभावना और बढ़ गई है.
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बता दें कि देश में ब्लैकआउट का खतरा मंडराने लगा है. दुनिया के दूसरे सबसे बड़े कोयला आयातक भारत के पास अब पर्याप्त स्टॉक ही नहीं है. जबकि भारत में अपने कोयला के खादान हैं. खादानों के मामले में भारत विश्व में चौथे नंबर पर है, मगर यहां के पावर प्लांट में कोयले का स्टॉक बहुत कम हो गया है.
भारत के पास 300 अरब टन का कोयला भंडार है. फिर भी पावर हाउस के लिए इंडोनेशिया, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका जैसे देशों से 2.22 करोड़ टन कोयले का आयात किया जाता है. पिछले दो महीनों में देश में कोयला का उत्पादन कम हुआ. मॉनसून सीजन में अक्सर भारत में भी कोयले का उत्पादन कम होता है, क्योंकि भारत के कोयला खादानों में अब भी पुराने तरीकों से ही खनन होता है.