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लॉकडाउन की वजह से दूध की मांग में कमी, पशुपालकों की बढ़ी परेशानी - corona effect

कोरोना के कारण सभी इलाकों में दूध की कमी हो गई है. इस कारण पशुपालकों की परेशानी काफी बढ़ गई है.

samastipur
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Published : Apr 23, 2020, 4:46 PM IST

समस्तीपुर: कोरोना के कारण ग्रामीण इलाकों के पशुपालकों की परेशान काफी बढ़ गई है. लॉकडाउन के कारण गांव हो या फिर शहर सभी जगहों पर दूध की मांग कम हो गई है. इसका असर डेयरी और ग्रामीण इलाकों के दूध सेंटर पर साफ देखने को मिल रहा है.

पशुपालकों की बढ़ी परेशानी
पहले जहां अधिक से अधिक पशुपालकों से दूध का संग्रहण होता था, वहां अब दूध की मांग काफी कम हो गई है. ग्रामीण डेयरी कलेक्शन सेंटर के अनुसार, अब महज 200 लीटर दूध ही जिले में सभी सेंटर से मांगा जा रहा है. वहीं, अगर अधिक दूध पशुपालक यहां देते हैं तो, उन्हें उसके लिए 5 से 7 रुपये कम प्रति लीटर भुगतान होगा. वैसे सामान्य दिनों से कम पैसे के बाद भी पशुपालक दूध सेंटर पहुंचाने को विवश हैं.

दूध की खपत में आई कमी
दरअसल, होटल आदि बंद होने और सभी जगहों पर कोरोना के खौफ के कारण दूध की खपत में काफी कमी आई है. सामान्य दिनों में डेयरी में दूध की अधिक मांग होने के कारण, ग्रामीण इलाकों के कलेक्शन सेंटर पर भी अधिक से अधिक दूध की मांग होती थी. यही नहीं अधिक दूध देने वाले पशुपालकों को तय मूल्य के अलावा अन्य कई प्रोत्साहन राशि भी दिया जाता था, लेकिन इस कोरोना काल में सब बेहाल हो गए हैं.

समस्तीपुर: कोरोना के कारण ग्रामीण इलाकों के पशुपालकों की परेशान काफी बढ़ गई है. लॉकडाउन के कारण गांव हो या फिर शहर सभी जगहों पर दूध की मांग कम हो गई है. इसका असर डेयरी और ग्रामीण इलाकों के दूध सेंटर पर साफ देखने को मिल रहा है.

पशुपालकों की बढ़ी परेशानी
पहले जहां अधिक से अधिक पशुपालकों से दूध का संग्रहण होता था, वहां अब दूध की मांग काफी कम हो गई है. ग्रामीण डेयरी कलेक्शन सेंटर के अनुसार, अब महज 200 लीटर दूध ही जिले में सभी सेंटर से मांगा जा रहा है. वहीं, अगर अधिक दूध पशुपालक यहां देते हैं तो, उन्हें उसके लिए 5 से 7 रुपये कम प्रति लीटर भुगतान होगा. वैसे सामान्य दिनों से कम पैसे के बाद भी पशुपालक दूध सेंटर पहुंचाने को विवश हैं.

दूध की खपत में आई कमी
दरअसल, होटल आदि बंद होने और सभी जगहों पर कोरोना के खौफ के कारण दूध की खपत में काफी कमी आई है. सामान्य दिनों में डेयरी में दूध की अधिक मांग होने के कारण, ग्रामीण इलाकों के कलेक्शन सेंटर पर भी अधिक से अधिक दूध की मांग होती थी. यही नहीं अधिक दूध देने वाले पशुपालकों को तय मूल्य के अलावा अन्य कई प्रोत्साहन राशि भी दिया जाता था, लेकिन इस कोरोना काल में सब बेहाल हो गए हैं.

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