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समस्तीपुरः चुनावी साल में भी पक्ष-विपक्ष दोनों तरफ के विधायकों के विकास के दावे फेल

आंकड़ों के अनुसार विधायकों की ओर से 889 योजनाओं को स्वीकृति दी गयी है. लेकिन इसमें भी करीब 381 योजनाएं अधर में अटकी हैं. इस मामले में जदयू, राजद और कांग्रेस सभी के विधायकों का हाल एक जैसा ही है.

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Published : Mar 12, 2020, 4:51 PM IST

समस्तीपुरः चुनावी साल में विकास के दावों में पक्ष और विपक्ष के विधायक फेल हुए. वर्तमान विधानसभा का 5 साल पूरा होने को है. लेकिन विकास के मद में मिलने वाली राशि का 50 फीसदी भी खर्च नहीं हुआ. जिला योजना कार्यालय सूत्रों के अनुसार जिले में 10 विधायकों को दिए गए 104 करोड़ की राशि में 52.13 करोड़ रुपये का इस्तेमाल अब तक नहीं हुआ है.

विकास के दावों में पक्ष और विपक्ष के विधायक हुए फेल
मुख्यमंत्री क्षेत्र विकास योजना के तहत विधायकों को प्रति वित्तीय वर्ष 3 करोड़ रुपये अपने क्षेत्र में विभिन्न विकास योजनाओं के लिए दिए जाते हैं. वहीं, अगर जिले के सभी 10 विधानसभा में वर्तमान वित्तीय वर्ष तक के आंकड़ों पर गौर करें, तो जिला योजना कार्यालय सूत्रों के अनुसार वर्तमान वित्तीय वर्ष तक इन विधायकों को मिले 104 करोड़ रूपये में महज 45.87 फीसदी राशि ही खर्च हुए हैं.

देखें पूरी रिपोर्ट

इच्छाशक्ति का घोर अभाव
वहीं, जानकारों का कहना है कि विधायक अपने क्षेत्र से दूर खुद में व्यस्त हैं और योजनाओं को लेकर जमीनी जानकारी और इच्छाशक्ति का घोर अभाव है. यही नहीं सिर्फ राशि खर्च करने का मामला नहीं है, योजनाओं का भी हाल बहुत अच्छा नहीं है. आंकड़ों के अनुसार विधायकों की ओर से 889 योजनाओं को स्वीकृति दी गयी है. लेकिन इसमें भी करीब 381 योजनाएं अधर में अटकी हैं. इस मामले में जदयू, राजद और कांग्रेस सभी के विधायकों का हाल एक जैसा ही है.

समस्तीपुरः चुनावी साल में विकास के दावों में पक्ष और विपक्ष के विधायक फेल हुए. वर्तमान विधानसभा का 5 साल पूरा होने को है. लेकिन विकास के मद में मिलने वाली राशि का 50 फीसदी भी खर्च नहीं हुआ. जिला योजना कार्यालय सूत्रों के अनुसार जिले में 10 विधायकों को दिए गए 104 करोड़ की राशि में 52.13 करोड़ रुपये का इस्तेमाल अब तक नहीं हुआ है.

विकास के दावों में पक्ष और विपक्ष के विधायक हुए फेल
मुख्यमंत्री क्षेत्र विकास योजना के तहत विधायकों को प्रति वित्तीय वर्ष 3 करोड़ रुपये अपने क्षेत्र में विभिन्न विकास योजनाओं के लिए दिए जाते हैं. वहीं, अगर जिले के सभी 10 विधानसभा में वर्तमान वित्तीय वर्ष तक के आंकड़ों पर गौर करें, तो जिला योजना कार्यालय सूत्रों के अनुसार वर्तमान वित्तीय वर्ष तक इन विधायकों को मिले 104 करोड़ रूपये में महज 45.87 फीसदी राशि ही खर्च हुए हैं.

देखें पूरी रिपोर्ट

इच्छाशक्ति का घोर अभाव
वहीं, जानकारों का कहना है कि विधायक अपने क्षेत्र से दूर खुद में व्यस्त हैं और योजनाओं को लेकर जमीनी जानकारी और इच्छाशक्ति का घोर अभाव है. यही नहीं सिर्फ राशि खर्च करने का मामला नहीं है, योजनाओं का भी हाल बहुत अच्छा नहीं है. आंकड़ों के अनुसार विधायकों की ओर से 889 योजनाओं को स्वीकृति दी गयी है. लेकिन इसमें भी करीब 381 योजनाएं अधर में अटकी हैं. इस मामले में जदयू, राजद और कांग्रेस सभी के विधायकों का हाल एक जैसा ही है.

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