समस्तीपुर: जिले के रजिस्ट्री कार्यालय में पुराने जमीन से जुड़े खरीद और बिक्री का मामला एक बड़ी परेशानी का सबब बनता जा रहा है. दरअसल, पुराने सभी दस्तावेज कायस्थी (कैथी) भाषा में लिखे हुए हैं. जिन्हें पढ़ने और समझने वाले महज इक्के-दुक्के लोग ही कार्यालय में मौजूद हैं. मूल दस्तावेज तो फिर भी ठीक-ठाक अवस्था में हैं, लेकिन कार्यालय से प्राप्त इन कागजातों के नकल इतने पुराने हैं कि उनको पढ़ने में भाषा के जानकरों को भी काफी मुश्किल होता है.
'भाषा विलुप्ती का कारण सरकार की उपेक्षा'
कैथी भाषा के जानकारों का कहना है कि कैथी भाषा के विलुप्ती के कगार पर होने की वजह से भविष्य में ऐसे दस्तावेजों से जुड़ी जानकारी को समझना और भी समस्या भरा होगा. यह रजिस्ट्री संबंधी काम से जुड़े लोगों के लिए भी बहुत कष्टकारी विषय है. वहीं, स्थानीय लोगों का भी मानना है कि कैथी भाषा को लेकर सरकार का उदासीन रवैया भाषा के विलुप्त होने का मूल वजह है.
एक परिवार करता है अनुवाद कार्य
गौरतलब है कि वर्तमान में कायस्थी भाषा के जानकारों की बात करें तो यहां एक पिता-पुत्र ही इस भाषा को बेहतर तरीके से समझते हैं. यही परिवार रजिस्ट्री ऑफिस में कैथी से हिंदी-इंग्लिश अनुवाद का काम करता है. स्थानीय लोगों का मांग है कि कैथी भाषा को संरक्षित कर इसका प्रसार किया जाए. जिससे ऐसे पुराने अहम दस्तावेजों को समझने में सहूलियत के साथ ही एक क्षेत्र विशेष भाषा गुमनाम होने से बच जाए.